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Sant Gajanan Maharaj Story: जानिए महाराष्ट्र के महान संत गजानन महाराज के चमत्कारी जीवन के बारे में

Sant Gajanan Maharaj Story: श्री गजानन महाराज की जीवनी 'श्री गजानन विजय' ग्रंथ दासगणू(Dasganu)महाराज द्वारा लिखी गई है।

Shivani Jawanjal
Published on: 15 March 2025 1:59 PM IST
Sant Gajanan Maharaj Story: जानिए महाराष्ट्र के महान संत गजानन महाराज के चमत्कारी जीवन के बारे में
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Maharashtra Sant Gajanan Maharaj Story: महाराष्ट्र की धरती संत परंपरा से समृद्ध रही है, जहां कई संतों ने समाज को आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक दिशा प्रदान की है। इन्हीं महान संतों में संत गजानन महाराज(Sant Gajanan Maharaj) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वे भक्ति, दिव्य ज्ञान और चमत्कारों के प्रतीक माने जाते हैं। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में महाराष्ट्र के शेगांव में प्रकट हुए, संत गजानन महाराज ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति और अलौकिक शक्तियों से लोगों को गहराई से प्रभावित किया। उनके जीवन से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी सीमित है, लेकिन उनकी महिमा और चमत्कारी कथाएँ आज भी लाखों भक्तों को आकर्षित करती हैं।

अवतार और प्रारंभिक जीवन

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत के रूप में पहचाने जाने वाले संत गजानन महाराज के जन्म की सही तिथि और स्थान अज्ञात हैं। उनका जन्म कहां हुआ और वे कौन थे, इस बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि 23 फरवरी 1878 को महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव में वे अचानक प्रकट हुए। उनके भक्त मानते हैं कि वे भगवान दत्तात्रेय के अवतार थे और वे अद्वितीय सिद्धियों के साथ पृथ्वी पर आए थे।

माना जाता है कि वे 23 फरवरी, 1878 को पहली बार शेगाँव में बनकट लाल और दामोदर नामक दो व्यक्तियों को झूठी पत्तलों से चावल खाते हुए और "गं गं गणात बूते" का जाप करते हुए दिखाई दिए थे। ऐसा भी माना जाता है की "गं गं गणात बूते" का उच्चारण करने के कारन ही उनका नाम गजानन महाराज पड़ा।

गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान

हालाँकि संत गजानन महाराज के किसी गुरु का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता, फिर भी उनके ज्ञान, भक्ति और योग साधना से यह स्पष्ट होता है कि वे एक उच्च कोटि के सिद्ध पुरुष थे। वे भगवान राम, कृष्ण, विट्ठल और दत्तात्रेय की भक्ति में लीन रहते थे और जनकल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।

गजानन महाराज का जीवन चमत्कारों और दिव्यता से भरा हुआ था। उन्होंने अपने पूरे जीवन में कई चमत्कार किए, जिससे लोगों को उनकी अलौकिक शक्तियों का अनुभव हुआ। उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की और हमेशा लोगों को प्रेम, करुणा और मानवता का पाठ पढ़ाया।

संत गजानन महाराज के चमत्कारी कार्य

संत गजानन महाराज(Sant Gajanan Maharaj) को उनकी अलौकिक शक्तियों और चमत्कारों के लिए जाना जाता है। उनके जीवन से जुड़े कई दिव्य घटनाएँ और चमत्कारी प्रसंग भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं।

अग्नि में भी सुरक्षित – एक बार संत गजानन महाराज योग समाधि में लीन थे, और कुछ लोगों ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उन पर जलती लकड़ियाँ डाल दीं। लेकिन यह देख सब चकित रह गए कि आग का संत महाराज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

सूखी कुएं में पानी – एक गाँव में भीषण जल संकट था। संत गजानन महाराज ने एक सूखे कुएँ में अपना पैर डालकर प्रार्थना की, और कुछ ही समय में कुएं में शुद्ध जल भर गया, जिससे ग्रामीणों की समस्या हल हो गई।

बिच्छू और साँप का असर नहीं – संत महाराज को कभी भी साँप या बिच्छू के काटने का कोई असर नहीं हुआ। एक बार किसी ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उन पर जहरीला साँप छोड़ा, लेकिन महाराज पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता – वे हमेशा गरीबों और असहाय लोगों की सहायता करते थे। कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से उनसे प्रार्थना करता था, उनकी परेशानियाँ दूर हो जाती थीं।

भोजन की कृपा – एक बार एक भक्त ने संत महाराज के लिए भोजन की व्यवस्था की, लेकिन भोजन कम पड़ गया। संत गजानन महाराज ने कृपा करके उस भोजन को इतना बढ़ा दिया कि सभी लोग तृप्त हो गए।

संत गजानन महाराज के उपदेश और योगदान

संत गजानन महाराज ने जीवनभर समाज में आध्यात्मिकता और मानव सेवा का संदेश फैलाया। उनके उपदेश सरल, व्यावहारिक और प्रेम से परिपूर्ण होते थे। उन्होंने भक्ति, निःस्वार्थ सेवा और सच्ची श्रद्धा का महत्व बताया। उनके संदेशों में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें शामिल थीं:

• सद्भाव और प्रेम: वे सिखाते थे कि हर व्यक्ति को प्रेम और करुणा के साथ जीना चाहिए।

• भक्ति और ध्यान: उन्होंने भक्ति मार्ग को सर्वोच्च बताया और साधकों को ईश्वर के ध्यान में मग्न रहने की प्रेरणा दी।

• सादा जीवन, उच्च विचार: संत गजानन महाराज ने लोगों को मोह-माया से दूर रहने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास करने का संदेश दिया।

संत गजानन महाराज का महासमाधि दिवस

श्री गजानन महाराज ने 8 सितंबर 1910 को ऋषि पंचमी के दिन शेगांव में संजीवन समाधि ली। हर वर्ष उनकी पुण्यतिथि बड़े उत्सव के रूप में मनाई जाती है। संजीवन समाधि का अर्थ है कि किसी संत या महापुरुष का अपनी इच्छा से अपने भौतिक शरीर का त्याग करना। महाराज ने समाधि लेने से दो वर्ष पूर्व ही इसके संकेत दे दिए थे । उन्होंने वर्तमान समाधि स्थल की ओर इशारा करते हुए कहा था वही पर वास करने की जानकारी भी दी थी, इसीलिए उसी जगह महाराज का भव्य समाधी स्थल बनाया गया है। उनकी समाधि के दर्शन के संपूर्ण महाराष्ट्र से लोग आते है और यह स्थल आज भी लाखों भक्तों के लिए श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है।

शिरडी के साईबाबा को मानते थे भाई

श्री गजानन महाराज को उनके समय के लोग अलग-अलग नामों से जानते थे, जैसे गिन गिन बुवा, गणपत बुवा और आवलिया बाबा। वे आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत उच्च कोटि के संत थे और उन्होंने कई महान संतों से आत्मिक संबंध स्थापित किए थे। वे नरसिंहजी, वासुदेवानंद सरस्वती (टेंबे स्वामी महाराज) और शिरडी(Shirdi) के साईं बाबा(Sai Baba) को अपना भाई मानते थे।

महाराष्ट्र के शेगांव में गजानन महाराज संस्थान

संत गजानन महाराज के समाधि लेने के बाद उनके भक्तों ने शेगांव(Shegaon) में उनका एक विशाल मंदिर और सेवा संस्थान स्थापित किया। आज यह स्थान पूरे महाराष्ट्र में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। जहां हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर का प्रबंधन अत्यधिक अनुशासन और समर्पण के साथ किया जाता है। यहाँ गरीबों और जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन दिया जाता है। मंदिर में आने वाले हर भक्त को भोजन प्रसाद मिलता है। इसके अलावा गजानन महाराज संस्थान द्वारा निःशुल्क अस्पताल, शिक्षण संस्थान और धर्मशालाओं का संचालन किया जाता है। यहाँ चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में कई सामाजिक कार्य किए जाते हैं। गजानन महाराज संस्थान न केवल भक्ति स्थल के रूप में बल्कि सामाजिक सेवा केंद्र के रूप में भी कार्य करता है।

इसके अलावा शेगांव में आनंद सागर पार्क नामक एक भव्य तीर्थस्थल और पर्यटन केंद्र है, जिसे संत गजानन महाराज संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह पार्क संत गजानन महाराज के भक्तों और पर्यटकों के लिए एक आध्यात्मिक और मनोरंजक स्थल के रूप में बनाया गया है। आनंद सागर पार्क न केवल भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति का केंद्र है, बल्कि एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।

शेगांव का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व

शेगांव सिर्फ एक तीर्थ स्थल ही नहीं, बल्कि यह महाराष्ट्र की संत परंपरा, भक्ति आंदोलन और भारतीय धार्मिक संस्कृति का प्रतीक भी है। हर साल गजानन महाराज के प्रकटदिन, पुण्यतिथि और अन्य धार्मिक उत्सवों के अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहाँ एकत्रित होते हैं। इस दौरान भजन, कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों को भक्ति और आध्यात्मिकता से जोड़ता है।

शेगांव कैसे पहुंचे?

शेगांव भारत के महाराष्ट्र(Maharashtra) राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह बुलढाणा(Buldhana) जिले में आता है। शेगांव नागपुरऔर पुणे(Nagpur & Pune) के बीच स्थित है और ययहाँ तक पहुँचने के लिए रेल, सड़क और हवाई मार्ग की सुविधा उपलब्ध है।

रेल मार्ग :- शेगांव का अपना रेलवे स्टेशन शेगांव रेलवे स्टेशन (SEG) है, जो भारतीय रेलवे के भुसावल-बडनेरा सेक्शन (Central Railway Zone) पर स्थित है। यह स्टेशन महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों और भारत के कई अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

प्रमुख ट्रेनें:- पुणे, मुंबई, नागपुर, अमरावती, अकोला, जलगाँव, भुसावल और अन्य शहरों से शेगांव के लिए नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।

नज़दीकी बड़ा रेलवे जंक्शन – भुसावल (लगभग 120 किमी) और अकोला (लगभग 40 किमी)।

सड़क मार्ग:- शेगांव महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

महाराष्ट्र राज्य परिवहन (MSRTC) की सरकारी बसें पुणे, मुंबई, नागपुर, अकोला, अमरावती और अन्य शहरों से उपलब्ध हैं।

निजी बसें और टैक्सी सेवा भी आसानी से मिल जाती हैं। अपने निजी वाहन से भी शेगांव तक पहुँचा जा सकता है।

हवाई मार्ग :- शेगांव के लिए कोई सीधा हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन नज़दीकी हवाई अड्डे इस प्रकार हैं:

अकोला एयरपोर्ट – 40 किमी (सबसे नज़दीकी, लेकिन कम फ्लाइट्स उपलब्ध)।

नागपुर एयरपोर्ट (डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट) – 300 किमी (सबसे बड़ा और प्रमुख एयरपोर्ट)।

औरंगाबाद एयरपोर्ट – 350 किमी।

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