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आपकी लाइफ स्टाइल का है कोरोना संक्रमण से नाता, फिजिकल एक्टिविटी बेहद जरूरी
एक रिसर्च में पता चला है कि आरामतलब जीवन शैली का कोरोना के गंभीर संक्रमण या कोरोना से मौत होने से संबंध है।
एक अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
लखनऊ: अगर आप शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं हैं, फिटनेस और कसरत से दूर रहते हैं और आरामतलब जिंदगी जी रहे हैं तो सावधान हो जाइए। ऐसी लाइफ स्टाइल वालों को कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है। वैसे तो किसी को कोरोना का गंभीर संक्रमण होने और किसी को हल्का संक्रमण होने या कुछ भी न होने के तमाम कारण हैं, लेकिन उनमें एक प्रमुख कारण है लोगों की लाइफ स्टाइल या जीवन शैली।
एक रिसर्च में पता चला है कि आरामतलब जीवन शैली का कोरोना के गंभीर संक्रमण या कोरोना से मौत होने से संबंध है। निष्क्रिय, सुस्त और ज्यादातर समय बैठे रहने वालों के लिए ये बड़े खतरे की चेतावनी है। अमेरिका में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि महामारी से दो साल पहले तक जो लोग लगातार आरामतलब जिंदगी जी रहे थे और शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं थे उनके अस्पताल में भर्ती होने की नौबत ज्यादा रही। यही नहीं, शारीरिक रूप से एक्टिव रहने वालों की अपेक्षा आरामतलब मरीजों के आईसीयू में भर्ती होने और मृत्यु होने की ज्यादा आशंका रही है।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में छपी स्टडी में कहा गया है कि शारीरिक रूप से इनएक्टिव लोगों के अलावा उम्रदराज और अंग प्रत्यारोपण कर चुके लोगों में कोरोना की गंभीर स्थिति का ज्यादा जोखिम है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि शारीरिक आरामतलबी सबसे बड़ा जोखिम है। इसके बाद धूम्रपान, मोटापा, डाइबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और कैंसर जैसे रिस्क फैक्टर आते हैं।
इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने कोरोना से संक्रमित 48,400 लोगों का अध्ययन किया। इनकी औसत उम्र 47 वर्ष थी और औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 31 था जो मोटापे की कैटेगरी में आता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि हर हफ्ते 150 मिनट की शारीरिक एक्टिविटी करने वालों की तुलना में उन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दोगुनी संभावना थी जो आरामतलब जीवनशैली वाले थे। ऐसे लोगों के आईसीयू में जाने की संभावना 73 फीसदी ज्यादा पाई गई। यही नहीं, ऐसे इनक्टिव लोगों के कोरोना से मरने की संभावना ढाई गुना ज्यादा थी। शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना से बचने के लिए मास्क, सोशल डिस्टेनसिंग के साथ साथ नियमित शारीरिक एक्टिविटी बेहद जरूरी है।
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