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Motivational Story: लालची सेठ
Motivational Story: एक बार किसी को किराये पर बर्तन दिये। वह व्यक्ति उससे बर्तन ले गया- और किराया दे गया। किन्तु जब उसने बर्तन वापस लौटाये- तो दो-तीन बर्तन उसे अधिक दे दिये।
Motivational Story: एक सेठ था। वह बर्तनों को किराये पर देता था और उनसे कमाई करता था।एक बार किसी को किराये पर बर्तन दिये। वह व्यक्ति उससे बर्तन ले गया- और किराया दे गया। किन्तु जब उसने बर्तन वापस लौटाये- तो दो-तीन बर्तन उसे अधिक दे दिये।वह सेठ पूछने लगा कि क्या बात है....? तुमने अधिक बर्तन क्यों दिये हैं....? वह व्यक्ति कहने लगा कि आपने जो बर्तन दिये थे, ये बर्तन उसकी सन्तानें हैं।इसलिए इन्हें भी आप सम्भाल लीजिए। वह सेठ बड़ा प्रसन्न हुआ- कि यह अच्छा ग्राहक है। यह तो मुझे बहुत लाभ देगा। किराया तो मुझे मिलेगा ही,साथ में अधिक बर्तन भी मिलेंगे। इस प्रकार कुछ दिन बीते,वही व्यक्ति पुनः आ गया। लौटते समय फिर थोड़े बर्तन अधिक कर दिये- और वही बात कही कि बर्तनों की सन्तान हुई है।
सेठ बड़ा प्रसन्न हुआ, चुपचाप सब बर्तन रख लिए।एक महीने का समय बिताकर- वह व्यक्ति सेठ के पास फिर गया और कहने लगा- कि मेरे यहां कुछ विशेष अतिथि आने वाले हैं, अतः कृपा करके आपके पास जो चांदी के बर्तन हैं, वे मुझे दे दीजिए। पहले तो सेठ कुछ सोच में पड़ा, फिर सोचा कि मैंने पहले जितने बर्तन दिए, उनसे अधिक मुझे प्राप्त हुए। इस बार कुछ चांदी के बर्तन अधिक मिलेंगे। इसी तरह सोचकर उसने बर्तन दे दिये। समय बीतता गया, पर वह व्यक्ति बर्तन लौटाने नहीं आया। अब सेठ बड़ा परेशान हुआ। वह उसके घर जा पहुंचा और उससे पूछा कि भले मानस! तूने वे बर्तन वापस नहीं किए। वह व्यक्ति बहुत ही मायूस सा होकर कहने लगा कि सेठ जी, क्या करें, आपने जो चांदी के बर्तन दिए थे, उनकी तो मृत्यु हो गई।
सेठ बड़ा गुस्से में आया, कहने लगा कि क्या बात है, मैं तुझे अन्दर करवा दूंगा, कभी बर्तनों की भी मृत्यु होती है। वह व्यक्ति कहने लगा, सेठ जी! जब मैंने कहा था कि बर्तनों की संतानें हो रही हैं, उस वक्त आप सब ठीक मान रहे थे। यदि बर्तनों की सन्तान हो सकती है- तो वे मर क्यों नहीं सकते..?
यही संसार की स्थिति है। माया के पीछे मनुष्य इतना अन्धा हो जाता है- कि उसे कुछ समझ नहीं आता।महात्मजन, सन्तजन हर कदम पर मनुष्य को चेतावनी देते हैं- कि हे मनुष्य ! तू जिन महात्माओं के,जिन सन्तजनों के वचनों को सुनता है, पढ़ता है,तू इनके ऊपर सत्य को जानकर दृढ़ भी हो जा।लालच में पड़कर सत्य का साथ न छोड़े,नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा।
( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं ।)