×

दीपावली : रोशनी के त्योहार पर जीएसटी की धुंध, देशी पटाखों के सहारे दीवाली

seema
Published on: 21 Oct 2017 6:48 AM GMT
दीपावली : रोशनी के त्योहार पर जीएसटी की धुंध, देशी पटाखों के सहारे दीवाली
X

लखनऊ: दीपावली यानी रोशनी का त्योहार। हर ओर उजाला और खुशियां। लेकिन इस बार जीएसटी के बम ने थोड़ा धुंधला कर दिया है। जिसका सीधा असर धनतेरस और दीपावली पर आम से लेकर खास तक सब पर पड़ा है।

दीपावली है तो लोग शापिंग करने अपने घरों से बाहर निकले तो लेकिन पिछली दीपावली जैसा दिल खोल कर खरीददारी नहीं कर पाये । गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों से लेकर देशी दीयों, मोमबत्ती तक की कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ गईं। इसके साथ ही कपड़ा व्यापारी तो एकदम निराश होकर बैठ गए। अपना भारत की टीम ने दीपावली के लिए लखनऊ, गोरखपुर , कानपुर और वाराणसी के सजे बाजारों का जायजा लिया। इसी पर आधारित है यह रिपोर्ट -

मूर्तियों की लागत बढऩे से उछले दाम

राजधानी के सआदतगंज इलाके में गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां बनाकर उन्हें बाजार में बेंचते हैं। इससे जो कमाई होती है उसी से वो अपनी दीपावली मनाते हैं। इसके साथ ही अगले साल के लिए मूर्तियां बनाने के लिए अपने कच्चे माल की कीमतों को भी बचाकर रख लेते हैं। लेकिन इस बार इस इलाके के मूर्तियां बनाने वाले परिवारों में अजीब सी मायूसी रही। वह हर साल की तरह इस बार भी अपने काम में लगे तो लेकिन जीएसटी की मार ने उनकी खुशियों पर एक ब्रेक सा लगा दिया।

गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने वाले कल्लू ने बताया कि जीएसटी क्या होता है ये तो ठीक से नहीं पता लेकिन इतना पता है कि इसके लागू होने से हमें कच्चा माल इस बार महंगा मिला है। गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों में प्रयोग होने वाले क्ले से लेकर कलर, डेकोरेटिव आइटम और चॉक तक इस साल महंगा मिला है। यहां तक की मूर्तियों पर होने वाले पेंट की कीमतों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। पिछले साल मूर्ति को पेंट करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी का रंग 235 रुपये प्रति लीटर था, लेकिन इस साल यह 350 रुपये है।

यह भी पढ़े : पश्चिम में बही आस्था की पुरवाई, यूपी-बिहार की तरह यहां भी सजते हैं बाजार

अब जब हम महंगी मूर्तियां बना रहे हैं तो इसे महंगे दामों पर ही बेचेंगे। लेकिन इसके चलते हमारी बिक्री प्रभावित हो रही है। हमसे मूर्तियां खरीदने वाले व्यापारी भी कम पैसे में मूर्तियां देने की बात करते हैं लेकिन बढ़ी कीमतों के चलते हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इससे हमारे कई पुराने कस्टमर मायूस हैं। मूर्तियों के दामों में 25 से 30 प्रतिशत का उछाल आया है। हमारे लिए तो साल के ये दो से तीन महीने ही दोगुनी मेहनत करके पैसा कमाने के दिन होते हैं। लेकिन इस बार महंगाई ने दम निकाल दिया है।

कपड़ा कंपनियों ने गिरा दिया प्रोडक्शन

राजधानी के अमीनाबाद में डिजाइनर कपड़ों के व्यापारी उमेश रस्तोगी ने बताया कि इस बार दीपावली पर कपड़ा कारोबारियों को काफी झटका लगा है। यहां तक कि कपड़ों के थानों को प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों ने जीएसटी के चलते अपने प्रोडक्शन को कम कर दिया है। बेसिक यार्न प्रोडक्शन पर ही 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लग रहा है। जिसके चलते कंपनियों का प्रोडक्शन धीमा हो गया है।

एक करोड़ की बिक्री पर कंपनियों को 5 लाख जीएसटी देना पड़ रहा है। इसलिए माल कम आ रहा है। इसके चलते दीपावली पर कपड़ा कारोबार का टर्नओवर 20 से 50 प्रतिशत तक प्रभावित हो रहा है। पिछले साल जहां दीपावली पर 10 लाख की सेल आराम से हो जाती थी। वहीं अब तक सिर्फ 4 से 6 लाख की सेल ही हुई है। कस्टमर भी कपड़ों की बढ़ी कीमतों को लेकर थोड़ा ठिठक रहे हैं। इसलिए दीपावली पर बाजार में रौनक तो है लेकिन खरीदारी तक मामला आते आते कस्टमर मायूस हो जा रहा है।

ऑटोमोबाइल की बिक्री पर लगा ब्रेक

राजधानी के रिंग रोड पर स्थित गोयल मोटर्स के मालिक गौरव गोयल ने बताया कि उनका हीरो मोटर्स का शो रूम है। दीपावली पर पिछले साल 1200 करोड़ का ऑटोमोबाइल बाजार का टर्नओवर था। इसमें से 700 करोड़ का मोटरसाइकिलों की बिक्री का टर्नओवर था। हमारे शो रूम में पिछले साल दीपावली पर 350 गाडियों की सेल हुई थी। लेकिन इस बार कस्टमर तो पहले जैसे आ रहे हैं लेकिन सिर्फ मॉडल देखकर और दाम पूछकर चले जाते हैं। इस साल दीपावली में अभी तक 150 गाडियों की बुकिंग हुई है। धनतेरस पर अच्छी सेल हुई।

डेकोरेटिव आइटम भी हुए महंगे

राजधानी के भूतनाथ मार्केट में डेकोरेटिव आइटम के बारे में जानकारी की तो पता चला कि इसकी कीमतें भी आसमान छू रही हैं। यहां दुकान लगाने वाले पंकज ने बताया कि हर साल दीपावली पर रंगोली स्टिकर, डेकोरेटिव कैंडल्स, डिजाइनर कैंडल, सेंटेंड कैंडल राजस्थानी तोरण को थोक पर लाकर बेचते थे तो अच्छा मुनाफा हो जाता था। इस बार इन डेकोरेटिव आइटम्स पर भी जीएसटी लागू होने से ज्यादा माल नहीं ले पाए हैं। इसके अलावा बढ़ी कीमतों के चलते ज्यादातर ग्राहक केवल कीमतें पूछकर चले जा रहे हैं। डेकोरेटिव आइटम्स पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लग रही है।

देशी पटाखों के सहारे दीवाली

इस बार दीपावली पर चाइनीज पटाखों की बिक्री पर रोक रहेगी। इसके इतर देशी पटाखों के सहारे ही दीपावली में धूम-धड़ाका होना है। लेकिन पटाखा व्यापारियों को दीपावली में भी धंधा अंधेरे में जाता दिख रहा है।राजधानी के ऐशबाग स्थित रस्तोगी इंटर कालेज मैदान पर पटाखो की थोक दुकान लगाने वाले महेश गुप्ता ने बताया कि पहले पटाखों पर 14 प्रतिशत ही टैक्स लगता था। लेकिन अब पटाखों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगा दिया गया है।जिसके चलते छोटे छोटे देशी कंपनियों द्वारा निर्मित पटाखे भी काफी महंगे हो गए हैं।

पटाखों के दाम दो गुना से लेकर पांच गुना तक बढ़ गए हैं।ऊंचे दामों पर पटाखे बेचना मजबूरी हो गई है।पटाखों की मार्केट में 35 फीसदी तक की तेजी देखी जा रही है।ये तेजी पूरे देश में देखने को मिलेगी। देश के तमिलनाडु राज्य के शिवाकाशी से पूरे देश में बड़ी मात्रा में पटाखे तैयार होकर सप्लाई किए जाते हैं। यहीं से बढ़ी कीमतों पर पटाखे सप्लाई हो रहे हैं। कंपनी को हर 1 करोड़ के व्यापार पर 28 लाख चुकाने पड़ रहे हैं। इसके साथ ही प्रशासन द्वारा पटाखों की टाइमिंग के निर्धारण के चलते लोग भी सीमित मात्रा में पटाखे खरीद रहे हैं। जिसके चलते पटाखों की बिक्री सीधे तौर पर प्रभावित हुई है।

कपड़ा कंपनियों ने गिरा दिया प्रोडक्शन

राजधानी के अमीनाबाद में डिजाइनर कपड़ों के व्यापारी उमेश रस्तोगी ने बताया कि इस बार दीपावली पर कपड़ा कारोबारियों को काफी झटका लगा है। यहां तक कि कपड़ों के थानों को प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों ने जीएसटी के चलते अपने प्रोडक्शन को कम कर दिया है। बेसिक यार्न प्रोडक्शन पर ही 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लग रहा है। जिसके चलते कंपनियों का प्रोडक्शन धीमा हो गया है।

एक करोड़ की बिक्री पर कंपनियों को 5 लाख जीएसटी देना पड़ रहा है। इसलिए माल कम आ रहा है। इसके चलते दीपावली पर कपड़ा कारोबार का टर्नओवर 20 से 50 प्रतिशत तक प्रभावित हो रहा है। पिछले साल जहां दीपावली पर 10 लाख की सेल आराम से हो जाती थी। वहीं अब तक सिर्फ 4 से 6 लाख की सेल ही हुई है। कस्टमर भी कपड़ों की बढ़ी कीमतों को लेकर थोड़ा ठिठक रहे हैं। इसलिए दीपावली पर बाजार में रौनक तो है लेकिन खरीदारी तक मामला आते आते कस्टमर मायूस हो जा रहा है।

पेंट बाजार में आई 40 प्रतिशत की मंदी

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि दीपावली पर लोग सबसे पहले अपने घरों की सफाई के बाद पेंट करवाते हैं। पेंट पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगने के चलते पेंट की सेल 40 प्रतिशत तक गिर गई है। धंधे में आई इस मंदी से दम निकल गया है। राजधानी के राजाजीपुरम परिक्षेत्र उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष उमेश कुमार ने बताया कि इस बार दीपावली पर हर कारोबार में लगा व्यापारी परेशानी का सामना कर रहा है। जीएसटी की मार से कारोबारियों का दम निकला जा रहा है। आटोमोबाइल की बुकिंग से लेकर सजावट के बेसिक सामान सब कुछ जीएसटी की मार से महंगा हो गया है। ऐसे में कारोबारियों को दीपावली जैसे बड़े त्योहार पर मायूस होना पड़ रहा है।

डिजिटल पेमेंट की आई बाढ़

राजधानी के चौक सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी के मुताबिक दीपावली पर अभी तक तो सेल ठीक चल रही है। हालांकि जीएसटी के चलते कीमतें बढ़ी हैं पर सेल में ज्यादा अंतर नहीं आया है। इस दीपावली पर लोग डिजिटल पेमेंट करके ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। कैश पेमेंट कुछ लोग ही कर रहे हैं। इस बार जार्ज पंचम के सिक्कों की अच्छी खासी डिमांड है। इसलिए दीवाली पर विशेष रूप से इसका स्टाक मंगाया है।

इन सिक्कों के अलग अलग शेप और साइज भी मार्केट में हैं। इनमें नार्मल गोल सिक्के और हार्ट शेप सिक्कों की ज्यादा डिमांड रहती है। 550 से 600 रुपये मूल्य के इन सिक्कों का चलन इस दीपावाली पर काफी बढ़ी । इसके अलावा लोग दीवाली पूजा के लिए यूएस प्रिंटिड डालरों को भी धनतेरस पर अपने घर ले जाकर पूजा में इसे शामिल करना काफी पसंद करते हैं। डालर प्रिंटिड ताश के इन पत्तों का मूल्य वजन के हिसाब से होता है। जैसे 10 ग्राम का डालर 500 रुपये और 20 ग्राम का 1000 रुपये में मिल जाता है।

विनोद माहेश्वरी ने बताया कि गोल्ड और सिल्वर के यह ताश के पत्ते भारत के सर्राफा डीलर्स बैंकाक से इंपोर्ट करते हैं और यहां के ज्वैलर्स उनसे यह माल खरीद लेते हैं। इसके साथ ही साथ चांदी के श्री यंत्र को दीपावली पर पूजा के लिए लोग घर ले जाते हैं। इसकी सेल भी अभी तक ठीक ठीक चल रही है।नोटबंदी के बाद सरकार ने सर्राफा व्यापार पर कुछ अंकुश लगाए थे हालांकि अब सोना- चांदी की खरीद पर सरकारी रियायतों के चलते इसकी बिक्री अच्छी रही। 50 हजार की खरीद सीमा पर पहले केवाईसी भरवाना पड़ता था लेकिन अब इस सीमा को दो लाख तक बढ़ा दिया गया है।

seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story