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लोकसभा चुनाव 2019 : आजमगढ़ में दोनों सीटों पर सीधी टक्कर
संदीप अस्थाना
आजमगढ़। लोकसभा के 2019 के इस चुनाव में जीत चाहे जिसकी हो, मगर कम से कम यह तय है कि इस जिले में इस चुनाव में प्रतिरोध की आवाज बुलंद होगी। भारत रक्षा दल के प्रत्याशी डा राजीव पाण्डेय व उलेमा कौंसिल के प्रत्याशी अनिल सिंह के साथ-साथ अपने तरीके का एकला आंदोलन चलाने वाले राजीव सिंह तलवार की उपस्थिति इस बात की ओर स्पष्ट संकेत दे रही है। फिलहाल इस जिले की दोनों लोकसभा सीटों पर सीधी टक्कर हो रही है और प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। जीत चाहे जिसकी हो मगर कम से कम यह तो तय ही है कि इस चुनाव में कुछ प्रत्याशी अपने अस्तित्व का बोध कराने के साथ ही आम आदमी को यह बताने में कामयाब होंगे कि उनकी लड़ाई सार्थक दिशा में चल रही है और वह हार व जीत के लिए नहीं बल्कि आम आदमी को उसका अधिकार दिलाने के साथ ही उसे संघर्ष का रास्ता दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।
आजमगढ़ जिले में लोकसभा की दो सीटें आजमगढ़ संसदीय सीट व लालगंज सुरक्षित संसदीय सीट है। इन दोनों सीटों पर कमोबेश मुकाबला आमने सामने का है। आजमगढ़ सदर संसदीय सीट पर सपा, बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव एवं भाजपा प्रत्याशी के रूप में भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के बीच सीधी टक्कर होना तय है। इस सीट से खुद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के आ जाने के कारण कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने यहां से अपने उम्मीदवार नहीं उतारे है। कुछ ऐसी ही स्थितियां इस जिले की दूसरी लालगंज सुरक्षित सीट पर भी बनी हुई है। सपा-बसपा के गठबंधन में लालगंज की सीट बसपा के खाते में आई है। बसपा ने इस सीट से अपने दल के संस्थापक सदस्य के साथ लम्बे समय तक राज्यसभा सदस्य व पार्टी संगठन के अहम पदों पर रहे स्वर्गीय गांधी आजाद की पुत्रवधू व लालगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा बसपा विधायक अरिमर्दन आजाद की पत्नी संगीता आजाद को उतारा है। भाजपा ने यहां की अपनी मौजूदा सांसद नीलम सोनकर पर भरोसा जताते हुए फिर उन्हें मैदान में उतारा है। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच यहां सीधी टक्कर होना तय माना जा रहा है। वैसे इस सीट से कांग्रेस ने पंकज मोहन सोनकर व आम आदमी पार्टी ने इंजीनियर अजीत को उम्मीदवारी दी है। इन दोनों प्रत्याशियों को भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
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आम आदमी के दिल में जगह बनाएंगे कुछ प्रत्याशी
वैसे इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कई प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो भले ही जीत और हार के लिए संघर्ष न कर रहे हों मगर यह तो तय ही है कि इस चुनाव में इस तरह के कई प्रत्याशी देश की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप प्रतिरोध की आवाज को बुलंद करेंगे। मतदाता भले ही ऐसे प्रत्याशियों को नकार दे मगर इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह प्रत्याशी सही मायने में आम मतदाताओं के हित की ही बात करेंगे। इस तरह के प्रत्याशियों में एक नाम भारत रक्षा दल के प्रत्याशी डा.राजीव पांडेय का है। भारत रक्षा दल ने जिले के रहने वाले पेशे से होम्योपैथिक चिकित्सक प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। भारत रक्षा दल की ओर से पहले ही यह ऐलान कर दिया गया था कि यदि सपा-बसपा गठबंधन व भाजपा की ओर से इस जिले का रहने वाला प्रत्याशी उतारा गया तो वह अपने प्रत्याशी की उम्मीदवारी वापस ले लेंगे। ऐसा हुआ नहीं। सपा सुप्रीमो जहां इटावा के रहने वाले हैं वहीं भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ भी गाजीपुर जिले के हैं।
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भारत रक्षा दल आम आदमी के बीच यही कह रहा है कि पूरे देश को एक नयी राजनीतिक दिशा देने वाले इस जिले में क्या नेतृत्व का अकाल पैदा हो गया है जो बाहरी प्रत्याशी मैदान में आ रहे हैं। कुछ लोगों को भारत रक्षा दल का यह तर्क बेहतर लग रहा है। प्रतिरोध की आवाज को बुलंद करने वाला एक और नाम राजीव सिंह तलवार का भी है। वे लम्बे समय से अपने तरीके का एक अलग ही एकला आंदोलन की अलख जगाए हुए हैं। जब भी देश व समाज में कोई खास मुद्दा होता है तो वह हाथ में प्रतिरोध की तख्ती लिए शहर के किसी न किसी चौराहे पर आम आदमी के हक की आवाज उठाते नजर आ जाते हैं। इस चुनाव में वह भी आजमगढ़ संसदीय सीट से निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। इतना ही नहीं बाटला इंकाउंटर की कोख से पैदा हुई उलेमा कौंसिल अपने उदयकाल से ही प्रतिरोध की ही राजनीति कर रही है और आतंकवाद के आरोपित इस जिले के रहने वाले युवकों के न्याय के लिए आवाज उठा रही है।
उलेमा कौंसिल व बीआरडी पहले कर चुके हैं बेहतर प्रदर्शन
उलेमा कौंसिल व बीआरडी यानी भारत रक्षा दल पहले ही बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं। उलेमा कौंसिल एक समय में इस जिले के मुसलमानों की पहली पसंद था। यही वजह रही कि नगर निकाय के साथ ही विधानसभा व लोकसभा के कई चुनावों में इस संगठन ने बेहतर प्रदर्शन भी किया। यह सही है कि अब यह संगठन जिले के मुसलमानों की नजर से गिर चुका है। इसकी वजह यह कि यहां के मुसलमानों को इस संगठन ने जितना सब्जबाग दिखाए थे, उसका सौवां हिस्सा भी नहीं किया। बावजूद इसके अभी भी काफी संख्या में मुसलमान उलेमा कौंसिल के साथ हैं और इस चुनाव में भी इस संगठन से लोगों को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। इसी तरह से भारत रक्षा दल इस जिले का मान्य सामाजिक संगठन है। दर्जनों घूसखोर अधिकारियों-कर्मचारियों को रंगेहाथ पकड़वाने के साथ ही इस संगठन ने बहुत सारे सामाजिक काम किये है। भारत रक्षा दल की ओर से शहर की कलेक्टरी कचहरी में ठेले पर पूड़ी व सब्जी की दुकान लगवायी जाती है, जहां महज पांच रुपये में लोगों को खाना मिल जाता है। नगरपालिका अध्यक्ष के चुनाव में भारत रक्षा दल ने अपने संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव को मैदान में उतारा था और वह दूसरे स्थान पर रहे। केवल इसी चुनाव में नहीं बल्कि इसके पहले के अन्य चुनावों में इस संगठन का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। यही वजह है कि लोग मान रहे हैं कि भारत रक्षा दल इस चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन करेगा।
लालगंज में कांग्रेस के भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट से कांग्रेस के भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। कांग्रेस ने इस सीट से अपने दल के युवा नेता पंकज मोहन सोनकर को उतारा है। क्षेत्र का एक वर्ग मौजूदा भाजपा सांसद नीलम सोनकर से नाराज हैं। नाराजगी की वजह यह कि वह पांच साल तक न तो क्षेत्र में दिखलायी पड़ी, न ही कोई विकास कार्य ही किया। ऐसे में उनसे नाराज वे लोग कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं, जो सपा-बसपा गठबंधन को वोट नहीं देना चाहते हैं। कांग्रेस के लिए यहां बेहतर यह भी हुआ है कि अभी हाल ही में इस जिले के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकान्त यादव ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है और कांग्रेस ने उन्हें भदोही से उम्मीदवारी भी दी है। रमाकान्त यादव का गृह विधानसभा क्षेत्र दीदारगंज व उनके परिवार की परम्परागत विधानसभा सीट फूलपुर-पवई, जहां से उनके पुत्र अरुणकान्त यादव विधायक हैं, दोनों लालगंज सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में पड़ते हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में रमाकान्त का दबदबा है। ऐसे में यहां कांग्रेस उम्मीदवार को लोगों का समर्थन मिल सकता है।