जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी गिरफ्तार, जानिए क्या है मामला

  जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी सफुरा जर्गर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। खबर है कि सफुरा जर्गर पर सीएए के खिलाफ भीड़ को जुटाने और हिंसा कराने का आरोप है। सफुरा जर्गर पर आरोप है कि उसने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे महिलाओं को जुटाया था।

suman
Published on: 12 April 2020 4:41 AM GMT
जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी गिरफ्तार, जानिए क्या है मामला
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नई दिल्ली : जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी सफुरा जर्गर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। खबर है कि सफुरा जर्गर पर सीएए के खिलाफ भीड़ को जुटाने और हिंसा कराने का आरोप है। सफुरा जर्गर पर आरोप है कि उसने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे महिलाओं को जुटाया था।

दिल्ली पुलिस के जॉइंट सीपी आलोक कुमार ने कहा कि पुलिस ने जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया कोऑर्डिनेटर सफुरा जर्गर को गिरफ्तार किया है। सफुरा पर दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट जिले के जाफराबाद में सीएए विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप है।

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जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी

खबरों के अनुसार, जब कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन कर रखा है। तब सफुरा जर्गर को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन में शामिल रहते भी देखा गया था। सफुरा जर्गर की गिरफ्तारी उस समय सामने आई है,बता दें कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून बनाया है। इसका कांग्रेस पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल और मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं।

सीएए खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में तीन महीने से ज्यादा प्रदर्शन चला। भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने महिला प्रदर्शनकारियों से धरना खत्म करने की अपील की थी। जब कुछ प्रदर्शनकारी धरना स्थल से नहीं हटे तो पुलिस ने और सुरक्षा बलों ने धरना स्थल से उनको हटा दिया था। बता दें कि शाहीन बाग में एक प्रदर्शनकारी में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद प्रशासन ने ये कदम उठाया था।

मुस्लिमों के खिलाफ सीएए

मुस्लिम समुदाय के लोग सीएए को अपने खिलाफ बता रहे हैं। साथ ही इस कानून को धर्म के आधार पर भेदभाव वाला बता रहे हैं। कुछ लोगों का यह भी दावा है कि सीएए से मुस्लिम समुदाय के लोगों की नागरिकता चली जाएगी। हालांकि मोदी सरकार साफ-साफ कह चुकी है कि नागरिकता संशोधन कानून का हिंदुस्तान के मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं हैं।

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यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाला कानून है। इसमें किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ शाहीन बाग और जाफराबाद में हुए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ भी लोग सड़कों पर उतरे थे। इसके बाद दिल्ली में हिंसा भी हुई थे, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

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