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Jesus Death Mystery: चंद्रग्रहण और सूली पर चढ़ना... नासा ने खोला यीशु की मृत्यु का खगोलीय रहस्य, सदियों पुराने रहस्य पर से हटा पर्दा

Jesus Death Mystery: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने नासा की खगोलीय गणनाओं का विश्लेषण करने के बाद कहा कि यह वही दिन हो सकता है जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था।

Newstrack          -         Network
Published on: 20 April 2025 12:35 PM
Jesus Death Mystery
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Jesus Death Mystery (Photo - Social Media)

Jesus Death Mystery: यीशु मसीह की मृत्यु कब हुई, यह प्रश्न सदियों से इतिहासकारों, धर्मशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय रहा है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) द्वारा प्रस्तुत खगोलीय प्रमाणों से यह रहस्य काफी हद तक स्पष्ट होता नजर आ रहा है। 3 अप्रैल 33 ईस्वी को घटित चंद्रग्रहण को यीशु की मृत्यु से जोड़कर देखा जा रहा है।

नासा की खोज विज्ञान से जुड़ी आस्था

नासा के खगोलीय डेटा विश्लेषण में पाया गया कि 3 अप्रैल 33 ईस्वी को यरूशलेम में सूर्यास्त के ठीक बाद एक पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था। ग्रहण के दौरान चंद्रमा गहरे लाल रंग में तब्दील हो गया था, जिसे आज की भाषा में 'ब्लड मून' कहा जाता है।

ईसाई धर्मग्रंथों में इस तरह की घटना का उल्लेख है:-

“सूरज अंधकारमय हो जाएगा और चंद्रमा खून की तरह लाल हो जाएगा, इससे पहले कि प्रभु का महान और भयानक दिन आए। बाइबिल, योएल 2:31 और प्रेरितों के काम 2:20

यह संकेत करता है कि यीशु की मृत्यु के समय कुछ ब्रह्मांडीय घटनाएं घटी थीं, जिनमें सूर्य का अंधकारमय होना और चंद्रमा का रक्तवत दिखना प्रमुख हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पुष्टि: ऐतिहासिक साक्ष्य और बाइबिल में समानता

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने नासा की खगोलीय गणनाओं का विश्लेषण करने के बाद कहा कि यह वही दिन हो सकता है जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था। उनका मत है कि -

बाइबिल के अनुसार यह घटना पासओवर (Passover) से ठीक पहले की है। यहूदी पंचांग के अनुसार यह समय निसान महीने की 14 तारीख को पड़ता है, जो 3 अप्रैल 33 ईस्वी को आया था। उस दिन शुक्रवार था, जिसे आज 'गुड फ्राइडे' कहा जाता है।

1990 में खोजी गई थी यह जानकारी, अब फिर से चर्चा में क्यों

नासा ने यह खगोलीय डेटा 1990 के दशक में ही अपने सॉफ्टवेयर मॉडल द्वारा खोजा था, जिसमें प्राचीन ग्रहणों की गणना की जाती है। हालांकि यह जानकारी तब सीमित दायरे में रही2025 में गुड फ्राइडे के मौके पर यह खोज चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गई, जिससे इस पर फिर से वैश्विक बहस शुरू हो गई।

नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार:

“यीशु के सूली पर चढ़ने के बाद चंद्रमा लाल हो गया था, यह खगोलीय रूप से संभव है और इससे धार्मिक विवरणों की पुष्टि होती है।"

इतिहासकारों का मत: बाइबिल और खगोल विज्ञान में अद्भुत समानता

धार्मिक इतिहासकारों और बाइबिल विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज ईसाई धार्मिक इतिहास को ठोस खगोलीय संदर्भ देती है। कुछ विद्वानों का मत है कि यीशु की मृत्यु 30 ईस्वी में हुई थी। लेकिन अब नासा के डेटा के अनुसार 33 ईस्वी अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है। यह चंद्रग्रहण यरूशलेम में शाम को स्पष्ट रूप से दिखाई दिया था, जो बाइबिल वर्णन के अनुसार ‘तीन घंटे का अंधकार’ और ‘प्राकृतिक वातावरण में बदलाव’ से मेल खाता है।

खगोलीय घटना का विवरण: क्या हुआ था उस दिन

दिनांक: 3 अप्रैल 33 ईस्वी,

घटना: पूर्ण चंद्रग्रहण

स्थान: यरूशलेम, इजरायल

दृश्य प्रभाव-

Admin 2

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