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Rajiv Gandji's Death Anniversary: राजीव गाँधी के वो आखिरी पल... क्या हुआ था उस रात , कैसे हुई उनकी हत्या
Rajiv Gandji's Death Anniversary: आज से 33 साल पहले आज की ही रात करीब 10 बजे राजीव गाँधी की हत्या कर दी गयी थी उस समय वो तमिलनाडु में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करने पहुंचे थे।
Rajiv Gandji's 33rd Death Anniversary: राजीव गांधी अगर जीवित रहते तो आज 80 साल के होते। आज से 33 साल पहले आज के ही दिन इसी तरह की गर्मी की रात में, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री की लिट्टे के आत्मघाती हमलावर ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। वहां मौजूद कई चश्मदीद गवाहों ने इस मंज़र को अपनी आँखों से देखा और उस रात की घटना को बताया भी कि आखिर उन्होंने उस रात क्या-क्या देखा था।
राजीव गाँधी के वो आखिरी पल (Last Minute of Rajiv Gandhi)
उन्ही चश्मदीदों में से एक ने बताया जैसे ही हम मुख्य सड़क से मुड़े, उनके (राजीव गाँधी) स्वागत में पटाखे फोड़े जाने लगे। हम थोड़ी ऊंची जमीन पर एक ढलान पर रुके थे और श्रीपेरंबुदूर में मुख्य मंदिर के सामने कुछ सौ गज की दूरी पर खुले स्थान पर चले गए थे, जहां एक लाल कालीन बिछा हुआ था।
वो बिना किसी हिचकिचाहट के भीड़ में चले गए, तो एक बहुत तेज़ आवाज आई, क्योंकि एक बम विस्फोट हुआ और ये एक चकाचौंध फ्लैश की तरह था। इसके बाद सब बदल गया। एक क्षण, जो भारतवासियों और उस रात के चश्मदीदों के दिमाग में हमेशा समय के साथ जमा रहेगा। ठीक रात के 10.21 बजे थे।” नीना गोपाल की द असैसिनेशन ऑफ राजीव गांधी में हत्या का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया गया है क्योंकि वह उनका साक्षात्कार लेने वाली आखिरी पत्रकार थीं और जब उनकी हत्या हुई तो वो कुछ ही दूरी पर थीं।
वहां आवाज़ आ रही थी राजीव गांधी अवरुंडे मंडलै अदिपोदलम।” "डंप पैन्निडुंगो।" राजीव गांधी का सिर फोड़ दो. उसे ख़त्म करो. “मरनै वेचिडुंगो।” उसे मार दो। कोई भी अवरोधन इतना भयावह नहीं होगा जितना कि 1990 में अप्रैल के उस दिन, लिट्टे द्वारा पसंदीदा आवृत्ति पर वीएचएस संचार के छोटे विस्फोटों में आए हत्या के आदेश के समान होगा।
21 मई की शाम को उस दिन लगभग 6 बज रहे थे जब उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में अपनी चुनावी सभाएँ समाप्त कीं और तमिलनाडु के लिए वो रवाना हुए। उनके हेलिकॉप्टर को मद्रास जिसे उस समय चेन्नई कहा जाता था की उड़ान के लिए तैयार किया जा रहा था। जहां जीके मूपनार, मार्गथम चन्द्रशेखर और युवा जयंती नटराजन सहित कई कांग्रेस नेता कांग्रेस सुप्रीमो के स्वागत के लिए उपस्थित थे।
तभी राजीव गांधी के पायलट ने अचानक उन्हें सूचित किया कि हेलिकॉप्टर में कुछ तकनीकी खराबी आ गई है और चेन्नई के लिए उड़ान भरना अब संभव नहीं होगा। राजीव गांधी बेहद निराश हो गए और बेमन से उन्होंने राज्य अतिथि गृह की ओर बढ़ना तय किया।
जब राजीव गांधी गेस्ट हाउस की ओर जा ही रहे थे, तभी उनके साथ चल रही पुलिस टीम को एक वायरलेस संदेश मिला कि हेलिकॉप्टर उड़ान भरने के लिए तैयार है। राजीव गांधी तुरंत मुड़े और फिर से हवाई अड्डे की ओर चले दिए। उस समय राजीव गांधी के पायलट कैप्टन चंडोक थे जिन्होंने बाद में इस बात का खुलासा किया कि किंग्स एयरवेज़ के इंजीनियरों ने हेलिकॉप्टर की संचार प्रणाली में तकनीकी खराबी को जल्द ही ठीक कर दिया था।
राजीव गांधी चेन्नई पहुंचने के लिए इतनी जल्दी और इतने उत्सुक थे कि उन्होंने अपने निजी सुरक्षा प्रमुख ओपी सागर को भी सूचित नहीं किया। जो उस समय एक अलग वैन में ही यात्रा कर रहे थे। राजीव अपनी निजी सुरक्षा टीम के बिना मद्रास पहुंच गए, जो विशाखापत्तनम में राज्य अतिथि गृह जा रहे थे।
इसके बाद रात करीब 8.30 बजे या उससे कुछ मिनट पहले, मद्रास हवाई अड्डे पर कांग्रेस नेताओं ने बेहद गर्मजोशी के साथ राजीव गांधी का स्वागत किया। राजीव गांधी को उस रात श्रीपेरंबदूर में भी एक चुनावी रैली को संबोधित करना था। वो रैली के लिए पहले ही देर से पहुंचे थे क्योंकि उनके हेलिकॉप्टर में कुछ तकनीकी खराबी आ गयी थी और इस वजह से उन्हें देर हो गयी थी।
राजीव गांधी एम. चन्द्रशेखर, जी.के. मूपनार और राममूर्ति के साथ एक कार में बैठे। जयंती नटराजन दूसरी कार में उनके पीछे थीं। 21 मई 1991 को जब राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर पहुंचे तो रात के 10.10 बज चुके थे। वहां भारी भीड़ राजीव गांधी का इंतजार कर रही थी। उस समय राजीव गांधी की प्रशंसा में उनकी मां इंदिरा गांधी का नाम लेते हुए एक गाना बजा रहा था।
रैली के दौरान भीड़ में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी उनके लिए अलग गैलरी बनी हुई थी। राजीव गांधी पहले पुरुष वर्ग की ओर गए और फिर गैलरी की ओर बढ़े जहां महिलाएं उनके लिए हांथों में माला लिए उनका जयकारा कर रही थीं। तभी भीड़ में मौजूद लगभग 30 साल की एक युवा महिला भी थी, जो जानबूझकर राजीव गांधी की ओर बढ़ी। लेकिन एक महिला पुलिसकर्मी, अनुसूया ने महिला को रोकने की कोशिश भी की लेकिन राजीव गांधी ने हस्तक्षेप किया और उसे आने देने निर्देश दिया।
राजीव गांधी ने पुलिसकर्मी अनुसूया से कहा था, "चिंता मत करो। आराम करो।" ये उनके आखिरी शब्द थे। माला लेकर बढ़ी ये महिला लिट्टे की कलैवानी राजरत्नम उर्फ धनु थी और कुछ ही सेकण्ड्स में भारत के इस दौर का अंत हो गया। हंसते मुस्कुराते राजीव गाँधी का वो चेहरा हर किसी के ज़हन में आज भी है।