TRENDING TAGS :
सावधान लखनऊ! 'टुंडे कबाब' और 'शर्मा चाय' से हटकर जरा इस खबर पर ध्यान दें
नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनउ के लोग तो शुष् से ही खाने के शौकीन रहे हैं ।यहां के टुंडे के कवाब का स्वाद चखने के लिए तो देशभर के लोग यहां आते हैं।
Arnima Dwivedi
लखनऊ: नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनउ के लोग तो शुरू से ही खाने के शौकीन रहे हैं ।यहां के टुंडे के कवाब का स्वाद चखने के लिए तो देशभर के लोग यहां आते हैं। जो नहीं आ पाते उनके लिए आए लोग यहां से पैक करा के ले जाते हैं। लेकिन बदली नई फिजा में खाने के शौकीन लोगों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है।
इसका असर उनके स्वास्थ्य के साथ वजन पर भी पड़ा है। नतीजा ये, कि शरीर को छहररा बनाए रखने के लिए हेल्थ सेंटर या जिम की संख्या भी बढ़ी और उनमें जाने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 'एनएफएचएस' ने हाल ही में किए सर्वे में खुलासा किया है कि लखनऊ का हर पांच में से एक व्यक्ति या तो वजन में ज्यादा है या मोटापे से ग्रस्त है ।लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि मोटापा कई बीमारियों को जन्म देता है।
सर्वे के अनुसार 15 से 49 साल की आयु के 20.3 प्रतिशत लोग ज्यादा वजन या मोटापे की चपेट में हैं। ये राज्य के औसत 14.5 प्रतिशत से ज्यादा है । ये देश के औसत 19.6 प्रतिशत से भी आगे निकल गया है।
पिछली जनगणना यानि 2011 के अनुसार लखनऊ की आबादी 33 लाख 30 हजार थी जिसमें 6 लाख 67 हजार पुरूष और महिलाओं अपने शरीर पर अतिरिक्त चर्बी लिए हैं।
सर्वे में चेतावनी भी दी गई है जिसमें ये बताया गया है कि इससे कैसे बचा जा सकता है। सर्वे ये बताता है कि 2005-06 के बाद ज्यादा वजन या मोटे लोगों की संख्या में दोगुना से ज्यादा इजाफा हुआ है। साल 2005-06 में 8.2 प्रतिशत लोग ज्यादा वजन के शिकार थे जो बाद के 10 साल में दोगुना से ज्यादा हो गए।
अच्छे और लजीज खाना जिससे वजन या मोटापा बढ़ता है उस पर महिलाओं ने कुछ विशेष कृपा की है। सर्वे तो यही दिखा रहा है।
इसमें कहा गया है कि लखनऊ शहर में 28 प्रतिशत महिलाएं तो 19 प्रतिशत पुरूष इसके शिकार हैं जबकि लखनऊ के ग्रामीण इलाके में मामला इसके उलट है। ग्रामीण इलाकों में 10 प्रतिशत महिलाएं तो 16 प्रतिशत पुरूष मोटापे या ज्यादा वजन के शिकार हैं। शहर में 23.6 प्रतिशत तो ग्रामीण इलाके में 12.2 प्रतिशत लोग सामान्य से ज्यादा वजन वाले हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कौसर उसमान कहते हैं कि मोटापा या ज्यादा वजन बडी बीमारियों को आमंत्रित करता है। परेशान करने वाली बात ये कि 15 से 59 साल की आयु के 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं। मतलब परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाले लोग ही मोटापे की चपेट में आ रहे हैं जो नहीं होना चाहिए।
संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के 'एसजीपीजीआई' के प्रोफेसर निर्मल कहते हैं कि लोगों को ऐसे हेल्दी खाने की आदत डालनी होगी जिसमें फैट की मात्रा काफी कम होती है । इसके अलावा खाने में नमक और चीनी की मात्रा पर भी नियंत्रण रखना होगा ।
क्या है मोटापा?
मोटापा एक तरह की बीमारी है, जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है ।ये कई रोगों को आमंत्रित करती है। किसी भी व्यक्ति की लंबाई से उसके वजन को मापा जाता है । ये युवाओं में तेजी से बढने वाली बीमारी है जिससे दुनिया में होने वाली मौत की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
शारीरिक काम कम करने ,बच्चों में अब मैदान में खेलकूद में शामिल नहीं होने बेतरतीब तरीके से खाने पीने के कारण मोटापा बढता है जिसे खान पान में बदलाव या शारीरिक श्रम कर कम किया जा सकता या इससे बचा जा सकता है।
Next Story