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नए अध्ययन ने सबको चौंकाया, मरीज से चार मीटर दूर हवा में मिला कोरोना वायरस
दुनिया भर में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तमाम देशों में मरीजों पर तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। इन अध्ययनों में तमाम ऐसी बातें पता चल रही है जो इस वायरस के बारे में कोई नया राज खोलने वाली होती हैं।
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तमाम देशों में मरीजों पर तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। इन अध्ययनों में तमाम ऐसी बातें पता चल रही है जो इस वायरस के बारे में कोई नया राज खोलने वाली होती हैं। हाल में चीन में किए गए एक अध्ययन में भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस नए अध्ययन में दावा किया गया है कि अस्पताल में मरीजों के कमरे में कोरोना वायरस की मौजूदगी पाई गई। यह भी चौंकाने वाली बात पता चली यह वायरस मरीज से 4 मीटर की दूरी तक पाया गया।
वुहान में 29 मरीजों पर अध्ययन
यह अध्ययन सीडीसी अटलांटा के जर्नल इमर्जिंग इनफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज, बीझिंग ने वुहान के अस्पताल के आईसीयू एवं जनरल वार्ड में किया है। यह अध्ययन आईसीयू में भर्ती 15 गंभीर मरीजों और जनरल वार्ड में भर्ती सामान्य लक्षणों वाले 14 मरीजों पर किया गया।
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हवा में मिली वायरस की मौजूदगी
इस अध्ययन में एक चौंकाने वाली बात यह पता चली कि आईसीयू के भीतर हवा से लिए गए 40 में से 14 नमूनों में वायरस की मौजूदगी पाई गई यानी पॉजिटिव नमूनों की संख्या 35 फ़ीसदी दर्ज की गई। जनरल वार्ड से लिए गए 16 नमूनों में से हवा के दो नमूनों में वायरस की मौजूदगी मिली यानी पॉजिटिव नमूनों का परिणाम 12.5 फ़ीसदी दर्ज किया गया। हवा के नमूनों के इस अध्ययन के बाद नतीजा निकाला गया है कि मरीज से चार मीटर की दूरी तक भी हवा में वायरस हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ का मानक गलत
इस अध्ययन में एक ऐसी बात भी निकलकर आई जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मानक को काटने वाली है। एक नमूना 2.4 मीटर की दूरी पर लिया गया और वह भी पॉजिटिव निकला। यह बात भी चौंकाने वाली है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो सामाजिक दूरी का मानक तय किया है वह अधिकतम दो मीटर ही है।
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जूते के तले भी वायरस के बड़े कैरियर
इस अध्ययन में बताया गया है कि मरीजों के कमरे के फर्श, दरवाजों के हैंडल, कंप्यूटर माउस, मरीज के मास्क और यहां तक कि पीपीई से लिए गए नमूनों में भी वायरस की पुष्टि हुई। जूते के तलों तक में कोरोना वायरस पाया गया। अध्ययन में आशंका जताई गई है कि जूते के तले वायरस के बड़े कैरियर बन सकते हैं।
होम आइसोलेशन में रखना ठीक नहीं
अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन से यह भी नतीजा निकलता है कि कोरोना से संक्रमित मरीज को होम आइसोलेशन में रखना बीमारी के फैलाव का कारण बन सकता है। इसका कारण यह है कि घरों में लोगों के पास निजी बचाव के उपकरण आमतौर पर नहीं होते।
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आईसीयू में ज्यादा मिला वायरस
अध्ययन में चौंकाने वाली बात यह भी पता चली है कि आईसीयू की हवा में जनरल वार्ड की अपेक्षा वायरस के पॉजिटिव नमूने ज्यादा निकले। इसका कारण यह माना जा रहा है कि आईसीयू को बाहर के वातावरण से पूरी तरह अलग रखा जाता है। इसलिए आईसीयू में वायरस का संक्रमण होने का खतरा भी ज्यादा है।
इस मुद्दे पर अलग-अलग राय
वैसे इस मुद्दे पर वैज्ञानिकों की राय अलग-अलग है कि कोरोना का संक्रमण हवा में फैलता है या नहीं। इसका कारण यह है कि अध्ययन में वैज्ञानिकों में हवा में वायरस की मौजूदगी तो पाई, लेकिन इन अस्पतालों में कोई स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से संक्रमित नहीं पाया गया। हालांकि अध्ययन से जुड़े कुछ वैज्ञानिकों का कहना था कि निजी बचाव उपकरणों से लैस होने के कारण स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित होने से बच गए अन्यथा वे भी वायरस का शिकार हो सकते थे।