Trigeminal Neuralgia: सलमान खान भी ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया से रह चुके हैं पीड़ित-जानें लक्षण, कारण और उपचार

Trigeminal Neuralgia: बता दें कि इस बीमारी की वजह से ही कभी -कभी सलमान खान की आवाज कर्कश भी हो जाती है। लेकिन हो सकता है सुनने वालों को लगे कि वह नशे में हैं, लेकिन ऐसा नहीं है आवाज़ में आयी तबदीली इस बीमारी के कारण होता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 16 Jun 2022 12:59 PM GMT
Salman khan suffering from Trigeminal Neuralgia
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Salman khan suffering from Trigeminal Neuralgia

Trigeminal Neuralgia: बॉलीवुड के दबंग मशहूर एक्टर सलमान खान अपने फिटनेस को लेकर हमेशा चर्चे में बने रहते हैं। 56 की उम्र में भी सलमान नए -नए एक्टर को फिटनेस के मामले में कड़ी चुनौती देते हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सलमान खान भी एक भयंकर बीमारी का अनुभव कर चुके हैं। जी हाँ कुछ सालों पहले तक सलमान खान एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे जो उनके लिए जानलेवा साबित होने लगी थी।

बता दें कि सलमान खान को दुनिया की सबसे तकलीफदेह बीमारियों में से एक माने जाने वाला बीमारी हुआ था। जिसका नाम 'ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया' (Trigeminal Neuralgia) है। बता दें कि यह एक खतरनाक न्यूरोलॉजीकल बीमारी हैजिसमें मरीज की नसों में असहनीय दर्द होता है और मरीज सुइसाइड तक कर लेता है।

गौरतलब है कि साल 2017 में आई फिल्म 'ट्यूबलाइट' (Tubelight) के दौरान अभिनेता सलमान खान ने बताया था कि उन्हें 'ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया' (Trigeminal Neuralgia) नामक एक खतरनाक न्यूरोलॉजीकल बीमारी है। जिसके कारण उनके मन में कई बार सुसाइड करने का भी विचार आया। लेकिन उनके परिवार और फैंस के प्यार ने कभी उनको ऐसा करने नहीं दिया। हालाँकि सलमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि अब वह इस बीमारी से उबर चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि सलमान खान साल 2001 से ही इस बेहद दुर्लभ बीमारी ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित थे। हालांकि वह अब इस बीमारी से उबर चुके हैं लेकिन सलमान खान अब भी बहुत अधिक गुस्सा नहीं करने की सलाह दी गयी है क्योंकि अत्यधिक गुस्सा करने से उनकी नसों को दोबारा दिक्कत हो सकती है। जिसके कारण उनके करीबियों ने कई बार उन्हें शो की मेजबानी छोड़ने की सलाह भी दी है। बता दें कि इस बीमारी की वजह से ही कभी -कभी सलमान खान की आवाज कर्कश भी हो जाती है। लेकिन हो सकता है सुनने वालों को लगे कि वह नशे में हैं, लेकिन ऐसा नहीं है आवाज़ में आयी तबदीली इस बीमारी के कारण होता है।

तो आइये जानते दुर्लभ बीमारी ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के बारे में।

क्या है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया?

बता दें कि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया नर्व डिसॉर्डर यानी नसों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसमें चेहरे के एक हिस्से पर करंट लगने जैसा दर्द होता है। उल्लेखनीय है कि यह दुनिया की सबसे तकलीफदेह बीमारियों में से एक मानी जाती है। इस बीमारी में चेहरे के किसी खास हिस्से में चाकू मारने या बिजली का करंट लगने जैसा तेज दर्द महसूस होता है। गौरतलब है कि यह दर्द ट्राइजेमिनल नाम की नस में होने वाले दर्द के कारण होता है। बता दें कि यही वही नस है जो आपके चेहरे , आंख, साइनस और मुंह में होने वाली किसी भी तरह की फीलिंग, टच और दर्द के अहसास को ब्रेन तक पहुंचाने का काम करती है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लक्षण:

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लक्षणों में ब्रश करने पर पूरे चेहरे में तेज दर्द महसूस होना, फेस को छूने पर दर्द होना, शेविंग करने या फेस पर मेकअप लगाने पर दर्द होना, खाने-पीने के दौरान दर्द महसूस होना और बोलने या हंसने पर भी चेहरे पर तेज दर्द महसूस होना शामिल है।

अधिकांशतः 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में होती है ये बीमारी

आमतौर पर यह बीमारी 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में होती है। उल्लेखनीय है कि इस बीमारी के शुरुआती दौर में तो पीड़ित व्यक्ति को हल्का दर्द और माइल्ड अटैक महसूस होता है लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ने लगती है ये दर्द बहुत ज्यादा तेज और लम्बे समय तक होने लगता है। हालाँकि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया नाम की यह बीमारी किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकती है। लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह बीमारी ज्यादा होने की संभावना होती है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का उपचार :

हालाँकि ज्यादातर मामलों में मरीज इस बीमारी के शुरुआती समय में इसके होने वाले दर्द को डेंटल प्रॉब्लम यानी दांतों से जुड़ा हुआ दर्द मान लेते हैं। लेकिन दरअसल यह दर्द पूरे चेहरे का दर्द होता है जिसमें चेहरे के एक साइड पर कुछ सेकंड या कुछ मिनटों के लिए तेज दर्द होता रहता है। इतना ही नहीं तापमान में बहुत ज्यादा बदलाव होने के कारण यानी बहुत ज्यादा गर्मी या बहुत ज्यादा ठंड हो तब भी ये दर्द अत्यधिक बढ़ जाता है। इसके लिए इंजेक्शन और दवाओं के जरिए नसों पर पड़ने वाले प्रेशर को कम करके इस बीमारी का उपचार किया जाता है। गौरतलब है कि कई बार इस बीमारी के गंभीर हो जाने के बाद सर्जरी तक की भी जरूरत पड़ती है।

Rakesh Mishra

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