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लोकसभा चुनाव : पहले हाथी नहीं चिड़िया थी बसपा का चुनाव चिह्न

बसपा के हाथी से तो आप सभी परिचित होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं हाथी और बसपा कबसे दोस्त हैं...क्या कहा नहीं पता ? कोई नहीं हम बता देते हैं, हाथी चुनाव चिन्ह लेकर 1989 में बसपा सुप्रीमो मायावती बिजनौर से मैदान में उतरी और जीत हासिल कर पहली बार सांसद बनीं।

Rishi
Published on: 19 March 2019 5:40 PM IST
लोकसभा चुनाव : पहले हाथी नहीं चिड़िया थी बसपा का चुनाव चिह्न
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लखनऊ : बसपा के हाथी से तो आप सभी परिचित होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं हाथी और बसपा कबसे दोस्त हैं...क्या कहा नहीं पता ? कोई नहीं हम बता देते हैं, हाथी चुनाव चिन्ह लेकर 1989 में बसपा सुप्रीमो मायावती बिजनौर से मैदान में उतरी और जीत हासिल कर पहली बार सांसद बनीं। इसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग से हाथी सिंबल की डिमांड की और आयोग ने उन्हें चुनाव चिन्ह के रूप में हाथी अलॉट कर दिया।

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14 अप्रैल 1984 को कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी यानि बसपा का गठन किया। उस समय बसपा का साथी हाथी नहीं था। उस समय बसपा का चुनाव चिह्न था चिड़िया था। लेकिन उसकी उड़ान कुछ खास नहीं थी।

पार्टी बनाने से पहले कांशीराम ने पूरे देश की यात्रा की और फिर 1978 में वामसेफ और फिर डीएस-4 नाम से संगठन बनाया।

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2009 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक 27.20 फीसदी मत बसपा को मिले थे और सबसे अधिक 20 सीट हासिल की थी। इसके पांच साल बाद ही 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा को मिला मत प्रतिशत घटकर 19.77 रह गया और इस चुनाव में पार्टी एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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