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अब शुरू कोरोना से लड़ाई: तो आप भी जुड़ें #SafeHandsWithNewstrack के साथ
एक अनदेखे शत्रु के खिलाफ चल रही इस लड़ाई के बीच रचनाकार आलोक शर्मा जी ने अपनी कविता के माध्यम से इस पल के अनुभव को साझा किया है। इस भयावह बिमारी कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शामिल होने का संकल्प लें ।
आलोक शर्मा
लखनऊ: आज देश ही नहीं पूरे विश्व के ऊपर कोरोना नाम का संकट मंडरा रहा है। देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। क्या पता था कि एकजुट हुए बिना भी कोई जंग लड़नी पड़ेगी। ये एक ऐसी लड़ाई है कि जिसमें अपना ख्याल सबसे ज्यादा रखना है और दूसरों तक यह बिमारी न पहुंचे उसका बहुत ज्यादा ध्यान देना है। यह एक संक्रमण वाली बिमारी है। जिसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता से अपील करके एक दिन के लिए बीते दिन 22 मार्च को "जनता कर्फ्यू " का आवाहन किया था। पूरे भारत की जनता ने इसका दिल से समर्थन भी किया।
ये लड़ाई है अनदेखे शत्रु के खिलाफ
एक अनदेखे शत्रु के खिलाफ चल रही इस लड़ाई के बीच रचनाकार आलोक शर्मा जी ने अपनी कविता के माध्यम से इस पल के अनुभव को साझा किया है। इस भयावह बिमारी कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शामिल होने का संकल्प लें । ऐसे ही अगर आपके मन में भी कोई कविता या लेख है तो आप हमारे साथ #SafeHandsWithNewstrack के मुहीम से जुड़ें हम आपका लेख या हाथ धुलते या मास्क लगते हुए तस्वीर को प्रकाशित करेंगे। संबंधित डिटेल देने के लिए इस- 9305806772 मोबाईल नंबर परा संपर्क करें ।
#जनताकर्फ्यू और मेरा दिन
अक्सर! व्यग्र रहा जीवन,
कुछ लम्हों को मैं ख़ास लिखा!
किस-2 पल ने खुशियां दी,
औ किसने किया उदास लिखा?
घर, रहकर जनता कर्फ्यू में,
किया समीक्षा रिश्तों की;
फिर हर्षित मन,चिंतित विवेक ने,
जीवन का इतिहास लिखा!
भोर कर्म से निवृत्ति "प्रथम",
मैं जननी से मुलाकात किया!
माँ से कम,जो जन्म दिया,
उस कोख से लम्बी बात किया!
जैसे मैने पूछा उससे,
तेरे दूध ने क्या-क्या गलती की?
दो हाथ मेरे सिर पर आये,
और आंखों ने बरसात किया!
बच्चो से फिर मिला जिन्हें,
मैं समय नहीं दे पाया था;
बहुत देर तक सुना उन्हें,
जो अबतक ना सुन पाया था!
बेटी-बाप के, लगे ठहाके,
माँ-बेटे की बातों पर;
पिता धर्म का शायद पालन,
पहली बार निभाया था!
फिर माँ पत्नी बच्चे मिलकर,
आये सब पूजा घर मे;
किया वंदना,भगे करोना,
फँसे न कोई जर में!
हे महादेव, "हे महाकाल शिव",
जग की रक्षा करो प्रभु;
वरना स्थित बिगड़ रही है,
रोग, शोक व डर में!
'सेनिटाइज हुआ" फर्श फिर,
उसपर दरी बिछाया;
दो-तीन तरह के चोखे-चावल,
दाल व पापड़ आया!
बैठ धरा पर, एक साथ सब,
लिये लुफ्त भोजन का;
माँ ने बहुत खिलाया था,
मैं, माँ को, आज खिलाया!
आया अपने कमरे में,
कुछ मनन,पाठ औ याद किया;
कुछ अति विशिष्ट को किया नमन,
जिसने आशीष व साथ दिया!
5 बजे फिर शंख थाल के,
ध्वनि से गूंजा गृह पूरा,
ईश्वर से फिर हाथ जोड़,
जनजीवन का फरियाद किया!
अद्भुत रहा "मार्च बाइस",
जो इतने अनुभव पाला था;
दिनभर तुलसी,दिनभर काढ़ा
हर हाथों में प्याला था,
पहली छुट्टी पहला दिन,
अपना घर अपनो का प्यार;
नही दिखा था जीवन मे,
शायद मुझको, ऐसा इतवार!
#निवेदकरचनाकारआलोकशर्मायूपी