TRENDING TAGS :
IAF Officer Deepika Misra: कौन हैं वीरता पुरस्कार पाने वाली पहली महिला अधिकारी दीपिका मिश्रा, क्या है उनके अदम्य साहस की कहानी
IAF Officer Deepika Misra: भारतीय वायु सेना की पायलट विंग कमांडर दीपिका मिश्रा को 21 अप्रैल,2023 को वीरता पुरस्कार पाने वाली भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी बन गईं। आइये जानते हैं इस वीर महिला की कहानी और उनके जीवन की उपलब्धियों के बारे में और विस्तार से।
IAF officer Wing Commander Deepika Misra: आज महिलाये हर क्षेत्र में आगे आईं हैं और उन्होंने अपने आप को साबित किया है। ऐसी ही भारतीय वायु सेना की पायलट विंग कमांडर दीपिका मिश्रा को 21 अप्रैल,2023 को वीरता पुरस्कार पाने वाली भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी बन गईं। उन्हें ये पुरस्कार उनके अदम्य साहस के लिए दिया गया। आइये जानते हैं इस वीर महिला की कहानी और उनके जीवन की उपलब्धियों के बारे में और विस्तार से।
पायलट विंग कमांडर दीपिका मिश्रा के अदम्य साहस की कहानी
राजस्थान की रहने वाली दीपिका मिश्रा हेलीकॉप्टर पायलट हैं। मध्य प्रदेश में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने अपने ‘‘अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए कई लोगों की मदद की। जिसके लिए उन्हें ‘वायु सेना पदक’ (वीरता) से सम्मानित किया गया। सुब्रतो पार्क में वायुसेना के सभागार में आयोजित अलंकरण समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आऱ चौधरी ने कई वायु योद्धाओं को युद्ध सेवा पदक और अन्य अवार्ड्स दिए। जिसमे दो अधिकारियों को युद्ध सेवा पदक, 13 अधिकारियों और वायु योद्धाओं को वायु सेना पदक (वीरता), 13 अधिकारियों को वायु सेना पदक और 30 को विशिष्ट सेवा पदक शामिल थे। वहीँ इन सबके बीच विंग कमांडर दीपिका मिश्रा वायुसेना के इतिहास में वीरता पुरस्कार पाने वाली वायुसेना की पहली महिला अधिकारी बन गईं। आपको बता दें कि अपने कार्य और सेवा व समर्पण के लिए वायुसेना से कई महिलाओं को अवार्ड मिले हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि वायुसेना की किसी महिला अधिकारी को वीरता पुरस्कार मिला हो। आज हम आपके साथ उनके जीवन की कहानी शेयर करेंगे।
अगस्त 2021 में उत्तरी मध्य प्रदेश में भयंकर बाढ़ आई जिसमे हज़ारों लोगों की जान मुश्किल में फंसी हुई थी। जिस मंज़र को देख आपकी रूह कांप जाये ऐसे में भारतीय वायु सेना की पायलट विंग कमांडर दीपिका मिश्रा ने बिना किसी चीज़ की परवाह किये अपने फ़र्ज़ को निभाते हुए ‘मानवीय सहायता और अचानक आई बाढ़ के बाद आपदा राहत अभियान’’ के दौरान बिना रुके काम किया। बचाव कार्य पूरे आठ दिनों तक चला वहीँ दीपिका मिश्रा ने महिलाओं और बच्चों सहित 47 लोगों की जान बचाई। उनके भारतीय वायु सेना अधिकारीयों ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि,"उनके बहादुरीपूर्ण और साहसिक प्रयासों ने न केवल प्राकृतिक आपदा में कीमती जान बचाईं, बल्कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आम जनता के बीच सुरक्षा की भावना भी पैदा की।"
कौन हैं विंग कमांडर दीपिका मिश्रा?
प्रतिष्ठित अधिकारी राजस्थान की एक हेलीकॉप्टर पायलट हैं और उन्हें मध्य प्रदेश में बाढ़ राहत अभियान के दौरान 'असाधारण साहस और वीरता' प्रदर्शित करने के लिए इस पदक से सम्मानित किया गया था।
मध्यप्रदेश में बाढ़ के समय हालत काफी ख़राब हो चुके थे। लेकिन मौसम खराब तेज हवाओं और सूर्यास्त के करीब आने के बावजूद, विंग कमांडर दीपिका ने चुनौतीपूर्ण मौसम का मुकाबला किया और प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने वाली पहली और एकमात्र प्रतिवादी थीं।"
उनकी बहादुरी और साहस के प्रयासों ने न केवल प्राकृतिक आपदा में कीमती जान बचाई बल्कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आम जनता के बीच सुरक्षा की भावना भी पैदा की।
दीपिका मिश्रा ऐसे बनी विंग कमांडर
ये 2006 में वायु सेना अकादमी में उनकी पासिंग आउट परेड के दौरान था जब दीपिका मिश्रा ने सूर्य किरण और सारंग टीमों द्वारा एरोबेटिक प्रदर्शन देखा, उनके युद्धाभ्यास से वो दंग रह गईं, और उन्हें एरोबेटिक से प्यार हो गया, और उनका हिस्सा बनने की इच्छा पैदा हुई।
उस समय, ये असंभव था, क्योंकि शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला पायलटों को उस समय केवल एक इंजन वाले हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति थी। इसलिए , दीपिका मिश्रा को हेलीकॉप्टर धारा में एक चेतक/चीता इकाई में तैनात किया गया।
सौभाग्य से, भारतीय वायु सेना ने 2010 में एक प्रमुख नीतिगत बदलाव किया, जिससे मध्यम से भारी-भरकम हेलीकॉप्टर श्रेणी में महिला पायलटों को सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर से ट्विन-इंजन में बदलने की अनुमति मिली। बरेली और उधमपुर में दो चरणों के बाद, दीपिका मिश्रा के पास चेतक और चीता दोनों पर पहले से ही 1,600 घंटे थे, इसलिए जब भारतीय वायु सेना ने स्वयंसेवकों को सारंग टीम में शामिल होने के लिए कहा, तो वो तैयार हो गईं।
हालांकि, जब दीपिका मिश्रा ने पहली बार 2012 में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, तब वो इसे क्लियर नहीं कर पाईं थी। अगले वर्ष, उन्होंने फिर से आवेदन किया, और कई परीक्षणों और साक्षात्कारों को पास करने के बाद, अंततः 2014 में सारंग के लिए वो स्क्वाड्रन लीडर के रूप में चुनी गईं। फॉर्मेशन डिस्प्ले टीम में शामिल वो पहली IAF महिला पायलट बनीं।
स्क्वाड्रन लीडर दीपिका मिश्रा की कहानी सपनों के सच होने का एक सच्चा उदाहरण है। कहते हैं न जब कोई किसी चीज की कामना करता है, और दृढ़ संकल्प, समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ता है तो सपनों को हकीकत में बदलने में देर नहीं लगती।