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Samosa Is National Snack: राष्ट्रीय स्नैक है समोसा, अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता है

Samosa Is National Snack: ब्रह्माण्ड के किसी भी हलवाई की दुकान पर दो चीजें होना जरूरी है वर्ना वह दूकान हलवाई की दूकान नहीं कहलाती है। पहला, तो हलवाई खुद और दूसरा समोसा ।

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Newstrack Network
Published on: 21 Sept 2022 10:12 PM IST
National snack is samosa, does not differentiate between rich and poor
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राष्ट्रीय स्नैक है समोसा: Photo- Social Media

National snack is samosa food: ब्रह्माण्ड के किसी भी हलवाई की दुकान (sweet shop) पर दो चीजें होना जरूरी है वर्ना वह दूकान हलवाई की दूकान नहीं कहलाती है। पहला, तो हलवाई खुद और दूसरा समोसा (Samosa)। समोसा संसार की एकमात्र ऐसी रचना जिसके तीन कोने होने के बावजूद भी शान से सीना तान कर खड़ा हो जाता है !

हलवाई की दुकान पर जब समोसे भर कर रखे जाते हैं, तो तले जाने से पहले पूरी समोसा मंडली पंक्तिबद्ध रूप से यूँ ट्रे में खड़ी दिखती हैं मानो सफ़ेद वर्दी पहने जवान सावधान की मुद्रा में खड़े होकर गार्ड ऑफ़ ऑनर दे रहे हों, अपने इसी शाही अन्दाज़ के कारण सैकड़ों वर्षों से समोसा स्नैक फ़ूड (Samosa Is National Snack) का अघोषित सम्राट है । अपनी दो महारानियों यानी कि हरी चटनी (green chutney) और लाल चटनी (Lal chutney) के साथ फूडीयों के दिलों में राज करता है !

अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता समोसा

अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता है, एयरपोर्ट लाउंज की फैंसी लुटेरी कॉफ़ी शॉप में 'टू समोसास फॉर टू हंड्रेड फिफ्टी रूपीज़' में भी मिलता है और बिजली आफिस के सामने टीन के टपरे को लोहे की तार के साथ बिजली के पुराने खम्भे के साथ बाँध कर बनायी गई टपरी पर "पन्द्रह के दो" में भी मिलता है। ताज़ होटल की चाँदी की प्लेट में भी परोसा जाता है । पुल के नीचे वाले ठेले पर अख़बार में लिपटा हुआ भी मिलता है, मतलब कुल मिला कर बड़े वाले सेठ जी और सेठजी के घर का नौकर दोनो बराबर स्वाद लेते हैं।

राष्ट्रीय स्नैक है समोसा: Photo- Social Media

...तब समोसे को प्राउड फ़ील होता है

सड़क के किनारे किसी ठेले पर छोले और चटनी के साथ स्वाद लेते हुए किसी नई-नई जॉब पर लगे हुए कूरियर कम्पनी के डिलीवरी बॉय के फ़ोन पर जब कॉल आती है और वो सामने से रिप्लाई करता है-'मैं लंच कर रहा हूँ।'तो क़सम से समोसे को इतना प्राउड फ़ील होता होगा कि उसके अंदर के आलू 'अजीमो शान शहंशाह' वाले बैकग्राउंड म्यूज़िक पर नाचने लगते होंगे, बस यूं समझिये कि जहाँ कुछ भी खाने को नहीं मिलता वहां पर भी समोसा हमेशा प्राणरक्षक का काम करता है !

जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में मौत और दूकान में ग्राहक के आने का कोई निश्चित समय नहीं होता, ठीक ऐसे ही समोसा खाने का भी कोई निश्चित समय नहीं है, पूरे हिंदुस्तान में ही नहीं विश्व के कई देशों में में सुबह-सुबह नाश्ते में खाया जाता है, देशभर की फ़ैक्टरियों, कम्पनियों की कैंटीन में तो दिन भर खाया जाता है, स्कूल कॉलेजों की कैंटीन में समोसा अनगिनत बनती बिगड़ती प्रेम कहानियों का गवाह बना है। इन कैंटीनों की कड़ाही में दिन भर निरंतर उत्पादन होता ही रहता है !

राष्ट्रीय स्नैक है समोसा: Photo- Social Media

लेबर को पैसा भले ही कम दे दो, चाय के साथ दुई समोसा खिला दो फिर देखो काम

लेबर को ओवरटाइम का पैसा भले ही कम दे दो पर बीच में एक ब्रेक लेकर चाय के साथ दुई समोसा खिला दो फिर देखें कैसे लेंटर डलने का काम भाँय से निपटता है !समोसा, कहीं मैश किए हुए आलू से भरा जाता है । तो कहीं कटे हुए चौकोर आलुओं से। देश भर में कहीं भी किसी स्कूल में निरीक्षक आ जाएँ, किसी कम्पनी में ऑडिटर आ जाएँ, दुकान पर कोई पुराना ग्राहक ख़रीदारी करने आ जाए तो ट्रे में चाय के कप के साथ समोसा होना उतना ही स्वाभाविक है जितनी कि सेटमैक्स पर बार-बार सूर्यवंशम का आना, फिर चाहे चाय के साथ चिप्स, बिस्किट, भुजिया कुछ भी हो पर अतिथि के लिए 'अरे!एक समोसा तो लीजिए' का आग्रह सम्बोधन एक सम्मान सूचक वाक्य माना जाता है !

भारत के राष्ट्रीय स्नैक के चुनाव में समोसे की जीत पक्की

भारत के राष्ट्रीय स्नैक की पदवी के लिए चाहे तो कोई सर्वे करवा लीजिए चाहे वोटिंग, मेरा दावा है कि इस पदवी पर समोसे का चुनाव होना 100 फ़ीसदी पक्का है, यह मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि विश्व भर में समोसे के करोड़ों चाहने वाले कह रहे हैं ! कचोरी को छोड़कर ।

Shashi kant gautam

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