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क्या आपको पता है, आपके पास ही है सदाबहार यौवन का SECRET

tiwarishalini
Published on: 1 Sep 2017 8:14 AM GMT
क्या आपको पता है, आपके पास ही है सदाबहार यौवन का SECRET
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लखनऊ: संसार में बढ़ते उपभोक्तावाद ने आज हमारे विवेक को भ्रमित कर दिया है। हमारी पसंद नापसंद बाजार से तय होती है जो कि एक चिंता का विषय है, हमेशा युवा बनाये रखने के नाम पर सैकड़ों कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स मार्केट में उतारे हैं। युवा बने रहने के लिए कोई कंपनी गोली, कोई तेल, तो कोई बाल तो कोई बेल्ट लगाने की सलाह देती है, लेकिन सदाबहार यौवन का राज असल में आपके अंदर है। सच तो यह है कोई भी व्यक्ति आहार विहार, देश, मौसम और परिवार की उपेक्षा करके स्वस्थ नहीं रह सकता है।

संतुलित भोजन : समय पर लिया गया संतुलित भोजन ऊर्जा एवं उत्साह को बढ़ता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाये रखता है। रोजाना भोजन में अंकुरित मूंग, गेहू, दूध, घी, मक्खन, हरी सब्जियां एवं फलों को जरूर शामिल करें। जितनी भूख लगे उतना ही भोजन लें एक बार खाने के बाद दोबारा 4 घंटे तक भोजन न लें। इस बीच आवश्यक हो तो पानी या फल ले सकते हैं।

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विहार : सदाबहार यौवन का दूसरा आधार है विहार। यानि व्यायाम, योगासन, पर्यटन और शारीरिक सक्रियता।

साल में 1-2 बार शहर से बाहर घूमने जाएं रोजमर्रा की दिनचर्या से हटकर जीवन में और अपनी सोच में कुछ बदलाव लाएं। सुबह शाम पैदल चलें साईकिल चलाएं इससे मांसपेशियां एवं नर्वस सिस्टम मजबूत होता है। दिन भर एक जगह बैठकर काम करना, आलसी जीवन जीना, बाजार के उकसावे पर भोगों के लिए व्याकुल रहना बिमारियों को निमंत्रण देना है। समाज में नैतिक शिक्षा की कमी हो रही है। नामचीन शिक्षक और संत भी सरकार और बाजार के आकर्षण से बच नहीं पा रहे है। लोगों को कण्डोम बांटना ऐसे ही है जैसे कोई ड्राइविंग सिखाने के बजाए हेलमेट पकड़ा दे। कण्डोम न तो कौशल का विकल्प है ना ही अनुशासन का।

मन : सदाबहार यौवन प्राप्ति के लिए मन का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। प्रशन्नता, सुख और दु:ख में संतुलन बनाये रखने से ही आप बीमारियों से बचे रहेंगे। मन की ख़ुशी से खोयी हुई शक्तियां जाग जाती हैं और मानसिक रोग नष्ट हो जाते हैं। महर्षि चरक ने कहा है की शोक: शोषणानं अर्थात कमजोर होने का बड़ा कारण शोक होता है। शोक, चिंता और व्याकुलता से शरीर की सप्तधातुएं नष्ट होती हैं निवृत्ति पुष्टिकारणाम। यानि मन की शांति से शरीर मजबूत बनता है। अत: संयम, संतोष एवं सदाचार से ही स्वस्थ अवं सुखी जीवन बिताया जा सकता है। ब्रह्मचर्यायुष्याणां अर्थात ब्रह्मचर्य का पालन करने से आयु में वृद्धि होती है यानि मन, वचन, कर्म पर नियंत्रण से ही जीवन में विजय पायी जा सकती है।

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देश : देश का अर्थ है भूमि। अपने देश में रहने से मन प्रशन्न रहता है जिस भूमि में जन्म लिया है उस भूमि की जलवायु शरीर के अनुकूल होती है। लगातार परदेश में निवास करने से अनेक चिंताएं सताती हैं, शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है और वार्धक्य के लक्षण दिखने लगते हैं।

परिवार : माता पिता का आशीर्वाद, पत्नी का प्यार, और सन्तानों का आधार जीवन में सुरक्षा का अहसास करता है आत्मीयता व प्रेम के माहौल में उम्र ठहर जाती है जिनके शरीरी में रोग प्रतिरोधक शक्ति नहीं है और जो हमेशा बीमार रहते हैं उन्हें जल्दी बुढ़ापा घेर लेता है।

शराब, तम्बाकू, नशा का सेवन और क्रोध लोगों का यौवन शीघ्र ही समाप्त कर देता है। अत: संयम एवं अनुशाशन ही सदाबहार यौवन राज है।

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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