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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज इन विचारों को अपनाकर जीवन बन जायेगा सुखी, जानिए क्या कहते हैं वो
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के विचारों को अगर आप भी अपने जीवन में अपना लेते हैं तो आपको प्रभु का आशीर्वाद अवश्य मिलेगा और साथ ही जीवन का आनंद भी आप ले पाएंगे।
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों द्वारा लोगों को काफी प्रभावित करते हैं। सोशल मीडिया में भी उनके खूब चर्चे हैं। उनके द्वारा बताई बातें आपको सत्य मार्ग से विचलित नहीं होने देंगीं। बाबा स्वयं राधा रानी के परम भक्त हैं और लोगों की हर परेशानी का हल पल भर में ही दे देते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए उनके श्री मुख से निकली कुछ ऐसे बातों का संग्रह लेकर आये हैं जो आपको सफलता के मार्ग पर अग्रसर करेंगीं और आपको ज्ञान देंगीं।
प्रेमानंद जी महाराज के लाखों करोड़ों भक्त हैं जो उन्हें सुनना काफी पसंद करते हैं। वो बेहद सरलता से मनुष्य की समस्याओं का हल उसके सामने रख देते हैं। वहीँ उनकी ये बातें आपको सही मार्ग और प्रभु भक्ति में लीन रहकर सफल होना सिखाएँगीं।
1 सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है। जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो, वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
2 स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है। तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है, वह उनकी कृपा का प्रभाव है। तुम जिसका भोग कर रहे हो, वह सब ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ कर्म करो, जीवन यापन करो, जीवन सुखमय होगा।
3 ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।
4 हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति से क्या होगा, कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।
5 कोई व्यक्ति तुम्हें दु:ख नहीं देता बल्कि तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दु:ख के रूप में प्राप्त होते हैं।
6 जिनके मुख में परमेश्वर का नाम नहीं है, वे जीवित तो हो सकते हैं, परन्तु मुंह से मरे हुए हैं।
7 डरो मत, गिरोगे भी तो आगे बढ़ना है, हजार बार भी गिरोगे तो भी आगे बढ़ना है।
8 इस भौतिक संसार में किसी के पास आपको पकड़ने की शक्ति नहीं है, आप ही हैं जो पकड़ते हैं और आप ही हैं जिन्हें छोड़ना है।
9 क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है… बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
10 प्रभु का नाम जप संख्या से नहीं डूब कर करो।