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World Theatre Day: आज भी लोग नाटक देखने के लिए समय निकल ही लेते है, जानिए रंगमंच दिवस का इतिहास और महत्त्व

World Theatre Day 2023: विश्व रंगमंच दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1961 में करी गयी थी. विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था द्वारा की गयी थी.

Vertika Sonakia
Published on: 27 March 2023 8:09 AM GMT
World Theatre Day: आज भी लोग नाटक देखने के लिए समय निकल ही लेते है, जानिए रंगमंच दिवस का इतिहास और महत्त्व
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World Theatre Day (फोटो: सोशल मीडिया )

World Theatre Day 2023: प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है. इस वर्ष 61वां विश्व रंगमंच दिवस मनाया जा रहा है.

नाटक नौटंकी या थिएटर इसे कुछ भी कहा जा सकता है. पुराने समय में मनोरंजन का एकमात्र साधन नाटक व नौटंकी हुआ करते थे. भारत देश की बात करें तो सिनेमाका नामोनिशान नहीं था. केवल नाटक देखकर लोग अपना मनोरंजन किया करते थे. इसके महत्त्व के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व रंगमंच दिवस प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है.

विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास

विश्व रंगमंच दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1961 में करी गयी थी. विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था द्वारा की गयी थी. कहा जाता है कि भारत में कालिदास जी ने पहली नाट्यशाला में मेघदूत की रचना करी थी. ऋग्वेद में सबसे पहले रंगमंच और नाट्यशाला का वर्णन मिलता है.

विश्व रंगमंच दिवस का महत्त्व

वर्तमान समय में रंगमंच से रहस्यमय सच्ची घटनाओं को उल्लेख होता है. इसमें टीवी सीरियल, वेब सीरीज, फ़िल्म नाटक सभी शामिल हैं. बीते 12 वर्षों में रंगमंच ने अपनी अलग पहचान बनाई है. कुछ सालों के भीतर वेब सीरीज में अपना बोलबाला बना लिया है और सभी लोग इसे बेहद पसंद कर रहे हैं.

विश्व रंगमंच दिवस की थीम

विश्व रंगमंच दिवस 2023 के तहत ‘रंगमंच और संस्कृति’ थीम का चयन किया गया.

विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य

रंगमंच कला के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष में शुभ रंगमंच दिवस मनाया जाता है. रंगमंच न केवल लोगों का मनोरंजन करता है बल्कि सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक भी करता है.

नाट्यश्काला का विकास

माना जाता है कि भारत में भरतमुनि ने नाट्यशाला को एक शास्त्रीय रूप दिया. भरतमुनि ने अपने नाटयशास्त्र में नाटकों के विकास की प्रक्रिया को लिखा है.

भारतीय रंगमंचकर्मी गिरीश कर्नाड को भी मिला मौका

सबसे पहले वर्ष 1962 में फ्रांस के जीन काक्टे ने विश्व रंगमंच दिवस के दिन दुनिया के सामने अपना संदेश रखा था. वर्ष 2002 में यह मौका मशहूर रंगमंचकर्मी गिरीश कर्नाड को मिला था. दुनिया भर में सबसे पहले नाटक का मंचन पांचवीं शताब्दी की शुरुआत में एथेंस में हुआ था.

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