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Electric Furnace dysfunctional: गोमती के गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार के लिए विद्युत शवदागृह खराब, लकड़ी के दाम तेज
Electric Furnace dysfunctional: गोमती नदी के गुलाल घाट पर अंतिम संस्कार में प्रयोग होने वाली विद्युत शवदागृह लगभग तीन माह से खराब पड़ा। गत माह अंतिम संस्कार में प्रयोग होने वाली लकड़ी के दाम भी ठेकेदारों द्वारा बढ़ा दिए गए थे। तीन माह से विद्युत भट्टी खराब होने के कारण लोग महंगी लकड़ी खरीदकर अंतिम संस्कार करने को विवश।
Electric Furnace dysfunctional: गोमती नदी के गुलाला घाट पर तीन माह से अंतिम संस्कार करने वाली विद्युत मशीन खराब है और लखनऊ वासियों को अंतिम संस्कार करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । इस पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी कहते हैं कि उन्हें मशीन खराब होने की जानकारी नहीं थी लेकिन पूरी जानकारी प्राप्त होने पर जल्द से जल्द मशीन ठीक करवाई जाएगी ।
गत तीन माह से गुलाला घाट पर विद्युत मशीन ख़राब
पिछले तीन माह से लखनऊ विकास प्राधिकरण की विद्युत भट्टी गोमती नदी के गुलाला घाट पर खराब हालत में पड़ी हुई है। इस कारण पुराने लखनऊ के लोगों को महंगी लकड़ी खरीदकर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है ।
पारंपरिक तरीके से हो रहा अंतिम संस्कार
पर्यावरण सुरक्षा के लिए लखनऊवासियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विद्युत भट्टी के तीन माह से खराब होने के कारण लोगों को पारंपरिक तरीके से लकड़ियों द्वारा जलाकर ही अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। यदि विद्युत भट्टी द्वारा ही अंतिम संस्कार करना है तो उसके लिए उन्हें पुराने लखनऊ से बैकुण्ठ धाम गोमतीनगर तक की दूरी तय करनी पड़ती है ।
विद्युत मशीन ख़राब होने के कारण
विशेषज्ञों का कहना है “शार्ट सर्किट के कारण अन्तिम संस्कार में इस्तेमाल की जाने वाली विद्युत भट्टी में खराबी आ गई थी । यह मशीन कलकत्ता की एक कंपनी द्वारा खरीदी गई थी और वही के मेकैनिको द्वारा इस मशीन को ठीक किया जा सकता है । लखनऊ के मैकेनिकों द्वारा इस मशीन को ठीक करने की कोशिश असफल साबित हुई। कलकत्ता के मेकैनिको की टीम द्वारा इस मशीन की जांच हो चुकी है। उम्मीद है की यह मशीन जल्द ठीक हो जाएगी और लखनऊवासी दुबारा इस विद्युत मशीन से पर्यावरण की रक्षा करते हुए अंतिम संस्कार कर सकेंगे ।”
दूसरी विद्युत मशीन का प्रस्ताव
लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा दूसरी विद्युत भट्टी लगाने का प्रस्ताव वर्ष 2020 में रखा गया था । इस मशीन के निर्माण के लिए कंपनी का भी चयन हो चुका है। लेकिन अभी तक तीन वर्ष पूर्ण होने के बावजूद इस विद्युत भट्टी का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है ।
लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा विद्युत मशीन इस्तेमाल और रख रखाव का बजट
लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली दोनो विद्युत भट्टी के रख रखाव के लिए 3 करोड़ का बजट तय किया गया था । लेकिन लखनऊवासियों को इसका लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है। एक मशीन पिछले तीन माह से खराब है और दूसरी तीन वर्षों से निर्माण ही सम्पन्न नहीं हुआ है ।
विद्युत मशीन की क्षमता और दाम
एक विद्युत मशीन से प्रतिदिन 18 लोगो का अंतिम संस्कार किया जा सकता है । पर्यावरण सुरक्षा के साथ ही विद्युत मशीन से अंतिम संस्कार करना सस्ता भी है । विद्युत मशीन से अंतिम संस्कार के लिए मात्र 400 रुपए की लागत आती है । दूसरी ओर पारंपरिक तरीके से लकड़ी जलाकर अंतिम संस्कार करने से वायु प्रदूषण होता है और 4 हज़ार रुपए का खर्चा आता है। विद्युत मशीन से अंतिम संस्कार करने पर केवल 40 मिनट का समय व्यतीत होता है जबकि दूसरी ओर लकड़ी जलाकर अंतिम संस्कार करने पर लगभग 3-4 घंटे का समय लगता है ।
लखनऊ वासियों की समस्याएं
न्यूज़ ट्रैक द्वारा लखनऊवासियों से बात करने पर पता चला कि गोमती के सभी घाटों पर मशीन की स्थिति खराब है । बैकुंठ धाम पर लगी विद्युत मशीन भी अक्सर खराब होती रहती है । अपने ही परिवार जिनका अंतिम संस्कार करने आए लखनऊवासी कहते हैं “मेरे सभी परिवारजनों ने विद्युत मशीन से ही अंतिम संस्कार करने का तय किया था । यहाँ आने पर पता चला कि मशीन तीन चार महीने से खराब है तो न चाहते हुए लकड़ी से अंतिम संस्कार लगभग 3000 रुपए खर्च करने पड़े । गुलाला घाट श्मशान के जनरल सेक्रेटरी कहते हैं “लखनऊ विकास प्राधिकरण से कई बार शिकायत करने के बावजूद इसके लिए कोई कारण नहीं किया गया ।”लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी कहते हैं “अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली विद्युत मशीन की खराब होने का मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था अब पूरे मामले में पता चलने पर जल्द से जल्द मशीन ठीक करवाई जाएगी ।”
अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी के भी बढे दाम
अंतिम संस्कार में प्रयोग होने वाली लकड़ी के भी ठेकेदारो द्वारा दाम बढ़ा दिए गए है | 500 रूपए प्रति किलो मिलने वाली लकड़ी अब 700 रूपए किलो में बिक रही है | अंतिम संस्कार में लगभग 3.6 कुंटल लकड़ी का इस्तेमाल होता है | 3.6 कुंटल लकड़ी जो 2000 रूपए से जयादा नहीं होनी चाहिए वह 2500 रूपए से अधिक गाम में बेचीं जा रही है | अब आम जनता के लिए मृत्यु के बाद भी सुकून नहीं है |