Mahogany Fossil Research: भारत में भी हुआ करते थे महोगनी, जीवाश्म शोध हुआ ये बड़ा खुलासा

Mahogany Fossil Research: बीरबल साहनी पुराविज्ञान शोध संस्थान द्वारा किये गए जीवाश्म शोध में पाया गया कि भारत देश में पेड़ों की उत्पत्ति 56 मिलियन वर्ष पहले हुई थी।

Vertika Sonakia
Published on: 29 March 2023 2:20 PM GMT
Mahogany Fossil Research: भारत में भी हुआ करते थे महोगनी, जीवाश्म शोध हुआ ये बड़ा खुलासा
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Mahogany Fossil

Research: बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलूसाइंसेज वरिष्ठ वैज्ञानिक अनुमेहा शुक्ला, वैज्ञानिक आरसी मेहरोत्रा, शोध विद्यार्थी काजल चंद्रा, माही बंसल और बीएसआइपी डायरेक्टर बन्दना प्रसाद द्वारा शोध किया गया। इन सभी वैज्ञानिकों के द्वारा महोगनी जीवाश्म शोध को सफल बनाया गया। इसमें उन्होंने बताया कि भारत में महोगनी था।

जीवाश्म शोध का परिणाम

इस जीवाश्म शोध में पाया गया कि भारत देश में पेड़ों की उत्पत्ति 56 मिलियन वर्ष पहले हुई थी। जीवाश्म शोध दर्शाता है कि मैक्सिको, ब्राज़ील और आसपास के इलाकों में पाया जाने वाला पेड़ 56 मिलियन वर्ष पहले भारत में भी देखा गया था। आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण महोगनी का पेड़ अपनी लालिमायुक्त टिंबर की लकड़ी के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह प्रसिद्ध महोगनी का पेड़ लकड़ी के फर्नीचर बनाने में मुख्यता प्रयोग होता है। भारत में प्राकृतिक बदलावों के कारण इसका प्रयोग विलुप्त होता जा रहा है। वैज्ञानिक का कहना है की वर्तमान समय में भारत देश में पाई जाने वाली महोगनी की प्रजाति खेती करके वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई है।

वैग्यानिकों का कहना

बीएसआईपी की वरीष्ठ वैज्ञानिक अनुमेहा शुक्ला का कहना है “इन संस्था द्वारा पाई गईं जीवाश्म अभी तक की सबसे पुरानी जीवाश्मों में से एक है। इस शोध के लिए दुनिया भर में से केवल दो जीवाश्म वर्तमान समय तक पाए गए हैं। एक मेक्सिको में पाया गया है और दूसरा डोमिनिकन रिपब्लिक में। दोनों ही लगभग 20 मिलियन वर्ष पहले के हैं। इस शोध से महोगनी पेड़ के इतिहास को समझने में सभी को मदद मिलेंगी। 19वीं शताब्दी में भारतीयों ने महोगनी पेड़ और उससे जुड़े लाभ एवं उसे पायी जाने वाली टिंबर की लकड़ी के बारे में जाना और समझा।अपने शोध के द्वारा वह महोगनी के भौगोलिक फैलाव पर प्रकाश डालते हुए महोगनी के भारत और दक्षिण अमेरिका मैं पाए जाने के बारे में बताती है।"

बीएआआईपी डायरेक्टर वंदना प्रसाद महोगनी के जीवन और विकास के बारे में समझाते हुए कहती हैं “महोगनी पेड़ के विकास के लिए एक गर्म तापमान की आवश्यकता होती है। 56 मिलियन वर्ष पहले इक्वेटर के पास जहाँ ये पेड़ पाया जाता था वहाँ उसके विकास के लिए गर्म तापमान उपलब्ध था। भारतीय प्लेट के इक्वेटर से बढ़ने के बाद और प्राकृतिक बदलावों के कारण इस पेड़ के विकास में बाधाएं आने लगी। राजस्थान की बदलते मौसम और रेगिस्तानी गर्मी में महोगनी पेड़ का बचपाना लगभग असंभव था। धीरे धीरे इस पेड़ की प्रजातियां कम होती गई और एक दिन वह भारत देश से विलुप्त हो गया। वर्तमान समय में यह पेड़ केवल संयुक्त राष्ट्र के देशों में पाया जाता है।

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