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Osho Video Viral: जानिए ओशो ने बच्चों की कौन सी बात पर ध्यान नहीं देने को कहा है
Osho Video Viral: ओशो के अनमोल विचार आज भी लोगों के जीवन में अहम् हैं जो उन्हें सही मार्ग दिखते हैं, आइये जानते हैं उन्होंने अहंकार के लिए क्या है और इससे अपने बच्चों को कैसे आप बचा सकते हैं।
Osho Video Viral: ओशो के विचार व्यक्ति को आज भी सही मार्ग दिखाते हैं। ये विचार आपके लिए पथ प्रदर्शक का काम कर सकते हैं। लेकिन ये तभी संभव है जब आप इन्हे आत्मसात कर लें और जीवन में इन बातों का मूल्य भी समझें। कई बार हम अपने जीवन में इन बातों का मोल नहीं समझते और परेशानियों में पड़ जाते हैं ऐसे में ओशो के ये विचार मैजिक का काम करते हैं। आइये जानते हैं इस वीडियो में ओशो क्या कह रहे हैं।
ओशो का वीडियो वायरल (Osho Video Viral)
ओशो कहते हैं कि ध्यान की मांग अहंकार की मांग है, इसकी बड़ी ज़रूरत है। इसके बिना अहंकार जी ही नहीं सकता। ये अहंकार का भोजन है इसलिए अगर बहुत लोग तुम्हारे प्रति ध्यान दें तो अच्छा लगता है। तुम आओ और कोई ध्यान ही न दे तुम आओ और चले जाओ कोई जय राम जी भी न करे राह से गुज़रो और कोई देखे भी न तुम्हारी तरफ। आदमी तो आदमी कुत्ते भी न भौकें तुम्हे देखकर। तो तुम बड़े उदास हो जाओगे, बड़े हताश हो जाओगे। सोचोगे कि ये हुआ क्या है। इसलिए तो लोग कहते हैं कुछ तो हो नाम भले न हो बदनामी भी हो जाये तो भी ठीक है। बदनामी भी होगी तो कुछ नाम तो होगा। लोग चर्चा तो करेंगे। सब चाहते हैं चर्चित होना। ध्यान दिया जाये। इसीलिए तो राजनीति की इतनी पकड़ है दुनिया में।
ओशो आगे कहते हैं कि," राजनीति का इतना बल और आकर्षण क्या है? राजनैतिक को मिल क्या जाता है?" फिर वो उत्तर देते हैं," हज़ारों लाखों लोगों का ध्यान मिल जाता है। उससे अहंकार की तृप्ति होती है। इतने लोग मेरी तरफ देख रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री, मैं राष्ट्रपति इतने लोग मेरी तरफ देख रहे हैं। मैं ख़ास। छोटे बच्चो में भी आपने ऐसा देखा होगा, जब घर में मेहमान आते हैं तो ध्यान अपनी तरफ लेन की कोशिश करते हैं। जो बच्चे अभी शांत ही थे वो भी अशांत हो जाते हैं। मेहमान आये नहीं कि बच्चों ने उपद्रव शुरू किया। कोई आकर खड़ा हो जायेगा और कहेगा मुझे भूख लगी है, कोई कहेगा मुझ्रे प्यास लगी है । बच्चे लड़ने लगेंगे ,वो मेहमानों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। वो ये कह रहे हैं कि सारा ध्यान तुम्ही क्यों लिए ले रहे हो। हम हैं यहाँ। वो घोषणा कर रहे हैं अपने होने की। बच्चों को ये पता होता है कि अभी जो भी मांग वो करेंगे वो पूरी की जाएगी। बाहर चले जाओ, कुल्फी ले आओ जो भी मांग होगी वो मेहमानों के सामने पूरी हो जाएगी। राजनीति यहीं से शुरू हो गयी। मेहमानों के सामने माँ कुछ नहीं कहेगी।
छोटे छोटे बच्चों के अंदर भी वही रोग पैदा हो जाता है जो बड़े होकर काफी भयंकर रूप ले सकता है। तो स्वभावतयाः वीणा अगर तू मस्त रहेगी नाचेगी गायेगी गुनगुनायेगी तो बच्चों को ऐसा लगेगा कि उनपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लेकिन इससे हानि नहीं हो रही लाभ हो रहा है। तेरे बच्चे राजनैतिक नहीं बनेगें। उनके अहंकार की तृप्ति इतनी ही है। अहंकार की तृप्ति वैसे ही है जैसे कोई खाज को खुजलाने में आती है पहले तो आपको आनंद आता है मीठा मीठा मज़ा मिलता है लेकिन इसके बाद कोई खराश घाव बना देती है। अहंकार खाज जैसा ही है शुरू शुरू में तो अच्छा लगता है लेकिन बाद में कष्ट होता है तेरे बच्चों को तेरी मस्ती से तेरे ध्यान न देने से कष्ट होगा लेकिन वो एक अच्छे इंसान बन जायेगे। ये मत सोचना इससे अन्याय हो रहा है बल्कि ये न्याय हो रहा है।