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Health: दोपहर की एक छोटी सी झपकी आपको कर देगी रिफ्रेश
लखनऊ। दोपहर में एक छोटी सी झपकी। ये शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जिसके ढेरों फायदे हैं। दक्षिणी यूरोप में दोपहर में 'नैप' या 'सिएस्ता' की परंपरा लंबे समय है। लेकिन कामकाज के आधुनिक माहौल में पावर नैप कहीं खो चुकी है। अब कई जगह इसे आलस्य से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन यह धारणा गलत है।
असल में दोपहर के आस पास शरीर का थकना और एकाग्रता में कमी आना बहुत ही सामान्य जैविक प्रक्रिया है। कई लोगों को दोपहर बाद जम्हाइयां भी आने लगती हैं। इसी वजह से स्पेन, पुर्तगाल और इटली समेत कई देशों में दोपहर में एक छोटी सी झपकी मारना आम आदत है। चीन में भी दोहपर को खाने के बाद झपकी लेना आम बात है और बाजार तक दोपहर में इस काम के लिये बंद हो जाते हैं।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक पावर नैप से दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है।एकाग्रता बेहतर होती है, साथ ही शरीर में सेरोटॉनिन की बढ़ी मात्रा से मूड भी बढिय़ा रहता है। लेकिन पावर नैप कितनी लंबी हो? इसका जवाब है 20 से 30 मिनट। एक घंटे से ज्यादा तो यह किसी कीमत पर नहीं होनी चाहिए क्योंकि उससे शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित होगी और रात की नींद में खलल पड़ेगा। हालांकि यह बात बच्चों पर लागू नहीं होती है।