TRENDING TAGS :
बीएसपी को बाय-बाय बोल सकते हैं गुड्डू महाराज, कल करेंगे बड़ा खुलासा
लोकसभा चुनाव के पहले बीएसपी से नाता तोड़ने वाले नेताओं का क्रम जारी है। अब वाराणसी में भी पार्टी को बड़ा झटका लगने जा रहा है। वाराणसी में पार्टी के अंदर ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले चंद्र कुमार मिश्रा गुड्डू महाराज बीएसपी को बाय-बाय बोलने के मूड में आ गए हैं।
वाराणसी : लोकसभा चुनाव के पहले बीएसपी से नाता तोड़ने वाले नेताओं का क्रम जारी है। अब वाराणसी में भी पार्टी को बड़ा झटका लगने जा रहा है। वाराणसी में पार्टी के अंदर ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले चंद्र कुमार मिश्रा गुड्डू महाराज बीएसपी को बाय-बाय बोलने के मूड में आ गए हैं। हालांकि उन्होंने अपने पत्ते तो नहीं खोले हैं। खबरों के मुताबिक 30 मार्च को गुड्डू महाराज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा धमाका कर सकते हैं।
ये भी देखें : राहुल ने 2 सीटों से चुनाव लड़ने की संभावना खारिज नहीं की, बोले- पार्टी फैसला करेगी
ब्राह्मणों की उपेक्षा से नाराजगी
गुड्डू महाराज के समर्थकों के मुताबिक बीएसपी में ब्राह्मणों की अनदेखी और उपेक्षा से एक बड़ा तबका नाराज है। लिहाजा ब्राह्मणों का बीएसपी से मोहभंग होने लगा है। ब्राह्मण नेताओं को ना तो संगठन में जगह दी जा रही है और ना ही टिकट दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में पार्टी के बड़े ब्राह्मण चेहरे अब एक-एक कर पार्टी से किनारा करते जा रहे हैं।
दरअसल 2007 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मायावती ने अपने साथ ब्राह्मणों को जोड़ा, इसका लाभ उन्हें चुनाव में मिला। उस दौर में बीएसपी पूरी बहुमत के साथ सत्ता में आई और मायावती मुख्यमंत्री बनी। लेकिन बाद के सालों में ब्राह्मणों को पार्टी में तरजीह नहीं मिली, जिसके कारण मायावती का सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला फेल होता गया।
ये भी देखें : महाराष्ट्र में 17 सीटों पर मतदाताओं के पास शनिवार तक नाम पंजीकृत कराने का मौका
भदोही से टिकट के प्रबल दावेदार थे गुड्डू महाराजा
बीएसपी के अंदर गुड्डू महाराज की पहचान मजबूत ब्राह्मण चेहरे के तौर पर होती है। वाराणसी और आसपास के जिलों में जनाधार को देखते हुए मायावती ने उन्हें 2012 में वाराणसी के कैंट विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा गुड्डू महाराज दो बार चंदौली से किस्मत आजमा चुके हैं। इस बीच पिछले दो सालों से गुड्डू महाराज भदोही लोकसभा सीट से प्रबल उम्मीदवार थे। वो क्षेत्र में लगातार काम कर रहे थे लेकिन मायावती ने अंतिम वक्त में उनका पत्ता काट दिया।