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Premanand Maharaj Pravachan: रिलेशनशिप में हैं तो सुन लें प्रेमानंद महाराज की ये बात, युवाओं के लिए बड़ी सीख

Premanand Ji Maharaj Tips For Youth: प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संग और कथा के माध्यम से लोगों को जीवन जीने का सही ढंग बताते हैं। इस बीच उन्होंने कुछ जरूरी रिलेशनशिप टिप्स दिए हैं।

Shreya
Written By Shreya
Published on: 26 Sep 2024 7:43 AM GMT
Premanand Maharaj Pravachan: रिलेशनशिप में हैं तो सुन लें प्रेमानंद महाराज की ये बात, युवाओं के लिए बड़ी सीख
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Premanand Ji Maharaj (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Premanand Ji Maharaj Relationship Tips In Hindi: प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) वृंदावन के मशहूर आध्यात्मिक गुरु और संत हैं। वह राधा रानी के अनन्य भक्त हैं। प्रेमानंद जी अपने सत्संग और कथा के माध्यम से लोगों को जीवन जीने का सही ढंग बताते हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके प्रवचन (Premanand Maharaj Ji Ke Pravachan) के वीडियोज आए दिन वायरल होते रहते हैं। इस बीच उनका एक वीडियो (Premanand Ji Maharaj Video) खूब पसंद किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने युवाओं को कुछ जरूरी रिलेशनशिप टिप्स दिए हैं। आइए जानें वृंदावन के संत का रिलेशनशिप को लेकर क्या कहना है।

आज के इस मॉर्डन जमाने में लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। लोग शादी से पहले ही अपने पार्टनर के साथ रहने लगते हैं। यही नहीं आज के समय में शादी से पहले शारीरिक संबंध (Physical Relationship) में रहना भी काफी कॉमन हो गया है। इस बीच प्रेमानंद जी महाराज ने रिलेशनशिप में रहने वाले युवक-युवतियों को महत्वपूर्ण सलाह दी है। साथ ही बताया है कि रिलेशनशिप में रहना सही है या नहीं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

क्या कहना है प्रेमानंद जी महाराज का?

राधा रानी के परम भक्त प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि दोस्ती करना कोई गलत चीज नहीं है। लेकिन रिलेशनशिप (Relationship) में रहना उचित नहीं है। उनका मानना है कि युवाओं को शादी से पहले शारीरिक संबंधों के विचार तक से दूर रहना चाहिए। उन्होंने युवाओं को ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) का पालन करने और जीवन में पवित्रता बनाए रखने की नसीहत दी है।

कब तक नहीं रखना चाहिए शारीरिक संबंध

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, एक व्यक्ति को तब तक किसी भी तरह के शारीरिक संबंध (Physical Relationship) में नहीं आना चाहिए। जब तक उनके माता-पिता द्वारा विवाह संस्कार संपन्न न हो जाए। उन्होंने इसे आत्म-संयम और ब्रह्मचर्य का सबसे बड़ा सुख बताया है।

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