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Heaven Gate in India: रावण द्वारा बनाई गईं स्वर्ग तक जाने की सीढ़ियां आज भी हैं धरती पर मौजूद, जानिए इनके पीछे की कहानी

Swarg Tak Jaane Ki Sidhiyan: क्या आप जानते हैं कि रावण ने भी स्वर्ग जाने के लिए हर संभव प्रयास किया था आइये जानते हैं कि क्या वो इसमें सफल हुआ या नहीं।

Jyotsna Singh
Published on: 8 Jan 2025 8:00 AM IST (Updated on: 8 Jan 2025 8:00 AM IST)
Swarg Tak Jaane Ki Sidhiyan
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Swarg Tak Jaane Ki Sidhiyan (Image Credit-Social Media)

Swarg Tak Jaane Ki Sidhiyan: उत्तराखंड के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों के तौर पर आस्था का केंद्र बन चुके ऐसे स्थल जहां आज भी स्वर्ग जाने की सीढ़ियां मौजूद हैं। कहा जाता है कि इन सीढ़ियों का निर्माण परम विद्वान ब्राह्मण रावण द्वारा करवाया गया था। आइए जानते हैं रावण द्वारा निर्मित स्वर्ग की सीढ़ियों के महत्व के बारे में -

धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है उल्लेख

विष्णु पुराण के मुताबिक, सूर्य और ध्रुव के बीच के चौदह लाख योजन के अंतर को स्वर्ग लोक कहा जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए स्वर्ग और नरक का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, मरने के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग लोक जाती है। वहीं जिन लोगों ने जिंदगी भर बुरे कर्म किए होते हैं, उनकी आत्मा को मरने के बाद नरक लोक भेजा जाता है।


धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्वर्ग में देवी-देवताओं का वास होता है। लेकिन धरती पर ऐसा भी एक रास्ता है जिस पर चलकर बिना मृत्यु के ही स्वर्ग जाया जा सकता है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि रावण ने धरती से स्वर्ग तक जाने के लिए ऐसी ही चार अलग-अलग जगह सीढियां बनाई थी। इसका उल्लेख आज भी धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

स्वर्ग की सीढ़ियों के निर्माण के पीछे क्या है कथानक

धरती पर मौजूद स्वर्ग की सीढ़ियों से जुडी पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम जी के जन्म के समय से ही अपनी मृत्यु को लेकर भयभीत रावण ने अमरत्व प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। असल में रावण भगवान शिव का परम भक्त था। वो नियमित रूप से उनकी पूजा किया करता था। एक बार रावण ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए अपने 10 सिर में एक सिर काट दिया और उसे शिव जी को अर्पित कर दिया। रावण का त्याग देखकर शिव जी खुश हुए और वो खुद धरती पर आए। तब रावण ने शिव जी से अमर होने का वरदान मांगा। शिव जी ने रावण से कहा कि अगर वो धरती पर अपने हाथों से स्वर्ग तक जाने के लिए पांच सीढियों का निर्माण करेगा, तो वह उन्हें अमर होने का वरदान दे देंगे। रावण ने चार सीढ़ियां तो बना ली, लेकिन आखिरी सीढ़ी बनाते समय उसे नींद आ गई। जब वह जागा तो सुबह हो गई थी। उसके बाद रावण की अमरता की कामना मन में ही रह गई। इस तरह स्वर्ग तक जाने की पांचवी सीढ़ी बनाने का उसका कार्य अपूर्ण रह गया।


युधिष्ठिर से भी जुड़ी है स्वर्ग की सीढ़ियों की कहानी

इन स्वर्ग की सीढ़ियों का नाता महाभारत काल से भी है। जिसके अनुसार महाभारत के18 अध्यायों में 17वे अध्याय, महाप्राथनिका पर्व, में लिखा है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पाँचों पांडव भाइयों ने अपनी पत्नी द्रौपदी में साथ सन्यास ले लिया और महल और राज्य को छोड़, तपस्या के लिए निकल पड़े। तपस्या का यह सफर उन्हें हिमालय के पहाड़ों के बीच ले आया। स्वर्ग की और अपने इस आखिरी सफर पर बढ़ते हुऐ हर किसी को एक-एक कर अपने कर्मों का फल मिलने लगा। सबसे पहले द्रौपदी की मृत्यु हुई। उनका दोष था बाकियों के मुकाबले अर्जुन से उनका ज्यादा प्रेम। सहदेव इस यात्रा को पूरा न कर सके और मारे गए क्योंकि उनको अपने ज्ञान पर बहुत घमंड था। इसके बाद नकुल और अर्जुन की मृत्यु हुई जिसका कारण भी उनका अभिमान था। फिर भीम की बारी आयी और उनका दोष था उनका लालच।


यह लम्बी यात्रा पांडवों को हिमालय की गोद तक ले कर तो गयी पर युधिष्ठिर को छोड़ एक-एक कर सबकी मृत्यु हो गयी। यह माना जाता है की एक कुत्ते के भेष में छुपे धर्म के साथ युधिष्ठिर ने स्वर्ग की सीढ़ियां यहीं चढ़ी थी। महाभारत के इस अंश में यह भी बताया जाता है कि बिना मानवीय शरीर छोड़े यही स्वर्गरोहिणी का रास्ता है जहाँ से आप जिंदा स्वर्ग जा सकते हैं।

भारत में इन जगहों पर मौजूद हैं स्वर्ग की सीढ़ियां

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, रावण ने स्वर्ग की पहली सीढ़ी हरिद्वार में बनाई थी। जो हर की पौड़ी के नाम से चर्चित है। हिमाचल प्रदेश के पौड़ीवाला में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी माना जाता है। हिमाचल प्रदेश के चुडे़श्वर महादेव मंदिर से भी स्वर्ग की सीढ़ी का रास्ता जाता है। किन्नौर कैलाश पर्वत पर भी स्वर्ग की सीढ़ी है। हवाई के ओहू की कुलाऊ पर्वत श्रृंखला में बनी सीढ़ियों को भी ’स्वर्ग की सीढ़ी’ कहा जाता है। इन सीढ़ियों को ’स्टेयरवे टू हेवन’ के नाम से भी जाना जाता है। ये सीढ़ियां 2,480 फ़ुट ऊंचाई पर हैं और इनमें 3,922 संकरे स्टेप हैं। चीन में भी स्वर्ग की सीढ़ियां हैं, जहां 999 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है।



Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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