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MP Election 2023: MP विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कसी कमर, कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया को मिली अहम जिम्मेदारी

MP Election 2023: कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार अभियान समिति और चुनाव समिति की घोषणा कर दी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 1 Aug 2023 5:42 AM GMT (Updated on: 1 Aug 2023 7:53 AM GMT)
MP Election 2023: MP विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कसी कमर, कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया को मिली अहम जिम्मेदारी
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MP Election 2023 (photo: social media )

MP Election 2023: भारतीय जनता पार्टी शासित मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के इस बड़े राज्य में अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार अभियान समिति और चुनाव समिति की घोषणा कर दी है। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ एवं विधायक कांतिलाल भूरिया को अहम जिम्मेदारी दी गई है।

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने प्रदेश चुनाव समिति की बागडोर पूर्व सीएम कमलनाथ को सौंपी है। वहीं, 32 सदस्यों वाली चुनाव प्रचार अभियान समिति की कमान दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को सौंपी है। इन दोनों समितियों में प्रदेश के लगभग तमाम बड़े नामों को जगह दी गई है। इनमें वो नाम भी शामिल हैं, जो 15 माह के कमलनाथ सरकार में वरिष्ठ होने के बावजूद जगह नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे। इन समितियों में जगह देकर उनकी नाराजगी कम करने की कोशिश की गई है।

कैंपेन कमेटी में पिता-पुत्र और दो सगे भाई

एआईसीसी ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान समिति (कैंपेन कमेटी) का जो गठन किया है, उसमें 32 सदस्य हैं। जिनमें पिता-पुत्र और दो सगे भाई भी शामिल हैं। इस कमेटी में कांतिलाल भूरिया (अध्यक्ष), पीसीसी चीफ कमलनाथ, छिंदवाड़ा से सांसद और उनके बेटे नकुलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, चाचौड़ा विधायक और उनके सगे भाई लक्ष्मण सिंह, केपी सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव, सज्जन सिंह वर्मा, विवेक तंखा, अजय सिंह राहुल, जीतू पटवारी आदि शामिल हैं।

इसी प्रकार कमलनाथ की अगुवाई वाली प्रदेश चुनाव समिति में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरूण यादव, अजय सिंह राहुल, विवेक तंखा, नकुलनाथ, राजमणि पटेल, जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा आदि जैसे नाम शामिल हैं। एमपी कांग्रेस के सभी फ्रंटल संगठनों को भी बतौर सदस्य इसमें शामिल किया गया है।

रणदीप सुरेजवाला का लगातार बढ़ रहा कद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा एमपी रणदीप सुरजेवाला को कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। उनकी मदद के लिए महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता चंद्रकांत दामोदर हांडोरे को ऑब्जर्वर बनाया गया है। हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले सुरजेवाला का पार्टी के अंदर लगातार कद बढ़ रहा है। फिलहाल वह संगठन में राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसे अहम पद संभाल रहे हैं।

भूरिया के जरिए आदिवासी वोट साधेगी कांग्रेस

मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां आदिवासियों की संख्या काफी अधिक है। एमपी की 21 प्रतिशत आबादी इस वर्ग से ताल्लुक रखती है। राज्य में यह तबका कांग्रेस का वोटबैंक रहा है। जिसमें काफी हद तक बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब रही थी। लेकिन 2018 में एकबार फिर ये वापस आकर कांग्रेस के साथ जुड़ गई, नतीजतन कांग्रेस सत्ता के करीब पहुंच गई। एमपी में आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें से 30 पर कांग्रेस 2018 में जीतने में सफल रही थी।

कांतिलाल भूरिया मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। झाबुआ से आने वाले भूरिया केंद्र में मंत्री रहने के अलावा प्रदेश कांग्रेस की कमान भी संभाल चुके हैं। वर्तमान में वो विधायक हैं। जनजातिय क्षेत्रों में उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए कांग्रेस ने इलेक्शन कमेटी का मुखिया बनाकर उनके चेहरे को एक तरह से आगे रखा है।

क्या कमबैक कर पाएगी कांग्रेस ?

कांग्रेस ने साल 2018 में पंद्रह सालों से सत्ता में जमी बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी। हालांकि, कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इससे खुश नहीं थे और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी दावेदारी मानते थे। आखिरकार 2020 में एमपी कांग्रेस में सिंधिया के नेतृत्व में बड़ी बगावत हुई और कमलनाथ सरकार मात्र 15 माह में ही गिर गई। जिसके बाद सूबे में एकबार फिर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी। ऐसे में क्या कांग्रेस 2020 का बदला बीजेपी से 2023 में ले पाएगी, देखना दिलचस्प होगा।

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