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ALERT! चाहे जितना भी हो दर्द पर कभी मत खाना ये टेबलेट

Newstrack
Published on: 14 May 2016 11:49 AM IST
ALERT! चाहे जितना भी हो दर्द पर कभी मत खाना ये टेबलेट
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लखनऊ: ज्यादातर लोग पेट दर्द, फीवर, सरदर्द चाहे कोई भी बीमारी हो जाए तो लोग सबसे पहले कहते हैं कि कॉम्बिफ्लेम खा लो । ये हर तरह के दर्द के लिए आमतौर पर ली जाने वाली सबसे ज्यादा फेमस दवा है, लेकिन इस दवा को लेने की आदत से मजबूर हो चुके लोगों के लिए एक खतरे की खबर है । सैंपल टेस्ट में फेल होने की वजह से फ्रेंच फार्मा कंपनी सनोफी ने इंडिया से कॉम्बिफ्लेम के 4 बैच वापस मंगाने का फैसला किया है, क्योंकि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने इन बैचों की दवा को सस्ती क्वालिटी का पाया है।

बैड क्वालिटी की दवा

सनोफी ने पिछले साल जून से जुलाई के बीच में दवाओं को बनाया था, इनकी एक्सपायरी डेट मई 2018 से जून 2018 के बीच की है। इन दवाओं को कंपनी के गुजरात में स्थित अंकलेश्वर की फैक्टरी में बनाया गया था। डीएससीओ ने कॉम्बिफ्लेम के जून 2015 और जुलाई 2015 में तैयार किए गए दवाओं को बैड क्वालिटी का बताया है।और ये मई 2018 और जून, 2018 की एक्सपायरी डेट तक के लिए हैं।

क्वालिटी में खराबी

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने अपने वेबसाइट नोटिस में कहा है कि कॉम्बिफ्लेम के कुछ दवाओं में क्वालिटी में कमी है, क्योंकि ये डिसइंटीग्रेशन टेस्ट में नाकाम रहा है, डिसइंटीग्रेशन टेस्ट का इस्तेमाल किसी टैबलेट या कैप्सूल के मानव शरीर में पहुंचकर टूटने के समय को मापने के लिए होता है। इस टेस्ट का इस्तेमाल दवा बनाने की गुणवत्ता मापने में किया जाता है। सीडीएससीओ ने सनोफी इंडिया की कॉम्बिफ्लेम की गुणवत्ता परखने के लिए इसका डिसइंटीग्रेशन टेस्ट कराया था। इसमें दवा के कई बैच नियामक की ओर से तय गुणवत्ता मानकों के अनुसार नहीं निकले।

कंपनी की सफाई

इंडिया में सनोफी की 5 सबसे बड़े ब्रांडों में से एक कॉम्बिफ्लेम पैरासिटामोल और आईबूप्रोफेन का कॉम्बिनेशन है। लिहाजा सनोफी ने सफाई दी है कि कॉम्बिफ्लेम के मामले में डिसइंटीग्रेशन टाइम में देरी दर्ज की गई है, लेकिन डॉक्टर और मरीज भरोसा रखें कि इससे दवा की क्षमता और मरीजों की सेफ्टी पर कोई असर नहीं पड़ा है।

कैसे होगा इस दवा का साइड इफेक्ट

डिसइंटिग्रेशन टेस्ट में फेल होना हेल्थ के लिए बड़ा खतरा हो सकता है, क्योंकि इस टेस्ट में ये जानने की कोशिश की जाती है कि कितने समय में कोई टैबलेट या कैप्सूल शरीर के अंदर टूटकर घुलमिल जाती है। कॉन्बिफ्लेम दवा इसी मानक पर टेस्ट में फेल हुई है और दवाइयों की बड़ी खेप सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं। इनके इस्तेमाल से मरीज को कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ऐसी दवा से पेट में ब्लीडिंग हो सकती है। गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनल की दिक्कतें और दस्त की समस्या भी देखी जा सकती हैं



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