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सफेद और हेल्दी दांत बचाते हैं आपको कई बीमारियों से
नई दिल्ली : अगर किसी को दांतों की सफाई के लिए सलाह दी जाती है इसका मतलब यह नहीं है कि केवल दांत की चमक दिखाकर आपकी खूबसूरती बढ़ाना है बल्कि आपको सेहत का भी ध्यान रखना है। दांतों के साथ जरा सी लापरवाही गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है। मसूढ़ों व दांतों की खराब सेहत से डायबिटीज का खतरा भी हो सकता है। एक शोध में यह बात सामने आई है। इतना ही नहीं दांतों व मसूढ़ों में होने वाला संक्रमण हमारे पूरे तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में दांतों की सफाई नियमित तौर पर करने के साथ ही दांतों से जुड़ी भ्रांतियों को भी दूर करने की जरूरत है।
क्या है शोध
बीस साल से अधिक उम्र के 9670 लोगों पर हुए शोध में सभी लोगों के बॉडी मास इंडेक्स और ग्लूकोज सहनशीलता के आंकड़े एकत्र किए गए। जिनके दांतों का स्वास्थ्य खराब या दांत टूटे हुए थे, उनमें से 45.5 प्रतिशत लोगों के शरीर में ग्लूकोज सहनशीलता सामान्य थी। 67.7 प्रतिशत लोगों के शरीर में असामान्य ग्लूकोज सहनशीलता और 82.8 प्रतिशत लोग डायबिटीज से पीडि़त पाए गए।
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क्यों दांत साफ रखना जरूरी
नियमित दांतों की सफाई करने का उद्देश्य ब्रश या फ्लॉस से प्लाक को साफ करना होता है। अगर सही तरीके से ब्रश न किया जाए तो कैविटी, पायरिया आदि समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में सावधानी के साथ और सही तरीके से ब्रश करना चाहिए। ब्रश करते वक्त मसूढ़ों पर ज्यादा दबाव न डालें। सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करें। युकेलिप्टस या पिपरमेंट तेल का प्रयोग कर भी मसूढ़ों का मसाज कर सकते हैं। इससे रक्त संचार बढ़ जाता है। मुंह का व्यायाम भी करना चाहिए। इसके लिए ऊपर व नीचे के दांतों को आपस में दबाएं। यह प्रक्रिया 30 से 40 बार दोहराएं। इससे रक्त संचार बढ़ता है। इसके अलावा फ्लॉस करने के बाद माउथवॉश से रोजाना अपने मुंह को साफ करें। माउथवॉश में एंटीसेप्टिक होता है जो मुंह में पनपने वाले बैक्टीरिया को खत्म करते हैं और आप स्वस्थ रहते हैं।
दांतों की समस्या होने पर कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए
जब दांतों पर काले भूरे धब्बे नजर आने पर या ठंडा-गर्म लगने पर, मसूढ़ों में पस आने पर अलर्ट हो जाना चाहिए और डेंटिस्ट से मिलने में देरी नहीं करनी चाहिए।
कैविटी क्या होती है और इससे क्या समस्या होती है?
कैविटी की वजह से दांतों में सेंसिटिविटी की समस्या होती है। हर बार सेंसिटिविटी की यही वजह नहीं होती है। दांतों का क्षरण भी इसकी वजह हो सकती है। दरअसल दांतों का इनेमल जब हटने लगता है और सॉफ्ट टिश्यू एक्सपोज होने लगते हैं तो सेंसिटिविटी शुरू हो जाती है। खाने के तुरंत बाद ब्रश करना दांतों के लिए लाभकारी होता है। दरअसल खाने के बाद ब्रश करना दांत ही नहीं मसूढ़ों और जीभ के लिए भी अच्छा होता है। लेकिन कुछ भी खाने-पीने के आधा घंटे बाद ही ब्रश करना चाहिए। खाने-पीने से दांत की बाहरी परत अस्थाई तौर पर नरम हो जाती है। ऐसे में ब्रश करने पर इस परत पर जमा एसिड इनेमल पर चला जाता है जिससे सेंसिटिविटी की समस्या हो जाती है। थोड़ी देर बार ब्रश करने पर हमारी लार के साथ यह एसिड घुल जाते हैं।
क्या रूट कैनाल ट्रीटमेंट आरसीटी से बेहतर विकल्प दांत निकलवाना होता है।
आरसीटी और दांत निकलवाना दोनों ही अलग प्रक्रिया होती हैं। नैचुरल तौर पर दांत रहना ज्यादा लाभकारी होता है। इंफेक्शन और दांतों की स्थिति के अनुसार ही दोनों में से एक विकल्प चुनाजाता है।
क्या रात में सोने से पहले फल खाने से दांत साफ होते हैं?
आवश्यक पोषक तत्व होने के साथ ही फलों में शुगर से जुड़े तत्व भी होते हैं जो दांतों के लिए हानिकारक होते हैं। फलों में मौजूद शुगर और एसिड मिलकर प्लाक बैक्टीरिया को बढ़ा देते हैं। साथ ही रात में प्रोटेक्टिव सलाइवा का फ्लो भी कम हो जाता है जिससे दांतों को ज्यादा नुकसान होता है। इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए।
दांतों के लिए कुछ खास डाइट
सेब
फाइबर और क्लींजिंग एजेंट से भरपूर सेब में मैलिक एसिड होता है जो लार बनने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। इससे मुंह से बैक्टीरिया हटने में मदद मिलती है और फाइबर मसूढ़ों को मजबूत बनाते हैं।
विटामिन सी
संतरा, नींबू, बेरीज आदि में अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी होता है जो मसूढ़ों को संक्रमण से बचाने में सहायक होता है। अगर सम्भव हो तो ऐसे एक फल रोज खाएं, दूसरी बीमारियों से बचाव होगा।
नट्स और बीज
इनका टेक्सचर ऐसा होता है कि यह प्लाक और दांतों से धब्बे हटाने में मदद करते हैं। अखरोट और अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अधिक मात्रा होती है जो मसूढ़ों की बीमारियों को रोकते हैं।
मिल्क चीज़
इसमें मौजूद कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन दांत को सफेद और मजबूत बनाता है। इसके साथ दूध भी ले सकते हैं. इसमें मौजूद कैल्शियम दांतों को मजबूत बनाता है और प्रोटीन केसिन मुंह में एसिड के स्तर को कम करता है।