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OCD का इलाज़ सही समय पर कराना है जरुरी अन्यथा हो सकते है पागल-जानें लक्षण ,कारण और बचाव

OCD: बता दें कि ओसीडी कई प्रकार का हो सकता है। इसलिए ओसीडी के प्रकार को यह जानना बेहद आवश्यक है ताकि उसके आधार पर ओसीडी के लक्षणों को पहचान कर उसका इलाज़ कर सकें।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 15 Jun 2022 5:36 PM IST
OCD का इलाज़ सही समय पर कराना है जरुरी अन्यथा हो सकते है पागल
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OCD का इलाज़ सही समय पर कराना है जरुरी अन्यथा हो सकते है पागल

ओसीडी (OCD obsessive compulsive disorder) का नाम आते ही लोगों के दिमाग में कई प्रकार के विचार आने शुरू हो जाते हैं कि यह किस टाइप की बीमारी है, या ये पागलपन से जुडी है या ये बेहद जानलेवा बीमारी है? जाहिर सी बात है जिस बीमारी के बारे में पूरी तरह से इनफार्मेशन ना हो तो इसको लेकर दिमाग में कई तरह की बातें आना लाज़मी है। तो चलिए आज हम आज आपकी इस भ्रान्ति को दूर करने का प्रयास करते हैं।

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर जैसा कि अगर आप ध्यान से पढ़ें तो इसका अर्थ इसके नाम में ही छुपा हुआ है , जी हाँ ओबसेशन (obsession) का मतलब होता है किसी भी व्यवहार की पनरावृत्ति। बता दें कि जो भी विचार आपके मन में बार-बार आते है उसके प्रति सदैव आपका सोचना और उन विचारों से प्रभावित होकर व्यवहार करना इसमें शामिल है। उल्लेखनीय है कि ये विचार , पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्रकार के हो सकते हैं।

गौरतलब है कि कई बार ऐसे विचार आपके मन में बार-बार आते हैं जिसके कारण आपको घबराहट और बेचैनी सी महसूस होने लगती है और आप चाह कर भी नहीं इन विचारों को आने से रोक नहीं पाते।

इसी तरह अगर इसके दूसरे शब्द को देखें तो वो है compulsion। बता दें कि यह शब्द मजबूरी से जुड़ा हुआ माना जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके मन में यह विचार बार -बार आता है कि आपके हाथ गंदे हैं तो आप ना चाहते हुए भी घबराकर अपने हाथों को बार-बार धोते ही रहते हैं। बता दें कि यह प्रक्रिया दोबारा फिर से रिपीट भी होने लगती है । बता दें कि बार - बार हाथ धोना एक प्रकार का कंपल्शन होता है जिससे मरीज को थोड़ी देर के लिए अच्छा महसूस होता है। इसी तरह की क्रिया को ही कंपल्शन compulsion कहा जाता है।

आजकल के असंतुलित जीवन शैली में ओसीडी के मरीजों की संख्या दिन -प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं कराया गया तो आगे चलकर यह बेहद खतरनाक साबित भी हो सकती है। यहाँ तक कि इस समस्या की वजह से चिंता और तनाव के कारण व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ने के कारण उसकी जान भी जा सकती है।

जानें ओसीडी के प्रकार और लक्षण के बारे में:

बता दें कि ओसीडी कई प्रकार का हो सकता है। इसलिए ओसीडी के प्रकार को यह जानना बेहद आवश्यक है ताकि उसके आधार पर ओसीडी के लक्षणों को पहचान कर उसका इलाज़ कर सकें।

कंटैमिनेशन

अधिकांश लोगों में कंटैमिनेशन ओसीडी (OCD) पाई जाती है। बता दें कि इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति में साफ - सफाई के प्रति ओबसेशन अत्यधिक रूप से बढ़ जाता है। इस ओसीडी का लक्षणों में हद से ज्यादा साफ -सफाई करना है फिर चाहे वह शरीर हो, कपड़े हो, कमरा हो, घर हो, चादर हो, या इस तरह की कोई भी चीज हो आदि शामिल है। इतना ही नहीं ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति को ऐसा महसूस होने लगता है कि यदि वो कूड़ेदान के पास से चला जाए तो उनके ऊपर जर्म अटैक कर देंगे जिसके कारण उसे नहाना पड़ेगा। इतना ही नहीं इस समस्या से पीड़ित कुछ लोग तो स्टेशन या कहीं बाहर के टॉयलेट का प्रयोग सिर्फ इसलिए नही करते क्योंकि उनके मन की धारण होती है वो बहुत गंदा होगा। ऐसे रोगियों को हर वक़्त अपना कपडा ख़राब ना हो जाए इसी की टेंशन लगी रहती है। इसके अलावा भी अनेक प्रकार के विचार उनके मस्तिष्क में आते रहते हैं। ऐसे लोग खुद को एक किनारे साफ -सफाई कर के उसी में खुद को अच्छा महसूस करते हैं। गौरतलब है कि "कुछ भी हो सकता है" जैसा संदेह उन्हें बार-बार परेशान भी करता है। इस समस्या से ग्रसित लोगों को हमेशा अपने आस- पास की चीजें बहुत गंदी ही लगती हैं।

उल्लेखनीय है कि जब यह बीमारी व्यक्ति में बढ़ने लगती है तो उसके अंदर साफ - सफाई की आदत इस हद तक पहुंच जाती है कि लोग अपना सामान चाहे वो आफिस का हो, घर का हो या स्कूल का हो, वह किसी भी स्थान पर रखा हो वो उसे उस जगह से हटा देते हैं।ऐसे रोगी के मन में हमेशा यही बात चलती है कि यह चीज गंदी है या यह साफ नहीं होगी। फिर चाहे वो कितनी भी कितनी भी कीमती वस्तु हो वे उसे फेंक करके ही मानते हैं। इतना ही नहीं इस समस्या से ग्रसित बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं कि अगर कोई अन्य व्यक्ति उनकी चादर पर बैठ जाए तो वे उस चादर को बदल कर ही दम लेते हैं। इस ओसीडी से ग्रसित लोगों में इसी प्रकार के प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं।

परफेक्शन सा पूर्णता वाली ओसीडी (OCD)

इस तरह की ओसीडी (OCD) से पीड़ित लोगों को हर बात को लेकर परफेक्शन की चिंता लगी रहती है। जैसे चीज़े एक विशेष प्रकार से क्यों नहीं रखी? अगर रंग मिलता है तो वह चाहेंगे कि हम इसे इंद्रधनुष की तरह सजा दें या उसे अपने हिसाब से किसी भी पंक्ति में रख दें। इतना ही नहीं अगर कोई चीजें एक बराबर नहीं हैं तो वे इसे एक बराबरी से रखने के लिए चिंतित बने रहते हैं। गौरतलब है कि ऐसे रोगियों के दिमाग में बेहद अजीब खयाल भी आ जाता है कि यदि यह चीजें आर्डर में ना रखी जाएँ तो उनके साथ कुछ बुरा हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को बस एक ही चिंता होती है कि वह चीज़ों को एक पंक्ति या आर्डर में रख दें फिर चाहे वह अल्फाबेटिकल हो, न्यूमेरिकल हो, कलर्ड हो, कैसा भी हो लेकिन वो सामान पंक्ति में ही हो।

डाउट एंड हार्म (संदेह करना)

इस तरह के ओसीडी से पीड़ित लोगों के दिमाग में बार- बार किसी भी बात को लेकर एक संदेह का ही ख्याल आते रहता हैं। जैसी कि क्या मैंने दरवाजा बंद किया? या क्या मैंने सिलेंडर बंद किया? या पंखे का बटन बंद है या नहीं, दरवाज़ा कहीं खुला न रह गया, आदि जैसे सवाल उनके मन में हमेशा ही पैदा होते रहते हैं। जिसके कारण वे बार-बार इसको देखने के लिए आते रहते हैं क्योंकि इसको लेकर उनके दिमाग में अजीब तरह का तनाव बना रहता है। इतना ही नहीं जब तक ये लोग इस काम को ना कर लें उन्हें तसल्ली ही नहीं मिलती। आमतौर पर यह आदत सामान्य लोगों में भी आसानी से देखने को मिलती है। कई बार इन लोगों के संदेह की हद इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि जब तक वे 5-6 बार चेक ना कर लें तब तक उन्हें उलझन सी होती रहती है। उनका दिमाग बार-बार घूम -फिर उसी संदेह में ही अटका रहता है। इतना ही नहीं ऐसे लोगों को हमेशा यही भ्रम लगता है कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो कुछ भी बुरा हो जाएगा । इस तरह ना सिर्फ़ उनका खुद का समय नष्ट होता है बल्कि वे हद से ज्यादा परेशान भी रहते हैं। जिसके कारण उनका व्यवहार भी बदलने लगता है।

फोरबिडेन थॉट्स (ना सोचने योग्य चीज़ें व अपराधबोध)

इस ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति के हमेशा ऐसा सोचता है कि कहीं वह गलत इंसान न बन जाए या ऐसा विचार आना जो एक नॉर्मल इंसान के लिए पूर्णतः गलत हो। बता दें कि कभी - कभी तो ऐसे व्यक्ति खुद को गलत मान बैठता है। यहाँ तक वे दूसरे व्यक्ति के लिए भी ग़लत ही सोचने लगते हैं। हालाँकि वे ऐसा जानबूझकर नहीं करते हैं। लेकिन इनके थॉट्स एन्टी रिलिजन (धर्म इत्यादि के विरुद्ध) या सेक्सुअल या हिंसक या किसी विशेष जाति के विरूद्ध भी हो सकते हैं। अकसर ऐसा देखा गया है कि इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति इन विचारों से बचे रहने के लिए प्राथना भी करता है । इतना ही नहीं कुछ गाना सुनकर ऐसे बहुत से विचारो से बचने का प्रयास करते हैं। गौतलब है कि हर व्यक्ति का अपना एक अलग डिफ़ेंस मेकेनिस्म हो सकता है।

ओसीडी (OCD) से बचने के तरीके :

आमतौर पर ओसीडी (OCD) कोई घातक बीमारी या महामारी नहीं है लेकिन अगर समय पर ओसीडी (OCD) का इलाज सही तरीके से नहीं कराया गया तो यह बेहद घातक हो भी सकती है। बता दें कि ओसीडी (OCD) के किसी भी लक्षण की पहचान होने के तुरंत बाद ही डॉक्टर या साइकोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करना चाहिए । समय पर इलाज़ मिलने से यह बीमारी दूर हो जाती है। आप चाहे तो इस बीमारी से बचने के लिए इन बातों को अपने जीवन में पूर्ण रूप से उतार लें ताकि आपको अपने जीवन में ओसीडी (OCD)की समस्या ना हों।

ओसीडी (OCD)की समस्या से बचने के लिए कुछ बातों को अपनाकर आप इस समस्या को भयंकर बनने से रोक सकते हैं। इसमें अपनी स्थिति को देखें व समझें, हर स्थिति में स्वयं का साथ दें, अपने दिमाग में सिर्फ पॉजिटिव थॉट्स या सकारात्मक विचार लाने के साथ यह भी देखें कि वास्तव में क्या हुआ है बजाय इसके कि आप केवल अपने दिमाग़ में आयी बात को ही सुनें, कुछ काम करने का मन करें तो आप उसका उल्टा करें जैसे आप एक ही रंग के कपड़े बार-बार पहनना चाहते हैं तो अलग-अलग रंग के कपड़े पहनें, जब आप असहज स्थिति में रहना सीख जाएँ तो समझें कि आप ओसीडी से बच रहे हैं, अपने व्यवहार में बदलाव लाकर भी आपका दिमाग भी उसी में सहज महसूस करेगा।आदि बातें शामिल हैं।

अगर कोई व्यक्ति हद से ज्यादा कोई भी चीज या कार्य करने लगता है तो यह उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। साथ ही उसकी ये हालत ओसीडी के ही अंतर्गत आती है। गौरतलब है कि अपने आस-पास ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति को देखकर उसे पागल समझने के बजाय उसे साइकोलॉजिस्ट/डॉक्टर के पास ले जाकर उसका सही तरीके से इलाज करवाना जरुरी है।



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Rakesh Mishra

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