TRENDING TAGS :
Uma Bharti Biography: उमा भारती: साध्वी से मुख्यमंत्री तक का सफर और विवादों की कहानी
Uma Bharti Ka Jivan Parichay: उमा भारती ने अपने जीवन में राजनैतिक सफलता से लेकर कई तरह के विवादों का भी सामना किया है। आइये उनके जीवन के इसी सफर से आपको रूबरू करवाते हैं।
Uma Bharti Biography Wiki in Hindi: उमा भारती भारतीय राजनीति का एक ऐसा नाम हैं, जो हिंदुत्व की राजनीति, सामाजिक मुद्दों, और विवादों के लिए जाना जाता है। साध्वी के रूप में अपनी धार्मिक छवि से लेकर मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने तक उनका सफर प्रेरणादायक और घटनाओं से भरा रहा है। आइए, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टि डालते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
उमा भारती का जन्म 3 मई, 1959 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के डुंडा गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।उन्होंने कक्षा छठवी तक पढ़ाई की थी।वह लोधी जाति से आती हैं।उनका परिवार धार्मिक विचारधारा से प्रभावित था। बचपन से ही उमा भारती में आध्यात्मिक झुकाव देखा गया। उन्होंने शिक्षा में कोई औपचारिक डिग्री हासिल नहीं की। लेकिन धार्मिक ग्रंथों में उनकी गहरी रुचि रही। छोटी उम्र से ही उन्होंने धार्मिक सभाओं में प्रवचन देना शुरू कर दिया और साध्वी के रूप में पहचानी जाने लगीं।
साध्वी से राजनीति की ओर सफर
उन्हें ग्वालियर की महारानी विजयराजे सिंधिया ने उभारा। उमा भारती का राजनीतिक सफर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से शुरू हुआ। 1984 में, उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और खुद को हिंदुत्व की एक मजबूत समर्थक के रूप में स्थापित किया। उनकी प्रभावशाली वक्तृत्व शैली और धार्मिक छवि ने उन्हें जल्द ही भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच जगह दिलाई। 1989 में वह खजुराहो से सांसद चुनी गईं। इसके बाद उन्होंने 1991, 1996, और 1998 में भी इस सीट पर जीत दर्ज की। उमा को मध्यप्रदेश की राजनीति का ऐसा चेहरा माना जाता है, जिसने राज्य में 10 साल तक काबिज कांग्रेस की सत्ता को जड़ से हटाया और राज्य में भाजपा की जड़ें जमाईं।उमा भारती ने वाजपेयी सरकार में मानव संसाधन विकास, पर्यटन, युवा मामले एवं खेल और अंत में कोयला और खदान जैसे विभिन्न राज्य स्तरीय और कैबिनेट स्तर के विभागों में कार्य किया।
राम जन्मभूमि आंदोलन और उभार
उमा भारती का राजनीतिक करियर राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा हुआ है। यह आंदोलन 1990 के दशक में हिंदुत्व राजनीति का प्रमुख केंद्र था। उमा भारती ने इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और भाजपा के लिए एक मजबूत हिंदुत्व समर्थक नेता के रूप में उभरीं। उनकी आक्रामक भाषण शैली और धार्मिक प्रतिबद्धता ने उन्हें राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा बना दिया। 6 दिसंबर,1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस में उनकी भूमिका को लेकर वे लंबे समय तक विवादों में रहीं।
मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री
08 दिसंबर, 2003 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उमा भारती ने भाजपा के नेतृत्व में कांग्रेस को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत ने न केवल उन्हें राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा चेहरा भी बना दिया। उनकी सरकार ने ‘सुशासन’और गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। हालांकि, यह कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रहा।
झारखंड ध्वज विवाद और इस्तीफा
2004 में, कर्नाटक के हुबली में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के मामले में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। इसे झारखंड ध्वज विवाद के नाम से जाना जाता है। इसके कारण उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे को नैतिकता का प्रतीक बताया और कहा कि वे कानून का सम्मान करती हैं। इस घटना ने उनके राजनीतिक करियर को बड़ा झटका दिया। लेकिन उन्होंने इसे एक नई शुरुआत के रूप में लिया।
विवादों से घिरा जीवन
उमा भारती का जीवन और करियर कई विवादों से भरा रहा है। बाबरी मस्जिद विध्वंस से लेकर उनके तीखे बयान और पार्टी के भीतर मतभेदों तक, वे अक्सर सुर्खियों में रहीं।1992 में अयोध्या आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका के लिए उमा भारती को अदालत में पेश होना पड़ा।नवम्बर, 2004 को लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना के बाद उन्हें भाजपा से बर्खास्त कर दिया गया। 2005 में उनकी बर्खास्तगी हट गयी और उन्हें पार्टी की संसदीय बोर्ड में जगह मिली। इसी साल वह पार्टी से हट गयी। क्योंकि उनके प्रतिद्वंदी शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। उमा भारती के भाषणों को लेकर भी कई बार विवाद हुआ। उनके तीखे बयान अक्सर राजनीतिक और सामाजिक आलोचना का कारण बने।साल 2007 में उमा भारती ने रामसेतु को बचाने के लिए सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के विरोध में 5 दिन तक भूख हड़ताल भी की।
भाजपा में वापसी
07जून, 2011को उनकी पुनः भाजपा में वापसी हुई।उत्तरप्रदेश में पार्टी की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने ‘गंगा बचाओ’ अभियान चलाया।उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए प्रचार किया और पार्टी के लिए हिंदुत्व का एजेंडा फिर से मजबूत किया।उन्हें 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करने का काम सौंपा गया था। उन चुनावों में, वह चरखारी निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनी गईं। इसके बाद, 2014 के लोकसभा चुनावों के माध्यम से भाजपा का मार्गदर्शन करने के लिए बनाई गई एक टीम के हिस्से के रूप में, उन्हें 12 अन्य लोगों के साथ पार्टी उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया।16 मई, 2014 को, वह समाजवादी पार्टी के चंद्रपाल यादव को हराकर झांसी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद उमा भारती ने 26 मई, 2014 से 1 सितंबर , 2017 तक जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद वह 3 सितंबर 2017 को पेयजल और स्वच्छता मंत्री बनीं ।
लोकसभा चुनाव में हुई अनदेखी
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उमा भारती ने घोषणा की कि वह सक्रिय राजनीति से ब्रेक लेंगी और चुनाव नहीं लड़ेंगी। इसके पीछे उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और पार्टी को नए चेहरों को अवसर देने की आवश्यकता को कारण बताया। इसके बावजूद, वह पार्टी के लिए प्रचार और जनसभाओं में सक्रिय रहीं।इसके बाद उमा भारती ने स्वयं प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यह जानकारी दी थी कि वह गंगा बचाओं अभियान में दो साल स्वतंत्र रूप से देना चाहती हैं । इसलिए वे अभी किसी चुनाव में भाग नहीं लेंगी, नहीं तो उनका संसदीय क्षेत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा था कि उनकी बातों का सम्मान किया जाए। हालांकि यह भी कहा गया था कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिससे नाराज होकर उन्होंने स्वयं ही पीछे हटने के फैसला ले लिया ।
महिला सशक्तिकरण में भूमिका
उमा भारती ने महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी काम किया। उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में महिलाओं के लिए योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने राजनीति में महिलाओं की भूमिका को लेकर कई बार सार्वजनिक मंचों से अपनी राय रखी।
स्वास्थ्य और व्यक्तिगत जीवन
उमा भारती का जीवन आध्यात्मिकता और राजनीतिक सक्रियता के बीच संतुलित रहा है। हालांकि, समय-समय पर उनका स्वास्थ्य खराब होने की खबरें आती रहीं। व्यक्तिगत रूप से, उमा भारती ने साध्वी के रूप में एक सादा जीवन चुना और अविवाहित रहीं।
विरासत और प्रभाव
उमा भारती ने भारतीय राजनीति में एक मजबूत छाप छोड़ी है। उन्होंने न केवल भाजपा के भीतर हिंदुत्व को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनका साहस, आत्मविश्वास और राजनीतिक कौशल आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
फिर से आई सुर्खियों में
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एक बार फिर चर्चा में थीं । उन्होंने भोपाल क्राइम ब्रांच में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी। मामला एक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो से जुड़ा है, जिसमें दावा किया गया था कि एक महिला आईपीएस अधिकारी नौकरानी बनकर उमा भारती के घर में प्रवेश करती है और बाद में भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। हालांकि, जांच में यह पूरा मामला फर्जी पाया गया। इसके बाद उमा भारती ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी । उमा भारती के निजी सचिव ने इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि इस पूरे वीडियो के जरिए उमा भारती की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था ।
उमा भारती का जीवन संघर्ष, सफलता, और विवादों का मिश्रण है। एक साध्वी से मुख्यमंत्री तक का उनका सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाता है कि धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व कैसे एक-दूसरे को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, विवादों ने उनके करियर को कई बार बाधित किया। लेकिन उमा भारती ने हर चुनौती का डटकर सामना किया। आज भी वे भारतीय राजनीति का एक अहम चेहरा हैं और उनकी कहानी महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का प्रतीक बनी हुई है।