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शरीर में मिला नया अंग: बड़ी खोज में खुलासा, इस बीमारी में आएगा काम
इतने सालों बाद वैज्ञानिकों ने एक नया खोज किया है। उन्होंने मानव शरीर में एक नया सेट खोजा है। मानव शरीर में गले के ऊपरी हिस्से में लार ग्रंथियों का एक सेट खोजा है।
इतने सालों बाद वैज्ञानिकों ने एक नया खोज किया है। उन्होंने मानव शरीर में एक नया सेट खोजा है। मानव शरीर में गले के ऊपरी हिस्से में लार ग्रंथियों का एक सेट खोजा है। माना जा रहा है कि पिछली तीन सदियों में मानव शरीर संरचना से जुदा यह अब तक का सबसे बड़ा खोज है। इससे आगे चिकित्सा विज्ञान और जीवन को बेहतर करने में काफी मदद मिलेगी। सबसे ज्यादा गले और सिर के कैंसर से जिन मरीजों को दर्दनाक तइलाज से गुज़रना पड़ता है उनके लिए काफी मददगार साबित होगा।
करीब 1.5 इंच
बताया जा रहा है शरीर की यह नई खोज नाक के पीछे और गले के कुछ ऊपर के हिस्से में मिला है, जो करीब 1.5 इंच का है। एम्सटरडम स्थित नीदरलैंड्स कैंसर इंस्टिट्यूट के रिसर्चरों ने कहा कि इस खोज से रेडियोथेरेपी की वो तकनीकें विकसित करने और समझने में मदद मिलेगी, जिनसे कैंसर के मरीज़ों को लार और निगलने में होने वाली समस्याओं को दूर किया जा सकेगा।
क्या रखा गया इन ग्लैंड्स का नाम?
नाम की बात करें तो रिसर्चरों ने इन ग्लैंड्स का नाम 'ट्यूबेरियल ग्लैंड्स' बताया है। जिसे अब तक जाना ही नहीं गया था। इसकी वजह यह है कि ये ग्लैंड्स टोरस ट्यूबेरियस नाम के कार्टिलेज के एक हिस्से पर स्थित हैं। अभी इसी गहन रिसर्च जारी है। ताकि इस ग्लैंड्स को लेकर और भी चीज़े सामने आ सके,ताकि इन ग्लैंड्स को लेकर बारीक से बारीक बात कन्फर्म हो सके। अगर आने वाली रिसर्चों में इन ग्लैंड्स की मौजूदगी और इससे जुड़ी कुछ और जिज्ञासाओं का समाधान हो जाता है तो पिछले 300 सालों में नये सलाइवरी ग्लैंड्स की यह पहली अहम खोज मानी जाएगी।
इत्तेफाक से हुई खोज
कैसे मिला ये नया सेट? रिसर्चर प्रोस्टेट कैंसर को लेकर स्टडी कर रहे थे तभी उन्हें एक इस ग्लैंड्स के बारे में पता चला। जिसे बाद उन्होंने इसपर अपनी रिसर्चर शुरू कर दी। रिसर्चरों ने कहा कि मानव शरीर में सलाइवरी ग्लैंड्स के तीन बड़े सेट हैं। रिसर्चरों ने खुद माना कि इन ग्लैंड्स के बारे में पता चलना उनके लिए भी किसी आश्चर्य से कम नहीं था।
भारत को मिल सकती है राहत
इस खोज से सबसे ज्यादा फयादा भारत के लोगों को मिल सकता है। यहाँ गर्दन और सिर का कैंसर बड़ी संख्या में होता है. वही ओरल कैविटी के कैंसर भी काफी तादाद में है। भारत में रेडिएशन ओंकोलॉजी के विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस खोज से कैंसर मरीज़ों के रेडियोथेरेपी इलाज में काफी मदद मिलेगी।
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