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Take care in summer: गर्मियों में पसीने से हो सकता है वजाइनल इन्फेक्शन, जानें कारण, लक्षण और बचाव

Take Care In Summer: वजाइनल इन्फेक्शन महिलाओं को गर्मियों में होने वाली आम परेशानी है। अधिकतर स्त्रियां वजाइना में जलन और खुजली जैसी समस्याओं का सामना करती है, जिसे यीस्ट या वजाइनल इन्फेक्शन के नाम से भी जाना जाता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 26 April 2022 5:39 PM IST (Updated on: 26 April 2022 8:38 PM IST)
Take care in summer sweats in summers can cause vaginal infection
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वजाइनल इन्फेक्शन।

Take Care In Summer: वजाइनल इन्फेक्शन (Vaginal infection) महिलाओं को गर्मियों में होने वाली आम परेशानी है। हलाकि कई बार उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वो इस परेशानी से गुजर रहीं हैं। अधिकतर स्त्रियां वजाइना में जलन और खुजली जैसी समस्याओं का सामना करती है, जिसे यीस्ट या वजाइनल इन्फेक्शन के नाम से भी जाना जाता है। अमूमन इस तरह के फंगस से स्त्री के शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

बता दें कि आपके शरीर का इम्यून सिस्टम फंगस की संख्या को नियंत्रित रखने में मदद करता है। लेकिन कई बार एंटीबायोटिक्स के अधिक सेवन से हानिकारक के साथ शरीर के लिए आवश्यक बैक्टीरिया भी तेज़ी से नष्ट होने के साथ ही कैंडिडा एल्बीकैंस नामक फंगस को शरीर में फैलने का पूरा मौका मिल जाता है, जिसके कारण स्त्रियों के शरीर में वजाइनल इन्फेक्शन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके अलावा पीरियड्स के दौरान पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखना भी कभी -कभी ऐसी समस्या को जन्म दे सकता है।

बता दें कि सभी महिलाओं के वजाइना में कैंडिडा एल्बीकैंस नामक फंगस पहले से मौजूद रहता है। कई बार किसी कारण वश इसकी संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ने के कारण उन्हें खुजली, जलन और रैशेज़ जैसी समस्याएं हो जाती हैं। गौरतलब है कि गर्मियों का भी वजाइनल इन्फेक्शन (vaginal infection) होने में योगदान माना जाता है। गर्मियों में शरीर से निकलने वाला अत्यधिक पसीना इस समस्या को जन्म देता है। इसलिए विशेषज्ञ गर्मियों में दो बार अंडरगार्मेंट्स बदलने की सलाह देते हैं। गर्मियों में हमेशा कॉटन अंडरगार्मेंट्स का ही इस्तेमाल करना लाभप्रद होता है। हलके रंग के कम्फर्टेबल अंडरगार्मेंट्स इस समस्या से बचने के लिए बेहद जरुरी हैं।

एक्सपर्ट गर्मियों में कम पानी पीने की वजह को इस इन्फेक्शन से जोड़ कर देखते हैं। क्योंकि गर्मी के मौसम में शरीर को अधिक पानी की जरुरत होती है। ताकि शरीर के सभी विषैले तत्व बाहर निकल सकें। ऐसे में कई बार कम पानी का सेवन शरीर में कई तरह के इन्फेक्शन को जन्म दे सकता है। जिसमें वजाइनल इन्फेक्शन भी शामिल हैं। इसलिए गर्मियों में इस बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन और सावधानियां बरतनी चाहिए।

शरीर में वजाइनल इन्फेक्शन (vaginal infection) होने के कुछ प्रमुख लक्षण होते हैं।

  • वजाइना से सफेद रंग का गाढ़ा-बदबूदार डिस्चार्ज,
  • खुजली,
  • जलन
  • प्रभावित हिस्से पर लाल रंग के रैशेज़ दिखाई देते है।
  • मर्ज बढऩे पर त्वचा में सूजन और छिलने-कटने की भी आशंका रहती है।

क्यों और कैसे होती है ये समस्या ?

  • बता दें कि मनोपॉज़ के बाद इस समस्या के बढ़ने के चांसेस ज्यादा हो जाते हैं। क्योंकि मनोपॉज़ के बाद स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन नामक फीमेल हॉर्मोन की मात्रा घटने के कारण वजाइना में स्वाभाविक ल्यूब्रिकेशन बनाने वाले तत्व का स्राव होता है लेकिन इन हॉर्मोन्स की कमी के कारण ऐसे तत्वों का सिक्रीशन बहुत कम या बंद हो जाता है, जिससे वजाइना में ड्राइनेस की समस्या शुरू हो कर इस बीमारी की वजह बन जाती है।
  • कई बार गर्भावस्था में होने वाले हॉर्मोन संबंधी बदलाव की वजह से कुछ स्त्रियों में ऐसे लक्षण नज़र आने लगते हैं।
  • डायबिटीज़ से पीडि़त स्त्रियों में यीस्ट इन्फेक्शन की आशंका औरों के मुकाबले काफी बढ़ जाती है। बता दें कि डायबिटीज़ में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाने के कारण मरीज़ों के शरीर में कोई भी इन्फेक्शन बहुत जल्दी पनपता है। इसलिए सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज़ के मरीज़ों के शरीर में वजाइना इन्फेक्शन भी जल्दी हो जाता है। इसलिए इसके मरीज़ों को बेहद सावधानी बरतनी जरुरी है।
  • कई बार हद से ज्यादा मीठे का सेवन भी इस समस्या को बढ़ाने में मदद करता है। बता दें कि यीस्ट नामक फंगस के शरीर में मौज़ूद अतिरिक्त शुगर को ही अपना भोजन बना लेता है। जिस कारण अधिक मात्रा में मीठी चीज़ों का सेवन करने वाले लोगों में यह इन्फेक्शन होने आशंका काफी बढ़ जाती है।

उपचार

  • वजाइना इन्फेक्शन से लड़ने और उसे दूर करने में दही का सेवन बेहद लाभप्रद होता है। दही में मौजद कुछ ऐसे यीस्ट प्रतिरोधी तत्व वजाइना को इन्फेक्शन होने से बचाने में मददगार होते हैं। इसलिए विशेषज्ञ अपनी डाइट में दही, छाछ और लस्सी शामिल करने की सलाह देते हैं।
  • पीरियड्स के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए अपनी जरूरत के अनुसार 4 से 6 घंटे के अंतराल पर सैनेटरी पैड जरूर बदलें।
  • कभी भी फ्रेगरेंस वाली पैंटी लाइनर इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
  • वजाइना को केवल सादे पानी से धोएं, साबुन का इस्तेमाल न करें।
  • अगर पति-पत्नी दोनों में से किसी को भी कोई संक्रमण हो तो सहवास से दूर रहें।
  • स्विमिंग के बाद प्राइवेट पार्ट की सफाई का विशेष ध्यान रखें। बता दें कि संक्रमण के दौरान स्विमिंग से दूर रहना जरुरी है।
  • नहाते समय बाथटब का इस्तेमाल न करें।
  • हमेशा अच्छी क्वॉलिटी के कॉटन अंडरगारमेंट्स का ही इस्तमेाल करें। ऐसे कपड़ों को वाशिंग मशीन के बजाय हाथों से धो कर धूप में सुखाएं।
  • गर्मियों के मौसम में जब अधिक पसीना आता है तब दिन में दो बार अंडरगारमेंट्स बदलना चाहिए क्योंकि पसीना भी इस इन्फेक्शन के लिए जि़म्मेदार होता है।
  • लंबी यात्रा के दौरान पर्सनल हाइजीन के प्रति विशेष सावधानी बरतें।
  • मिठाई, सॉफ्ट ड्रिंक्स और चॉकलेट, पेस्ट्री जैसी चीज़ों का सेवन सीमित मात्रा में करें।
  • अगर खुजली जैसा कोई लक्षण नज़र आए तो अपने मन से किसी दवा का इस्तेमाल करने से बचें ।
  • किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देने पर बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
  • कुछ दवाओं के सेवन और ऑइंटमेंट के इस्तेमाल से यह समस्या जल्द ही दूर हो जाती है लेकिन उपचार को बीच में अधूरा न छोड़ें और डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए।

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