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hypochondriasis: नई रिसर्च का दावा - बीमारी से जो डरा रहेगा, उन्हीं पर है ज्यादा संकट
hypochondriasis: बीमारी की चिंता घातक होती है। जी हाँ, एक बड़े स्वीडिश अध्ययन में गंभीर बीमारी के अत्यधिक डर से पीड़ित लोगों के बारे में एक विरोधाभास उजागर हुआ है।
Mumbai: कुछ लोग ऐसे होते हैं जो गंभीर बीमारियों के बारे में बहुत चिंतित रहते हैं कि उन्हें कहीं ऐसा न हो जाये, वैसा न हो जाये भले ही उन्हें कुछ बीमारी न हो। लेकिन ऐसे लोगों के लिए एक चिंता भरी बात सामने आई है। बीमारी की चिंता घातक होती है। जी हाँ, एक बड़े स्वीडिश अध्ययन में गंभीर बीमारी के अत्यधिक डर से पीड़ित लोगों के बारे में एक विरोधाभास उजागर हुआ है। वे उन लोगों की तुलना में पहले मर जाते हैं जो स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं में उलझे नहीं रहते हैं।
बीमारी की चिंता ही है बड़ी बीमारी
हाइपोकॉन्ड्रिआसिस, जिसे बीमारी चिंता विकार कहा जाता है, एक दुर्लभ स्थिति है जिसके लक्षण आम चिंताओं से एकदम अलग होते हैं। इस विकार से पीड़ित लोग सामान्य शारीरिक और प्रयोगशाला टेस्ट में कुछ भी न निकलने के बावजूद अपने डर को दूर करने में असमर्थ होते हैं। कुछ लोग बार-बार डॉक्टर बदलते हैं। अन्य लोग अपने चिंता दूर करने के इलाज से कतराते हैं।
क्या मिला रिसर्च में?
एक नए रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कहा है कि क्रोनिक तनाव का शरीर पर प्रभाव पड़ता है जो आत्महत्या तक ले जा सकता है। जेएएमए मनोचिकित्सा में प्रकाशित अध्ययन में स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के डेविड मैटाइक्स-कोल्स ने कहा है कि हाइपोकॉन्ड्रिआसिस पाए गए लोगों के लिए आत्महत्या से मृत्यु का जोखिम चार गुना अधिक था।
उन्होंने हाइपोकॉन्ड्रिआसिस से पीड़ित 4,100 लोगों को देखा और उम्र, लिंग और निवास स्थान में समान 41,000 लोगों से उनका मिलान किया। उन्होंने ट्रैकिंग करके पाया कि हाइपोकॉन्ड्रिआसिस वाले लोगों में कुल मृत्यु दर अधिक थी, प्रति 1,000 व्यक्ति वर्ष में 5.5 के मुकाबले 8.5। इस स्थिति वाले लोगों की मृत्यु दूसरों की तुलना में कम उम्र में हुई। ब्लड सर्कुलेशन और सांस रोगों से उनकी मृत्यु का जोखिम अधिक था। कैंसर एक अपवाद था जिसमें मृत्यु का जोखिम लगभग समान था।
मानसिक इलाज की जरूरत
न्यूयॉर्क के मोंटेफियोर मेडिकल सेंटर के डॉ. जोनाथन ई. एल्पर्ट के अनुसार, हममें से बहुत से लोग हल्के हाइपोकॉन्ड्रिअक्स हैं। लेकिन स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर ऐसे लोग भी हैं जो गंभीर बीमारी होने के बारे में लगातर चिंता, दहशत और सोच में पड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस विकार से पीड़ित लोग वाकई में पीड़ित हैं और इसे गंभीरता से लेना और इसका इलाज करना महत्वपूर्ण है। इस बीमारी के इलाज में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, विश्राम तकनीक, शिक्षा और कभी-कभी डिप्रेशन की दवा शामिल हो सकती है।
अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन की परिषद का नेतृत्व करने वाले डॉ. जोनाथन ई. एल्पर्ट ने कहा कि अत्यधिक चिंतित रोगी को मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के पास भेजना देखभाल की बात है। मरीज नाराज हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन पर लक्षणों की कल्पना करने का आरोप लगाया जा रहा है। मरीजों को यह बताने के लिए काफी संवेदनशीलता की जरूरत है कि यह अपने आप में एक तरह की स्थिति है, इस अवस्था का एक नाम है और सौभाग्य से अच्छे उपचार मौजूद हैं।