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National Cereal Day 2025: राष्ट्रीय अन्न दिवस क्यों मनाते हैं, इसका इतिहास क्या कहता है
Rashtriya Ann Divas: राष्ट्रीय अन्न दिवस किसानों को प्रेरित करने और अन्न के महत्व को समझाने का एक अवसर है।
National Cereal Day 2025 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
National Cereal Day 2025: राष्ट्रीय अन्न दिवस (Rashtriya Ann Divas) भारत में कृषि और किसानों के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन अन्न के महत्व, खाद्य सुरक्षा, और किसानों के संघर्ष व योगदान को उजागर करता है। भारत, जो कृषि प्रधान देश है, अपनी विशाल जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने पर अनाज उत्पादन करता है। राष्ट्रीय अन्न दिवस किसानों को प्रेरित करने और अन्न के महत्व को समझाने का एक अवसर है।
राष्ट्रीय अन्न दिवस का महत्व (Rashtriya Ann Divas Ka Mahatva)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
कृषि और किसानों का सम्मान – यह दिवस किसानों की मेहनत और कृषि क्षेत्र की महत्ता को स्वीकार करता है।
खाद्य सुरक्षा की जागरूकता – यह दिन खाद्य उत्पादन, भंडारण और वितरण के महत्व पर ध्यान केंद्रित करता है।
पोषण और स्वास्थ्य – अन्न, विशेष रूप से मोटे अनाज (मिलेट्स), हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
सतत कृषि विकास – यह दिन टिकाऊ और जैविक खेती को प्रोत्साहित करता है ताकि पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचे।
कृषि क्षेत्र में नवाचार – किसानों को नई तकनीकों और उन्नत कृषि पद्धतियों से अवगत कराया जाता है।
राष्ट्रीय अन्न दिवस का इतिहास (Rashtriya Ann Divas Ka Itihas)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
अनाज न केवल नाश्ते में बल्कि दोपहर और रात के खाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेकरी उत्पादों जैसे केक, कुकीज़ और अन्य व्यंजनों में भी अनाज का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जिसमें सबसे लोकप्रिय अनाज चावल है।
फर्डिनेंड शूमाकर, जो एक जर्मन प्रवासी थे, ने 1854 में एक्रोन, ओहियो में एक छोटे से स्टोर के कमरे में जई की चक्की लगाकर अनाज की क्रांति की शुरुआत की। उनकी कंपनी, जर्मन मिल्स अमेरिकन ओटमील कंपनी, अमेरिका की पहली ओटमील कंपनी बनी।
संयुक्त राज्य अमेरिका में 1863 में पहला अनाज आधारित नाश्ता विकसित किया गया था। बाद में, केलॉग ने गेहूं को उबालकर उसे एक नए रूप में प्रस्तुत किया। 1898 में, चार्ल्स डब्ल्यू. पोस्ट ने ग्रेप-नट्स अनाज की शुरुआत की। केलॉग और पोस्ट की सफलताओं के कारण बैटल क्रीक, मिशिगन को "विश्व अनाज राजधानी" की उपाधि दी गई।
राष्ट्रीय अन्न दिवस की शुरुआत भारतीय कृषि के महत्व को पहचानने के लिए की गई थी। हाल के वर्षों में, सरकार और विभिन्न संगठनों ने किसानों को समर्थन देने और अन्न के महत्व को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस को मनाना शुरू किया।
भारत की कृषि और अन्न उत्पादन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत में कृषि की परंपरा लगभग 10,000 साल पुरानी है।
हरित क्रांति (1965-70) के दौरान भारत ने गेहूं और धान के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की।
2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया, जिससे मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा, रागी) को बढ़ावा मिला।
भारत खाद्यान्न उत्पादन में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है।
राष्ट्रीय अन्न दिवस मनाने के कारण (National Cereal Day Purpose)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था – देश की लगभग 60% आबादी कृषि पर निर्भर है।
खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता – भारत कई फसलों में आत्मनिर्भर हो चुका है, लेकिन खाद्य सुरक्षा को बनाए रखना आवश्यक है।
भूख और कुपोषण से लड़ाई – पोषण स्तर में सुधार के लिए संतुलित आहार और अन्न उत्पादन पर ध्यान देना जरूरी है।
कृषि क्षेत्र में नई तकनीक का प्रचार – जैविक खेती, स्मार्ट खेती और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस महत्वपूर्ण है।
जलवायु परिवर्तन और खाद्यान्न संकट – बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन का असर कृषि पर पड़ रहा है, जिससे किसानों को जागरूक करना आवश्यक है।
राष्ट्रीय अन्न दिवस कैसे मनाया जाता है?
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
किसानों को सम्मानित किया जाता है। कृषि से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में अन्न के महत्व पर व्याख्यान दिए जाते हैं। कृषि मेले और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। पोषण और संतुलित आहार के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है।
भारत सरकार अनाज उत्पादन, किसानों की आय वृद्धि और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ चला रही है। निम्नलिखित प्रमुख योजनाएँ वर्तमान में सक्रिय हैं:-
1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करती है। सरकार ने 1 जनवरी 2024 से इस योजना की अवधि पाँच वर्षों के लिए बढ़ा दी है, जिससे अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्राथमिकता प्राप्त परिवार (PHH) के लाभार्थियों को मुफ्त में चावल, गेहूं और मोटे अनाज उपलब्ध कराए जा सकें।
2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों से फसलों को होने वाले नुकसान के खिलाफ बीमा सुरक्षा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य किसानों की आय को स्थिर रखना और कृषि में जोखिम को कम करना है।
3. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
इस योजना के तहत, पात्र किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 की वित्तीय सहायता तीन समान किस्तों में प्रदान की जाती है। यह सहायता सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
4. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (PM-KMY)
यह पेंशन योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए है, जो 60 वर्ष की आयु के बाद ₹3,000 मासिक पेंशन प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
5. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) - मोटे अनाज आधारित उत्पादों के लिए
सरकार ने मोटे अनाज (जैसे ज्वार, बाजरा) आधारित रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) लागू की है। इसका उद्देश्य मोटे अनाज के उपयोग को प्रोत्साहित करना और किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है।
6. खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन – ऑयल पाम (NMEO-OP)
इस मिशन का उद्देश्य देश में खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो और किसानों को तिलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहन मिले।
7. कृषि अवसंरचना कोष (AIF)
यह योजना कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे किसानों को आधुनिक भंडारण सुविधाएँ, कोल्ड स्टोरेज और अन्य अवसंरचना सुविधाएँ मिल सकें।
इन योजनाओं के माध्यम से सरकार अनाज उत्पादन को बढ़ावा देने, किसानों की आय में वृद्धि करने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
राष्ट्रीय अन्न दिवस का भविष्य में प्रभाव
टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा.खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि होगी।किसान सशक्त बनेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी।खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और भूखमरी की समस्या कम होगी।
राष्ट्रीय अन्न दिवस सिर्फ एक औपचारिक दिवस नहीं है, बल्कि यह भारत की खाद्य सुरक्षा, कृषि की प्रगति और किसानों के सम्मान का प्रतीक है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में इस दिवस को मनाना कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के उत्थान के लिए आवश्यक है। इसे एक आंदोलन के रूप में अपनाया जाना चाहिए ताकि देश में खाद्य उत्पादन और पोषण का स्तर निरंतर ऊंचा बना रहे।