Raksha Bandhan Itihas: कैसे शुरू हुई रक्षाबंधन की परंपरा, जानें इसका इतिहास

Raksha Bandhan Ki Kab Se Shuruaat Hui: रक्षाबंधन का त्योहार भाईयों और बहनों के अटूट प्रेम, विश्वास और सम्मान का प्रतीक है। आइए जानते हैं इसके इतिहास के बारे में।

Shreya
Written By Shreya
Published on: 5 Aug 2024 4:01 AM GMT
Raksha Bandhan Itihas: कैसे शुरू हुई रक्षाबंधन की परंपरा, जानें इसका इतिहास
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Raksha Bandhan (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Raksha Bandhan History In Hindi: रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि (Raksha Bandhan Kab Manaya Jata Hai) को मनाया जाता है। यह भाईयों और बहनों के अटूट प्रेम, विश्वास और सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। बहनें इस दिन अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं तो भाई भी बहन को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। इस साल 19 अगस्त, सोमवार को बहनें अपने भाईयों को राखी बांधेंगी।

जाहिर है हर साल आप इस त्योहार के लिए काफी ज्यादा एक्साइटेड रहते होंगे, लेकिन क्या आप इसके पीछे का इतिहास (Raksha Bandhan Ka Itihas) जानते हैं। यानी इसे मनाने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई। अगर नहीं, तो चलिए आज हम जानेंगे आखिर रक्षाबंधन मनाने की परंपरा की शुरुआत कैसी हुई। वैसे तो रक्षाबंधन के त्‍योहार से जुड़ीं कई कहानियां प्रचलित हैं। लेकिन आज हम आपको 3 ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां बताने जा रहे हैं, जो रक्षाबंधन की शुरुआत माना जाता है।

श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी कथा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आपने भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी पौराणिक कथा (Shri Krishna And Draupadi Raksha Bandhan Story) के बारे में तो जरूर सुना होगा। महाभारत काल में जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाया था, तब उनकी उंगली में चोट लग गई थी और काफी खून बहने लगा था। उस समय कृष्ण जी की सखी द्रौपदी ने उनकी कटी उंगली में अपने साड़ी का पल्लू फाड़कर बांधा था। संयोग से उस दिन श्रावण मास का पूर्णिमा थी।

तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया था कि एक दिन वह साड़ी के एक धागे तक का मोल चुकाएंगे। अपने इस वचन को उन्होंने निभाया भी। जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब भगवान ने उनकी लाज बचाकर उनकी रक्षा की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई।

भगवान यम और यमुना नदी की कथा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आपको ये तो पता ही होगा कि भगवान यम और यमुना नदी भाई बहन हैं। यमुना मृत्यु के देवता भगवान यम को अपना भाई मानती हैं और धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब उन्होंने अपने भाई यमराज (Yamraj And Yamuna Nadi Raksha Bandhan Story) की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा तो वह इतने प्रसन्न हो गए कि उन्होंने अपनी बहन को अमर होने का वरदान दे दिया और यह भी कहा कि जो भी भाई अपनी बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करेगा, उसे वह लंबी आयु का वरदान देंगे। इसके अलावा जो भी भाई-बहन भईया दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करते हैं, उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

शुभ और लाभ से जुड़ी कथा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

एक बार भगवान गणेश अपनी बहन मनसा देवी से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे। जिसे देख दोनों पुत्रों शुभ और लाभ (Shubh And Labh Raksha Bandhan Story) ने उनसे इस रस्म के बारे में पूछा। इस पर गणेश जी ने उन्हें बताया कि यह रक्षासूत्र है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। पिता की यह बात सुनकर दोनों पुत्रों ने एक बहन की जिद ठान ली। अपने बच्चों की जिद के आगे गणेश भगवान झुक गए और अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और अपनी पत्नियों रिद्धि-सिद्धि की आत्मशक्ति के साथ इसे सम्मिलित किया। इस तरह रक्षाबंधन के मौके पर शुभ और लाभ की बहन संतोषी का जन्म हुआ।

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