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Ramcharitmanas Sundarkand: असंभव हो सकता है संभव

Sundarkand Motivational Story In Hindi: अगर आप भगवान में सच्ची श्रद्धा, विश्वास और प्रेम रखते हैं तो असंभव भी संभव हो सकता है।

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Published on: 5 Feb 2025 9:00 AM IST (Updated on: 5 Feb 2025 9:00 AM IST)
Sundarkand Motivational Story In Hindi
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Sunderkand Motivational Story In Hindi (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Motivational Story In Hindi: ईश्वर की महिमा अपार होती है। अगर आप अपने ईश्वर पर सच्चा विश्वास, प्रेम और श्रद्धा रखें तो असंभव भी संभव हो सकता है। हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त कहे जाते हैं। आप सभी को ये तो पता ही होगा कि उन्होंने सोने की लंका को जला दिया था, लेकिन इसका श्रेय उन्होंने की खुद को नहीं दिया। बल्कि उनका मानना था कि श्री रघुनाथजी के ही प्रताप से यह संभव हो पाया। इसमें मेरी प्रभुता (बड़ाई) कुछ भी नहीं है।

चौपाई:-

बार बार प्रभु चहइ उठावा।

प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥

प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा।

सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा॥

सावधान मन करि पुनि संकर।

लागे कहन कथा अति सुंदर॥

कपि उठाई प्रभु हृदयँ लगावा।

कर गहि परम निकट बैठावा॥

कहु कपि रावन पालित लंका।

केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका॥

प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना।

बोला बचन बिगत अभिमाना॥

साखामग कै बड़ि मनुसाई।

साखा तें साखा पर जाई॥

नाघि सिंधु हाटकपुर जारा।

निसिचर गन बधि बिपिन उजारा॥

सो सब तव प्रताप रघुराई।

नाथ न कछू मोरि प्रभुताई॥

दोहा:-

ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं जा पर तुम्ह अनुकूल।

तव प्रभावँ बड़वानलहि जारि सकइ खलु तूल॥

भावार्थ:-

प्रभु उनको बार-बार उठाना चाहते हैं, परंतु प्रेम में डूबे हुए हनुमान्‌जी को चरणों से उठना सुहाता नहीं। प्रभु का करकमल हनुमान्‌जी के सिर पर है। उस स्थिति का स्मरण करके शिवजी प्रेममग्न हो गए॥ फिर मन को सावधान करके शंकरजी अत्यंत सुंदर कथा कहने लगे- हनुमान्‌जी को उठाकर प्रभु ने हृदय से लगाया और हाथ पकड़कर अत्यंत निकट बैठा लिया। हे हनुमान्‌! बताओ तो, रावण के द्वारा सुरक्षित लंका और उसके बड़े बाँके किले को तुमने किस तरह जलाया? हनुमान्‌जी ने प्रभु को प्रसन्न जाना और वे अभिमानरहित वचन बोले-। बंदर का बस, यही बड़ा पुरुषार्थ है कि वह एक डाल से दूसरी डाल पर चला जाता है। मैंने जो समुद्र लाँघकर सोने का नगर जलाया और राक्षसगण को मारकर अशोक वन को उजाड़ डाला। यह सब तो हे श्री रघुनाथजी! आप ही का प्रताप है। हे नाथ! इसमें मेरी प्रभुता (बड़ाई) कुछ भी नहीं है।

हे प्रभु! जिस पर आप प्रसन्न हों, उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है। आपके प्रभाव से रूई (जो स्वयं बहुत जल्दी जल जाने वाली वस्तु है) बड़वानल को निश्चय ही जला सकती है (अर्थात्‌ असंभव भी संभव हो सकता है)।



Shreya

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