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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि सत्य की राह चलने की निंदा और बुराई अवश्य होती है, इससे घबराना नहीं चाहिए
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन सुनना हर किसी को काफी पसंद है उनकी बातें उन्हें अन्य गुरुओं से काफी अलग बनातीं हैं यही वजह है कि महाराज जी सोशल मीडिया पर भी खूब पॉपुलर हैं।
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों के द्वारा अपने भक्तों को कई ज्ञान की बातें बताते आये हैं। उनकी कही बातें लोगों के जीवन में पथप्रदर्शक का काम करतीं हैं। वहीँ कई लोग उनके दरबार में अपनी दुविधाओं को लेकर उनके सामने आते हैं जिसका वो बेहद आसान तरीके से हल निकालते हैं। आज हम आपको प्रेमानंद जी महाराज द्वारा कही कुछ ऐसी ही ज्ञान की बातें बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन में बेहद उपयोगी साबित होंगीं।
प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार (Premanand Ji Maharaj)
- इस भौतिक संसार में किसी के पास आपको पकड़ने की शक्ति नहीं है, आप ही हैं जो पकड़ते हैं और आप ही हैं जिन्हें छोड़ना है।
- अगर आप अपने मन को वश में करना चाहते हैं तो पवित्र नाम का जाप करें।
- सभी समस्याओं के समाधान का एक सरल उपाय है। ईश्वर को अपना वास्तविक स्वरूप स्वीकार करें, उसके स्थान पर किसी को न रखें।
- सुबह उठते ही गुरुदेव को प्रणाम करें और निर्णय लें कि आज हम अपना पूरा समय भगवान को समर्पित करने का पूरा प्रयास करेंगे।
- सत्य की राह चलने की निंदा और बुराई अवश्य होती है, इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है।
- भगवान की आराधना के बिना मनुष्य सुख प्राप्त नहीं कर सकता; स्वप्न में भी शान्ति नहीं मिल सकती।
- किसी भी तीर्थ में, किसी भी उत्सव में, किसी भी महान उत्सव में इतनी शक्ति नहीं है जितनी भगवान के नाम में है, इसलिए अपने आप को भगवान के नाम में डुबो दें।
- संसार में फँसाने के लिए तो लाखों लोग हैं, लेकिन संसार से निकालकर ईश्वर से मिलाने वाले एकमात्र आपके गुरुदेव ही हैं।
- तन और मन को पवित्र रखने से संसार से वैराग्य हो जाता है और इन्हें अपवित्र रखने से भोगों और शरीर मे आसक्ति बढ़ जाती है।
- अपनी सारी कमियों से चिंतन हटाकर, एकमात्र प्रभु का चिंतन करिए, आप में समस्त दिव्य गुण जागृत हो जाएँगे।
- जिसकी जवानी तपमय है, उसकी वृद्धावस्था महान आनंदमय होगी और जिसकी जवानी भोगमय है, उसकी वृद्धावस्था दुर्गतिमय होगी।
- जिसके मुख में नाम चल रहा है, उसका दसों दिशाओं में अमंगल नहीं हो सकता।
- यदि भजन नहीं करोगे, तो तुम्हें कोई सुखी नहीं कर सकता।
- जो भगवान की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन उनके सामने नृत्य करता है, ऐसे प्रेमी उपासक को संसार की माया के सामने नृत्य नही करना पड़ता।
- भगवान पूर्ण रूप से परम स्वतंत्र हैं, लेकिन वे अपने भक्तों के प्रेम को स्वीकार करके उनके अधीन हो जाते हैं।
- समस्त साधना और सेवा का फल है... "अहंकार का नाश".... और यह फल केवल गुरुदेव ही प्रदान करते हैं।
- एक ही सूत्र जीवन में सुलझाने के लिए पर्याप्त है की, हमारे इष्ट के सिवा कुछ था नहीं, कुछ है नहीं, और कुछ रहेगा नहीं।
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