भारतीय संस्कृति के प्राण तत्व, भारतीय तंत्र के घोष वाक्य

‘सत्यमेव जयते’ जब बोलें, भारत दर्शन की है रेखा। ‘यतो धर्मस्ततो जयः’ स्वर, सर्वोच्च न्यायालय की है लेखा।

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Published on: 12 March 2023 10:05 AM GMT
Indian culture
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Indian culture (Pic: Social Media)

भारतीय संस्कृति के प्राण तत्व - भारतीय तंत्र के घोष वाक्य।

भारत के घोषित ध्येय वाक्य,

हैं सांस्कृतिक विरासत के उदघोषक।

सब में अमृत तत्व भरा है,

स्वयमेव भारतीयता के हैं पोषक।।1।।

‘सत्यमेव जयते’ जब बोलें,

भारत दर्शन की है रेखा।

‘यतो धर्मस्ततो जयः’ स्वर,

सर्वोच्च न्यायालय की है लेखा।।2।।

‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ है घोषित,

भारतीय संसद का महामन्त्र।

‘योगक्षेमं वहाम्याहम’ परिपोषित,

जीवनबीमा का महायन्त्र।।3।।

बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय,

है आकाशवाणी का संदेश।

‘सत्यमं शिवमं सुन्दरम’ पोषित,

है दूरदर्शन का शुभ् परिवेश।।4।।

‘अहर्निशं सेवामहे’ उदघोषित,

है डाकतार विभाग सन्नद्ध।

‘सर्वेभवन्तु सुखिनः’ से ध्येयित,

स्वास्थ्य विभाग भी है प्रतिबद्ध।।5।।

‘विद्ययाअमृतमश्नुते’ स्वर से,

एन.सी.आर.टी देता है दृष्टि।

‘असतो मां सदमयगमय’ दीप से,

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा-सृष्टि।।6।।

है ‘योगक्षेमो नः कल्पताम’,

प्रवासी संगठन का उच्चार।

‘ज्ञान-विज्ञान विमुक्तये’ भावों का,

है विश्वविद्यालय करता संचार।।7।।

‘वीरभोग्या वसुन्धरा’ है,

थल सेना का गीत।,

‘नभः स्पृशं दीप्ताम’ में,

है वायु सेना का संगीत।।8।

‘शं नो वरूणः’ सागर-सागर,

गूंजे जल सेना उदघोष।

सब घोषों में एक्य भाव है,

भारत माता का जयघोष।।9।।

Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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