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World Radio Day History 13 February: पहली बार किसने बजाया था रेडियो , कैसे शुरू हुआ रेडियो का सफर, आइए जानते हैं रेडियो दिवस के मौके पर

World Radio Day History 13 February: विश्व रेडियो दिवस की स्थापना 2011 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य रेडियो को एक महत्वपूर्ण संचार माध्यम के रूप में पहचान देना और इसकी भूमिका को सशक्त बनाना था।

Akshita Pidiha
Written By Akshita Pidiha
Published on: 13 Feb 2025 2:27 PM IST
World Radio Day History 13 February: पहली बार किसने बजाया था रेडियो , कैसे शुरू हुआ रेडियो का सफर, आइए जानते हैं रेडियो दिवस के मौके पर
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World Radio Day History 13 February: रेडियो, एक ऐसा माध्यम जिसने दुनिया को जोड़ने, सूचनाओं को साझा करने और समाज में जागरूकता फैलाने में एक अहम भूमिका निभाई है। रेडियो की शक्ति को पहचानने और इसके महत्व को उजागर करने के लिए 13 फरवरी को ‘विश्व रेडियो दिवस’) World Radio Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल रेडियो के ऐतिहासिक योगदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह इसके भविष्य पर विचार करने का भी एक महत्वपूर्ण मंच है।

विश्व रेडियो दिवस का इतिहास

विश्व रेडियो दिवस की स्थापना 2011 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य रेडियो को एक महत्वपूर्ण संचार माध्यम के रूप में पहचान देना और इसकी भूमिका को सशक्त बनाना था। बाद में 2012 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने इस दिन को आधिकारिक मान्यता दी। 13 फरवरी को इस दिन के रूप में चुना गया क्योंकि 1946 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र ने अपना पहला रेडियो प्रसारण किया था।


रेडियो: एक प्रभावशाली संचार माध्यम

रेडियो को अक्सर ‘आम आदमी का माध्यम’ कहा जाता है । क्योंकि यह सुलभ, सस्ता और प्रभावशाली है। यह समाज के हर वर्ग तक आसानी से पहुंच सकता है, चाहे वे शहरी क्षेत्रों में रहते हों या दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में। यह संकट की घड़ी में भी सबसे प्रभावी संचार माध्यम साबित हुआ है, जैसे कि युद्ध, प्राकृतिक आपदा और अन्य आपात स्थितियों के दौरान।

रेडियो की महत्ता

1. सूचना और शिक्षा का स्रोत

रेडियो न केवल समाचार और जानकारी प्रदान करता है, बल्कि यह शिक्षा का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है।


कई देशों में, विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए रेडियो कार्यक्रमों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, भारत में ‘ज्ञानवाणी’ और ‘शिक्षा वाणी’ जैसे कार्यक्रम छात्रों को लाभान्वित कर रहे हैं।

2. मनोरंजन का प्रमुख माध्यम

रेडियो मनोरंजन का भी एक प्रमुख साधन है। संगीत, नाटक, कॉमेडी शो, वार्तालाप और लाइव प्रोग्राम रेडियो को मनोरंजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान देते हैं।


एफएम रेडियो की बढ़ती लोकप्रियता ने युवाओं को भी इस माध्यम से जोड़ा है।

3. समाज में जागरूकता फैलाने का उपकरण

रेडियो सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह स्वास्थ्य, पर्यावरण, राजनीति, कृषि, महिला सशक्तिकरण और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। कई गैर-सरकारी संगठन और सरकारी एजेंसियां इस माध्यम का उपयोग सामाजिक संदेश प्रसारित करने के लिए करते हैं।

4. आपदा प्रबंधन में भूमिका

आपदा प्रबंधन और संकट के समय रेडियो की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, 2004 की सुनामी और 2013 की उत्तराखंड बाढ़ के दौरान, जब अन्य संचार माध्यम ठप्प पड़ गए थे, तब रेडियो ने लोगों तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाई।

5. ग्रामीण विकास में योगदान

भारत जैसे देश में, जहाँ अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, रेडियो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


कृषि आधारित कार्यक्रम, पशुपालन, मौसम की जानकारी और सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए रेडियो को बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

विश्व रेडियो दिवस क्यों मनाया जाता है

हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है, जो एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है और इसे UNESCO द्वारा 3 नवंबर 2011 को अपने 36वें सम्मेलन के दौरान इस दिन को मनाने का निर्णय लिया गया था। इसे मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

  1. 13 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र रेडियो की स्थापना हुई थी, इसीलिए यह दिन चुना गया।
  2. यह आपातकालीन परिस्थितियों में संचार के प्रभावी माध्यम के रूप में कार्य करता है।
  3. रेडियो दुनिया के सबसे विस्तृत दर्शकों तक पहुंचने वाला माध्यम है।
  4. यह एक कम लागत वाला संचार उपकरण है, जो इसे हर किसी तक पहुंच बनाता है।
  5. तकनीकी विकास के बावजूद, रेडियो आज भी एक लोकप्रिय माध्यम बना हुआ है।

रेडियो का विकास और तकनीकी प्रगति

रेडियो तकनीक ने पिछले कुछ दशकों में काफी प्रगति की है। शुरुआत में AM (Amplitude Modulation) रेडियो का दौर था, फिर FM (Frequency Modulation) आया जिसने संगीत और क्लियर ऑडियो क्वालिटी को प्राथमिकता दी।


अब डिजिटल रेडियो, इंटरनेट रेडियो और पॉडकास्टिंग के माध्यम से रेडियो ने एक नई पहचान बना ली है।

विश्व रेडियो दिवस कैसे मनाया जाता है

  1. रेडियो कार्यक्रमों का आयोजन: इस दिन कई रेडियो स्टेशन विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण करते हैं, जिसमें रेडियो के इतिहास, इसके प्रभाव और इसकी उपयोगिता पर चर्चा की जाती है।
  2. कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ: पत्रकारिता, रेडियो प्रसारण और मीडिया विशेषज्ञों के लिए कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।
  3. सोशल मीडिया अभियान: इस दिन को मनाने के लिए सोशल मीडिया पर विशेष अभियान चलाए जाते हैं, जहाँ लोग रेडियो से जुड़ी अपनी यादें साझा करते हैं।
  4. रेडियो इनोवेशन अवार्ड्स: कुछ देशों में उत्कृष्ट रेडियो कार्यक्रमों और प्रसारकों को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं।

2025 विश्व रेडियो दिवस की थीम

विश्व रेडियो दिवस 2025 की थीम - ‘रेडियो और जलवायु परिवर्तन’( Radio and Climate Change) है। इस थीम का उद्देश्य रेडियो की भूमिका को जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उजागर करना और इसके प्रभावों को समझने में मदद करना है।

रेडियो का विकास और तकनीकी प्रगति

रेडियो तकनीक ने पिछले कुछ दशकों में काफी प्रगति की है।


AM (Amplitude Modulation) से FM (Frequency Modulation) और अब डिजिटल रेडियो, इंटरनेट रेडियो और पॉडकास्टिंग ने इसे एक नई पहचान दी है।

रेडियो प्रसारण की शुरुआत

24 दिसंबर, 1906 की शाम को कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अपना वॉयलिन बजाया, जिसके बाद अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना। यही घटना दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मानी जाती है।

रेडियो तकनीक के प्रारंभिक प्रयोग

हालांकि, रेडियो की शुरुआत जगदीश चंद्र बोस ने भारत में और गुल्येल्मो मार्कोनी ने 1900 में कर दी थी।


लेकिन एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। उस समय रेडियो का प्रयोग केवल नौसेना तक ही सीमित था।

पहला रेडियो स्टेशन

1918 में ‘ली द फोरेस्ट’ ने न्यूयॉर्क के हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरू किया था। लेकिन यह बाद में किसी वजह से बंद हो गया।1919 में फोरेस्ट ने एक और रेडियो स्टेशन शुरू किया।1920 में पहली बार रेडियो को कानूनी रूप से मान्यता मिली जब नौसेना के रेडियो विभाग में काम कर चुके फ्रैंक कॉनार्ड को रेडियो स्टेशन शुरू करने की अनुमति मिली।

रेडियो में विज्ञापन की शुरुआत

1923 में पहली बार रेडियो पर विज्ञापन प्रसारित किया गया।इसके बाद ब्रिटेन में बीबीसी (BBC) और अमेरिका में सीबीएस (CBS) और एनबीसी (NBC) जैसे सरकारी रेडियो स्टेशनों की शुरुआत हुई।


नवंबर 1941 में सुभाष चंद्र बोस ने रेडियो पर जर्मनी से भारतवासियों को संबोधित किया था।

भारत में रेडियो की शुरुआत

भारत में रेडियो ब्रॉडकास्ट की शुरुआत 1923 में हुई थी।1930 में 'इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी' (IBC) दिवालिया हो गई थी और उसे बेचना पड़ा।इसके बाद 'इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस' की स्थापना हुई।1936 में 'इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया' की शुरुआत हुई, जो आजादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) बन गया।

आकाशवाणी और भारत में रेडियो नेटवर्क

भारत में आकाशवाणी के 420 स्टेशन हैं।ये 92 प्रतिशत क्षेत्रफल और 99.19 प्रतिशत आबादी तक पहुंचते हैं।


आकाशवाणी से 23 भाषाओं और 14 बोलियों में प्रसारण किया जाता है।देश में 214 सामुदायिक रेडियो प्रसारण केंद्र (कम्युनिटी रेडियो) भी कार्यरत हैं।

रेडियो का भविष्य

डिजिटल युग में रेडियो ने खुद को नए रूप में ढाल लिया है। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, पॉडकास्ट और मोबाइल रेडियो ऐप्स की मदद से रेडियो की पहुंच और प्रभाव पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। आने वाले समय में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग के साथ रेडियो को और अधिक व्यक्तिगत और इंटरैक्टिव बनाया जाएगा।

विश्व रेडियो दिवस हमें यह याद दिलाता है कि रेडियो न केवल अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह भविष्य में भी संचार का एक अनिवार्य माध्यम बना रहेगा। इसकी सुलभता, व्यापक पहुंच और प्रभावशीलता इसे आज भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली माध्यमों में से एक बनाती है।

इस अवसर पर, हमें रेडियो की ताकत को पहचानना चाहिए और इसके उपयोग को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।



Admin 2

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