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World Hemophilia Day 2024: आज पूरा विश्व 'वर्ल्ड हीमोफीलिया दिवस' मना रहा है, जानिए इसका इतिहास और महत्त्व

World Hemophilia Day 2024: आज यानि 17 अप्रैल को पूरा विश्व 'वर्ल्ड हीमोफीलिया दिवस' मना रहा है। आइये जानते हैं इसका इतिहास और महत्त्व क्या है।

Shweta Srivastava
Published on: 17 April 2024 10:14 AM GMT
World Hemophilia Day 2024
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World Hemophilia Day 2024 (Image Credit-Social Media)

World Hemophilia Day 2024: वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया (डब्ल्यूएचएफ) द्वारा हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुर्लभ आनुवंशिक रक्तस्राव विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ये दिवस लोगों को हीमोफीलिया और अन्य रक्तस्राव विकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, साथ ही इससे प्रभावित लोगों की सहायता करता है। इसके प्राथमिक लक्ष्यों में रोगियों की सहायता के लिए धन जुटाना शामिल है। आइये जानते हैं इसका इतिहास, महत्त्व और इस साल की थीम।

विश्व हीमोफीलिया दिवस 2024

रक्त का थक्का जमाने वाले प्रोटीन की अनुपस्थिति के कारण हीमोफीलिया आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से लगातार रक्तस्राव का कारण बन सकता है। फिलहाल, इस स्थिति का कोई इलाज नहीं है, लेकिन स्थिति को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं। जैसा कि हम विश्व हीमोफीलिया दिवस मना रहे हैं, आइए इसके विषय, इतिहास, लक्षण, कारण और इस विकार के प्रकार के बारे में विस्तार से जानते हैं। इस साल के विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम है, 'सभी के लिए समान पहुंच: सभी रक्तस्राव विकारों को पहचानना।' इस थीम को रखने का मुख्य विचार यह सुनिश्चित करना है कि हर किसी को इलाज मिले, चाहे उन्हें किसी भी प्रकार की रक्तस्राव की समस्या हो, उनकी उम्र कितनी भी हो, वे कहीं भी रहते हों और उनका लिंग कुछ भी हो।

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया (डब्ल्यूएफएच) की स्थापना 1963 में एक कनाडाई व्यवसायी फ्रैंक श्नाबेल ने की थी, जिन्हें जन्म से ही हीमोफिलिया ए था। प्रारंभिक WFH कांग्रेस 25 जून, 1963 को इस दिवस को मानाने की शुरुआत डेनमार्क के कोपेनहेगन में हुई थी और इसमें 12 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। ये दिन पहली बार 17 अप्रैल 1989 को श्नाबेल के जन्मदिन पर श्रद्धांजलि के रूप में मनाया गया था। 10वीं शताब्दी के दौरान, लोगों ने यह देखना शुरू कर दिया कि महिलाओं की तुलना में मामूली चोटों से अधिक पुरुष मर रहे थे।

1803 में, फिलाडेल्फिया, अमेरिका के डॉ. जॉन कॉनराड ओटो ने रक्तस्राव विकारों वाले व्यक्तियों का अध्ययन करना शुरू किया और पाया कि यह बीमारी माताओं से उनके बेटों में फैलती है।

हीमोफीलिया के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि किसी व्यक्ति में कमी कितनी गंभीर है। इनमें बड़े और अस्पष्टीकृत घावों का दिखना भी शामिल है। मसूड़ों से खून आना, नाक से खून आना, जोड़ों में दर्द और सूजन भी आम है। इसके अतिरिक्त, व्यक्तियों को जोड़ों में जकड़न का अनुभव हो सकता है, उनके मूत्र और मल में रक्त दिखाई दे सकता है। टीकाकरण के बाद भी असामान्य रक्तस्राव हीमोफीलिया का लक्षण हो सकता है।

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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