×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

क्लीन चिट पर बवाल, लवासा की नाराजगी पर CEC सुनील अरोड़ा ने जारी किया बयान

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव आचार संहिता की शिकायतों के निपटारे से जुड़ी बैठकों से चुनाव आयुक्त अशोक लवासा द्वारा खुद को अलग करने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को ‘नाखुशगवार’ बताते हुये कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान इस तरह की रिपोर्ट से बचा जाना चाहिये था।

Dharmendra kumar
Published on: 18 May 2019 3:43 PM IST
क्लीन चिट पर बवाल, लवासा की नाराजगी पर CEC सुनील अरोड़ा ने जारी किया बयान
X

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव आचार संहिता की शिकायतों के निपटारे से जुड़ी बैठकों से चुनाव आयुक्त अशोक लवासा द्वारा खुद को अलग करने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को ‘नाखुशगवार’ बताते हुये कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान इस तरह की रिपोर्ट से बचा जाना चाहिये था।

अरोड़ा ने कुछ मामलों में लवासा की असहमति संबंधी मीडिया रिपोर्टों को गैरजरूरी बताते हुये शनिवार को स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि आयोग की 14 मई को आहूत बैठक में भी लोकसभा चुनाव सम्पन्न कराने की प्रक्रिया से संबंधित मुद्दों के निपटारे के लिये पृथक समूह गठित करने का सर्वानुमति से फैसला हुआ था। इसमें आचार संहिता के पालन सहित 13 अन्य विषय शामिल थे।

उल्लेखनीय है कि लवासा ने अरोड़ा को पत्र लिख कर कहा है कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण से जुड़ी बैठकों से वह खुद को तब तक अलग रखेंगे जब तक कि उनकी असहमति को फैसले में दर्ज कराने की अनुमति नहीं दी जायेगी।

यह भी पढ़ें...अक्षय कुमार का ‘ट्रांसजेंडर’ लुक, रिलीज हुआ फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ का पहला पोस्टर

अरोड़ा ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों से खुद को अलग करने का फैसला लवासा ने ऐसे समय में किया है जबकि आयोग में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान और मतगणना की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी विषय पर आयोग के तीनों सदस्यों के विचार पूरी तरह से समरूप होना अपेक्षित नहीं है। इससे पहले भी व्यापक पैमाने पर विचारों में अंतर देखा गया है और ऐसा होना स्वाभाविक भी है। लेकिन यह स्थिति हमेशा आयोग की परिधि में ही सीमित रही।’’

यह भी पढ़ें...आज दिखेगा ब्ल्यू मून, देखें नासा की वेबसाइट पर यह खगोलीय घटना

अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन कानून भी विषय विशेष पर वैचारिक समरुपता को वरीयता देते हैं लेकिन मतभेद या असहमति की स्थिति में बहुमत से फैसला करने का प्रावधान है।

समझा जाता है कि लवासा ने चार मई को अरोड़ा को लिखे तल्ख पत्र में कहा था कि जब से बैठक में अल्पमत के फैसलों को दर्ज नहीं किया जा रहा है तब से उन्हें मजबूरन खुद को आयोग की बैठकों से अलग करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनके असहमति के फैसले को रिकार्ड में दर्ज नहीं करने के कारण बैठकों में उनकी मौजूदगी ‘निरर्थक’ हो जाती है।

भाषा



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story