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Hindi Poetry: गंवई सुख आज हेराइ गवा
Poetry: गोंदरी का लीलि गई कुरसी पंखा बेना का खाइ गवा
Poetry:गोंदरी का लीलि गई कुरसी
पंखा बेना का खाइ गवा
अब कुआं कै पानी जूड भाय
बोतलि मा जाइ समाय गवा
अब मेरि मेरि बेमारी कै
दस्तक है अवधी गउआं मा
जबरी सुख सुबिधा के चलते
गंवईं सुख आज हेराइ गवा !
मिक्सी सिल लोढा दांइ गई
चकिया पर भारी चक्की है
मोटर से लोटा भरइ लाग
गंउआ कै यहै तरक्की है
ढकिया जाडे मा तापि गई
चाउर पइकिट मा आइ गवा
जबरी सुख सुबिधा के चलते
गंवई सुख आज हेराइ गवा !
लडिकेन् कै खटिया दूर परी
खटिया से आजी नानी के
बचपन रहि जात अधूरा अब
बिन किस्सा अउर कहानी के
बित्ता भर यहै मुबाइल कुलि
ब्यउहार गांव कै खाय गवा
जबरी सुख सुबिधा के चलते
गंवई सुख आज हेराइ गवा !
वहि प्राइमरी विद्यालय का
अब एक्सीलेंट दबोटत् है
अउ संस्कार के छाती पय
अंगिरेजी किरवा लोटत है
यहि ताका ताकी मा अवधी
घरुही तक कइउ बिकाइ गवा
जबरी सुख सुबिधा के चलते
गंवईं सुख आज हेराइ गवा !
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