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Veer Savarkar Jayanti 2024: आज वीर सावरकर जयंती पर जानिए उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से, कैसे मिला उन्हें ये नाम
Veer Savarkar Jayanti 2024: आज 28 मई को पूरा देश वीर सावरकर जयंती मना रहा है, आइये जानते हैं उनसे जुड़े कुछ फैक्ट्स जिनके बारे में शायद ही आपको पता हो।
Veer Savarkar Jayanti 2024: आज पूरा भारत वीर सावरकर जयंती मना रहे हैं। उनका जन्म 28 मई 1883 में महाराष्ट्र में नासिक के पास हुआ था। विनायक दामोदर सावरकर को लोकप्रिय रूप से वीर सावरकर भी कहा जाता है। वो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि उन्हें वीर सावरकर नाम किसने दिया और उनसे जुड़े कई और तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद ही आपको पता हो।
वीर सावरकर जयंती (Vinayak Damodar Savarkar Birth Anniversary)
आज वीर सावरकर जयंती के अवसर पर उनसे जुडी कई बातें हम यहाँ आपको बताने जा रहे हैं। उन्हीं तथ्यों में से एक तथ्य ये है कि उन्होंने कई संगठनों की स्थापना भी की। जिनमे अभिनव भारत सोसाइटी और फ्री इंडिया सोसाइटी प्रमुख थे। इसके अलावा वो इंडिया हाउस के सदस्य भी थे। वो भले ही हिंदू महासभा के संस्थापक नहीं थे, लेकिन उन्होंने इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो संघर्ष का विरोध करते हुए इसे "भारत छोड़ो लेकिन अपनी सेना रखो" आंदोलन कहा।
गौरतलब है कि सावरकर ने हिंदू राष्ट्र के रूप में भारत के आदर्श का समर्थन किया और उन्हें हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक विचारधारा हिंदुत्व को विकसित करने का श्रेय भी दिया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कई पोस्टल भी लिखीं जिनमे "जोसेफ माज़िनी- जीवनी और राजनीति" पुस्तक काफी प्रसिद्ध हुई। उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के बारे में "द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस" में लिखा जिसमे उन्होंने गुरिल्ला वॉर नीति के बारे में लिखा जिसे उन्होंने लंदन में सीखा था। पहले तो इसे ब्रिटिश एम्पायर द्वारा प्रकाशित नहीं होने दिया गया लेकिन भीकाजी कामा ने इसे प्रकाशित कर दिया। इसके बाद नीदरलैंड, जर्मनी और फ्रांस में इसकी प्रतियां भी बांटीं गईं।
विनायक दामोदर सावरकर ने न सिर्फ अंग्रेज़ों द्वारा लाई गयी वस्तुओं का विरोध किया बल्कि विदेशों से आने वाली सभी चीज़ों का विरोध किया। ऐसे में उन्होंने साल 1905 में विदेशों से आई सभी चीज़ों का दशहरे के दिन जलाकर ख़त्म करने का निर्णय लिया और उन्होंने ऐसा किया भी।
वीर सावरकर को साल 1911 में कला पानी की सबसे कठिन सजा सुनाई गयी थी। दरअसल उन्होंने नासिक जिले के कलेक्टर जैक्सन की हत्या कर दी थी। उन्हें नासिक षड्यंत्र कांड के तहत 7 अप्रैल 1911 में ये सजा सुनाई गयी थी। इस दौरान वो 4 अप्रैल 1911 से लेकर 21 मई 1921 तक पोर्ट ब्लेयर जेल में रहे। सावरकर ने हिंदुत्व शब्द पर प्रकाश डाला और हिन्दू धर्म की विशिष्टता पर भी ज़ोर दिया। जिसे सामाजिक और राजनितिक साम्यवाद से जोड़ा गया।
ऐसे मिली वीर सावरकर की उपाधि
शिक्षाविद, लेखक, पत्रकार, कवि और नाटक व फिल्म कलाकार प्रह्लाद केशव अत्रे ने विनायक दामोदर सावरकर को स्वातंत्र्यवीर की उपाधि दी। कुछ समय बाद उनके नाम से वीर शब्द को जोड़ा गया और उन्हें वीर सावरकर की उपाधि मिली। महात्मा गाँधी और वीर सावरकर के विचार काफी भिन्न थे, यही वजह थी कि उन्होंने महात्मा गाँधी के अंग्रेज़ों भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध भी किया था।
सावरकर के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगें कि आज हमारे देश के तिरंगे की सफ़ेद पट्टी पर मौजूद चक्र, सावरकर का ही सुझाव था। इसे सबसे पहले उन्होंने ही दिया था। जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने तुरंत मान भी लिया था।
सावरकर का निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था। अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के हवाई अड्डे का नाम पर ही वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया है।