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Rabies: रेबीज सतर्कता और जागरूकता ही है इसका उपाय, जानें लक्षण, कारण और बचाव

Rabies: मनुष्य में रेबीज के फैलने का मुख्य कारण कुत्ते ही माने जाते है। लेकिन अभी भी लोगों में रेबीज के बारे में बहुत ज्यादा जागरूकता की कमी देखने में आती है।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 6 Jun 2022 2:49 PM IST
Rabies vigilance and awareness
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रेबीज सतर्कता और जागरूकता। (Social Media)

Rabies: रेबीज सेंट्रल नर्वस सिस्टम की घातक वायरल बीमारी मानी जाती है। सामान्य भाषा में रेबीज शब्द का अर्थ होता है 'पागलपन'। आमतौर पर यह कुत्तों और जंगली मांसाहारी जानवरों (wild carnivorous animals) के काटने से फैलती है। मनुष्यों सहित सभी गर्म खून वाले जानवर (warm-blooded animals) रेबीज संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील माने जाते हैं।

बता दें कि ज्यादातर मामलों में रेबीज के लक्षण तीन महीनों के भीतर नजर आने लगते हैं। लेकिन कभी -कभी कुछ दुर्लभ मामलों में कई वर्षों के बाद भी ये बीमारी व्यक्ति को हो सकती है। गौरतलब है कि मनुष्य में रेबीज के फैलने का मुख्य कारण कुत्ते ही माने जाते है। लेकिन अभी भी लोगों में रेबीज के बारे में बहुत ज्यादा जागरूकता की कमी देखने में आती है। इसी सम्बन्ध में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। जिसमें लोगो को इस बीमारी से जुड़े सभी छोटी -बड़ी जानकारी दी जाती है।

रेबीज का वायरस कैसे फैलता है?

बता दें कि संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों (salivary glands) में रेबीज का वायरस मौजूद होता है। और जब ये संक्रमित जानवर (infected animal) किसी भी व्यक्ति को काटता है तो ये वायरस घाव के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसके मस्तिष्क तक पहुंचता है। जिसके कारण ये व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में स्थापित हो जाता है। इतना ही नहीं कुछ समय बाद यह नसों के माध्यम से लार ग्रंथियों (salivary glands) में भी फैल जाता है। गौरतलब है कि अक्सर इस समस्या में व्यक्ति के मुंह में झाग पैदा होता है। उल्लेखनीय है कि संक्रमण के चार से छह सप्ताह के बीच व्यक्ति में इस बीमारी के बढ़ने होने की सबसे ज्यादा आशंका होती है। हालांकि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 10 दिनों से आठ महीने के बीच का ही होता है मतलब आठ महीनों के भीतर ये बीमारी कभी भी हो सकती है।

गले की मांसपेशियां हो सकती हैं लकवाग्रस्त

रेबीज़ बीमारी का शुरुआती चरण सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। गौरतलब है कि इस वायरस से संक्रमित जानवर स्वस्थ नजर आता है लेकिन थोड़े से उकसावे पर वह व्यक्ति को काट लेता है। उल्लेखनीय है कि इस वायरस से संक्रमित जानवर की गले की मांसपेशियां लकवाग्रस्त हो जाती है जिससे वह किसी काटने में असमर्थ हो जाता है। इतना ही नहीं इसके कुछ दिन बाद उसकी मौत हो जाती है। बता दें कि अगर कोई कुत्ता रेबीज़ से संक्रमित होता है तो अकसर ये देखा गया है कि ज्यादातर मामलों में रेबीज होने के कारण उसकी 3 से 5 दिनों के अंदर मौत तक हो सकती है।

हृदय या रेस्पिरेटरी फेलियर से सकती है मौत

उल्लेखनीय है कि मनुष्यों में भी रेबीज जानवरों के जैसे ही होता है। मनुष्यों में इसके होने के कुछ लक्षण होते हैं जिनमें कुछ प्रमुख हैं

  • अवसाद
  • सिरदर्द
  • मतली
  • दौरे
  • एनोरेक्सिया,
  • मांसपेशियों में अकड़न
  • ज्यादा लार

बता दें कि रेबीज से पीड़ित व्यक्ति की गले की मांसपेशियां लकवाग्रस्त हो जाने के साथ उसे निगलने या पानी गटकने में भी ज्यादा परेशानी होती है। इतना ही नहीं इसके कारण उसमें पानी का डर (हाइड्रोफोबिया) भी पैदा हो जाता है। उल्लेखनीय है कि रेबीज से संक्रमित व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ जाने के साथ जल्द ही वह कोमा में भी चला जाता है। आमतौर पर हृदय या रेस्पिरेटरी फेलियर के कारण एक सप्ताह से भी कम समय में व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।

उपचार

सबसे चिंता की बात यही है कि रेबीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर इस बीमारी के होने से पहले कुछ जरूरी सावधानियां और इलाज कराया जाए तो इससे बचा जा सकता है। गौरतलब है कि संक्रमित जानवर के काटने के तुरंत बाद घाव को साफ करने के साथ व्यक्ति को एंटी रेबीज सीरम की एक खुराक मिलनी भी बेहद जरूरी है। उल्लेखनीय है कि ये सीरम घोड़ों या मनुष्यों से प्राप्त होती है। सीरम रोगी को रेबीज के एंटीजन के खिलाफ पहले से तैयार एंटीबॉडी भी प्रदान करता है। लेकिन ये उपचार तभी प्रभावी हो सकते है जब इसे एक्सपोजर के 24 घंटों के भीतर ही दिया जाए। गौरतलब है कि यदि इसे तीन से ज्यादा दिनों के बाद दिया जाये तो इसका महत्व बहुत कम हो जाता है।

इसलिए बेहद जरुरी है कि शरीर खुद एंटीबॉडी बना सके। इसके लिए रेबीज की वैक्सीन के साथ एक्टिव इम्यूनाइजेशन भी जरूर शुरू किया जाना चाहिए। इसके लिए सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी टीकों में ह्यूमन डिप्लोइड सेल वैक्सीन (HDCV), प्यूरिफाईड चिक एंब्रियो सेल कल्चर (PCEC), और रेबीज वैक्सीन एडसॉर्ब्ड (RVA) आदि शामिल हैं। बता दें कि इस समस्या में पुराने टीकों के साथ, कम से कम 16 इंजेक्शन की आवश्यकता हुआ करती थी, जबकि आमतौर पर एचडीसीवी, पीसीईसी, या आरवीए के साथ, 5 पर्याप्त माने जाते हैं। इसलिए विशेषज्ञ रेबीज के जोखिम वाले व्यक्तियों को प्रीएक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (pre-exposure prophylaxis) के रूप में रेबीज का टीका लगवाने की सलाह देते हैं।



Deepak Kumar

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