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UP Nikay Chunav 2023: इस सीट पर दोबारा कोई शख्सियत नहीं बन सकी महापौर, इस बार टिकी निगाहें

UP Nikay Chunav 2023: इस बार के चुनाव में सबकी नजर भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया पर हैं कि क्या अहलूवालिया दोबारा महापौर बनने का नया रिकार्ड बना पाते हैं अथवा नहीं।

Sushil Kumar
Published on: 4 May 2023 6:32 PM IST
UP Nikay Chunav 2023: इस सीट पर दोबारा कोई शख्सियत नहीं बन सकी महापौर, इस बार टिकी निगाहें
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UP Nikay Chunav 2023

UP Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश के मेरठ में दांवपेच के बीच प्रतिष्ठा बचाने की जंग आखिरी चरण में काफी दिलचस्प होने जा रही है। मेरठ की अब तक खासियत यही रही है कि यहां विधायक व सांसद तो एक नहीं कई-कई बार चुन लिए गए। लेकिन,नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में दल तो दोबारा जीतने में कामयाब रहे हैं, लेकिन कोई व्यक्ति दोबारा महापौर नहीं बन सका है। नगर निगम के महापौर पद पर हुए अभी तक के पांच चुनावों में तीन बार बसपा और दो बार भाजपा जीतने में कामयाब रही है। लेकिन,महापौर बनने वाले चेहरे अलग-अलग रहे हैं। ऐसे में इस बार के चुनाव में सबकी नजर भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया पर हैं कि क्या अहलूवालिया दोबारा महापौर बनने का नया रिकार्ड बना पाते हैं अथवा नहीं।

भाजपा ने हरिकांत को दिया है दूसरी बार टिकट

बता दें कि इस बार नगर निगम चुनाव में कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें प्रमुख रुप से भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया,सपा से सीमा प्रधान,बसपा से हसमत मलिक,कांग्रेस से नसीम कुरैशी व आप से ऋचा सिंह शामिल हैं। इनमें हरिकांत अहलूवालिया दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले वो 2012 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर महापौर का चुनाव जीत चुके हैं। हरिकांत से पूर्व भाजपा की मधु गुर्जर 2006 में महापौर का चुनाव जीती थीं। बसपा के टिकट पर 1995 में अय्यूब अंसारी,2000 में हाजी शाहिद अखलाक और 2017 में सुनीता वर्मा जीती थीं। वहीं सपा और कांग्रेस से अब तक कोई महापौर नहीं बना है। यह अलग बात है कि विधानसभा व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कई बार जीत चुकी है। जबकि विधानसभा चुनाव में सपा के रफीक अंसारी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।

ये है मेरठ सीट का जातीय समीकरण

मेरठ में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, जिनकी संख्या 4 लाख से ज्यादा है। यहां वैश्य वोटर 2 लाख से ज्यादा हैं। एससी वोटर की संख्या डेढ़ लाख है। जबकि पंजाबी वोटर एक लाख व ब्राह्मणों की संख्या 85 हजार से ज्यादा है। इनके अलावा गुर्जर 30 हजार से 40 हजार के करीब हैं।



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