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Navratri 2022: नवरात्र में प्याज-लहसुन का सेवन इसलिए वर्जित, यहां जाने ये बड़ी वजह
Navratri 2022: नवरात्रि में लहसुन-प्याज का सेवन करना वर्जित बताया गया है। लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है।
Navratri 2022: शारदीय नवरात्र की शुरूआत इस साल 2022 में 26 सितंबर से हो रही है। इस दिन भक्त सुबह अपने घर में साफ-सफाई करते हैं, मंदिर की सफाई करते हैं। इसके बाद शुद्ध साफ सुथरे कपड़े पहनकर मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं। नवरात्र के पहले दिन कलश की स्थापना करके मां की उपासना की जाती है। नवरात्र में कुछ लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं। वो सिर्फ फलाहार ही करते हैं। लेकिन जो लोग व्रत न रखकर पूजा अर्चना करते हैं उन्हें नवरात्रों में प्याज लहसुन का सेवन करना वर्जित बताया गया है।
नवरात्रि में लहसुन-प्याज का सेवन करना वर्जित बताया गया है। लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है। अगर नहीं जानते हैं तो आइए आपको बताते हैं कि क्यों प्याज लहसुन नहीं खाना चाहिए।
हिंदु पुराणों के अनुसार, कोई भी पूजा-पाठ हो, रामायण का आयोजन हो या फिर भगवान का कोई भी व्रत हो, उसमें प्याज लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। चाहे कच्चा सेवन करना हो या फिर उनसे बने भोजन का सेवन करना है, दोनों ही तरह से प्याज लहसुन का सेवन करना मना है।
राक्षस के खून की बूंदें
इस बारे में हिंदू पुराणों की कथा के अनुसार, जब देवता और असुरों के बीच सागर मंथन हो रहा था, तो उसमें 9 रत्न निकले थे। सबसे आखिरी में अमृत निकला था। इसके बाद ही भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। और फिर देवताओं को अमृत पिलाने लगे थे। उस समय दो दानव राहु-केतु ने देवताओं का रूप धारण कर लिया और विष्णु भगवान द्वारा पिलाया जा रहा अमृत पी लिया।
तब इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से अलग कर दिया। इस बारे में ऐसा माना जाता है कि उनका सिर जब धड़ से अलग हुआ, तो उन राक्षसों के खून की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उन खून की बूंदों से ही लहसुन प्याज की उत्पत्ति हुई। इसी वजह से लहसुन प्याज में इतनी तेज गंध आती है।
लहसुन प्याज के बारे में ये भी कहा जाता है कि राहु-केतु ने जब अमृत की कुछ बूंदे पी ली थी, जो उनके शरीर में पहुंच गई थी, तो जब उनके खून की बूंद पृथ्वी पर गिरी, तो उससे उपजे लहसुन प्याज में रोगों से लड़ने की ताकत मिली। इसी वजह से कहा जाता है कि लहसुन प्याज के सेवन से इंसान धर्म के मार्ग से भटक जाता है। उसमें तामसिक और राजसिक गुण बढ़ने से अज्ञानता बढ़ने लगती है। इसलिए मन शांत रखने के लिए ऐसा कहा जाता है कि हमेशा सात्विक भोजन करना चाहिए।