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Health Tips: छोटे बच्चों के रोने के पीछे हो सकते है ये कारण, प्यार से समझने की है जरुरत
Health Tips: बेबी गर्भ में काफी समय बिताता है जहाँ सब कुछ उसके कंफर्ट के हिसाब से ही होता है इसलिए जब वो बाहर आता है तो बाहर के वातावरण में एडजस्ट होने में उसे थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
Health Tips: मासूम से छोटे बच्चे जो बोल नहीं सकते हैं इसलिए वो रोकर ही अपनी बात अपने लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। अगर उन्हें भूख लगी हो तो रो दिए, थकान हुई तो रोने लग गए, जब मां की गोद याद आई तो रोना शुरू कर दिया इत्यादि। यानी मासूम बच्चों की यही बोली है इसलिए जरुरी है कि उनकी बातों और समस्याओं को समझने के लिए उसकी जरूरतों को समझा जाए। हालाँकि बच्चे के जन्म के कुछ दिनों के अंदर ही मां उसके रोने का कारण समझना शुरू कर देती है। उसे समझ में आने लगता है कि कब बच्चा भूख से रो रहा है और कब वो अपनी डायपर चेंज करवाना चाहता है।
कई बार छोटे बच्चे सोने से कई घंटों पहले ही रोना शुरू कर देते हैं। ऐसे में कई बार पैरेंट्स को भी समझ नहीं आता है कि बच्चे को इस वक्त किस चीज की जरूरत है। दिनभर बच्चे की देखभाल करने के बाद ज़ाहिर है आपको थकान हो सकती है और रात को बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती है लेकिन जरूरी नहीं कि आपके बच्चे को भी इस समय नींद आ जाए । उल्लेखनीय है कि बेबी गर्भ में काफी समय बिताता है जहाँ सब कुछ उसके कंफर्ट के हिसाब से ही होता है इसलिए जब वो बाहर आता है तो बाहर के वातावरण में एडजस्ट होने में उसे थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
वैसे तो एक बच्चे को उसकी माँ से बेहतर कोई नहीं जान सकता है। कब उसे क्या चाहिए ? ये उसकी माँ आसानी से समझ जाती है। लेकिन फिर भी कई बार बच्चे के रोने के कारणों का पता लगाने के लिए इन बातों का ख्याल रखना जरुरी है :
- कई बार नींद नहीं आने के कारण भी बच्चे रोना शुरू कर देते हैं। आमतौर पर ऐसा 3 महीने से कम उम्र के बच्चों में देखने को मिलता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों के रोने का मतलब है बच्चे की बॉडी स्लीप साइकिल के लिए एडजस्ट हो रही है। उल्लेखनीय है कि शरीर के स्लीप सिस्टम के साथ आने में हार्ट से लेकर पाचन तंत्र हर चीज को काम करना पड़ता है। जबकि 3 महीने के बाद बेबी की बॉडी नॉर्मल स्लीप साइकिल को एडॉप्ट कर एडजस्ट हो जाती है।
- छोटे बच्चे को जब भी कोई दिक्कत या परेशानी होती है तो वो रोकर ही बता पाते है। रात को सोते समय अगर बेबी को उसका बेड या अन्य कोई चीज परेशानी दे रही हो तो वो रो कर ही अपनी बात अपनों तक पहुचायेगा । कई बार जुकाम या गर्मी के कारण बच्चे को सोने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा बच्चों में दांत निकलने की प्रक्रिया में भी उन्हें रात के समय दर्द ज्यादा होता है। जिसके कारण वे रोते हैं।
- आमतौर पर पैरेंट्स सोने के टाइम पर बच्चे को बिस्तर पर लिटा देते हैं लेकिन हो सकता है आपके बेबी को तो गोद की गरमाई अच्छी लगती हो। इसलिए अक्सर ऐसइ हालातों में बच्चे रोना शुरू कर देते हैं।
क्या है उपाय :
अगर आपका बेबी भी रात को सोने से पहले रोना शुरू कर देता है तो उसे शांत कर जल्दी सुलाने के लिए आप अपने कमरे में बिलकुल पिनड्रॉप शांति के साथ रोशनी धीमी रखें। इसके अलावा बच्चे को सुलाने से पहले स्वैडल यानी कपड़ों में लपेटना भी फायदेमंद होता है।
गौरतलब ही कि रात को सुलाने से पहले बच्चे को सही और आरामदायक कपड़े पहनाना भी जरूरी है। लेकिन अगर आपका बेबी एसी वाले कमरे में सोता है तो उसके लिए पूरी बाजू के कपड़े का चुनाव करें।