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1984 का चुनाव: जब अमेठी मे गांधी परिवार के दो सदस्य थे आमने-सामने

अमेठी से सटी सुल्तानपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी बीजेपी की उम्मीदवार हैं। गुरुवार को उन्होंने उसी कलेक्ट्रेट मे नामांकन किया जहां 35 साल पहले अमेठी सीट के लिए उन्होंने नामांकन किया था

Vidushi Mishra
Published on: 20 April 2019 3:59 PM IST
1984 का चुनाव: जब अमेठी मे गांधी परिवार के दो सदस्य थे आमने-सामने
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अमेठी: अमेठी से सटी सुल्तानपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी बीजेपी की उम्मीदवार हैं। गुरुवार को उन्होंने उसी कलेक्ट्रेट मे नामांकन किया जहां 35 साल पहले अमेठी सीट के लिए उन्होंने नामांकन किया था। उस वक्त अमेठी मे रिकार्ड कायम हुआ था जब गांधी परिवार के दो सदस्य एक दूसरे के आमने-सामने थे।

1981 मे राजीव गांधी ने संभाली थी भाई की राजनैतिक विरासत

प्रदेश की वीवीआईपी लोकसभा सीट अमेठी के इतिहास में 1984 के चुनाव का वह पहला मौका था। यहां से पहली बार संजय गांधी की मौत के बाद गांधी परिवार के नुमाइंदे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के प्रतिद्वंदी के रुप में उनकी भयो मेनका गांधी (छोटे भाई संजय गांधी की पत्नी) मुकाबले पर थी। गांधी परिवार के गढ़ का ये एक ऐसा पहला और आखिरी कीर्तिमान बना की गांधी परिवार के दो करीबी सदस्य आमने-सामने हुए।

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जो आज तक बरकरार है। दरअसल अमेठी में मेनका गांधी के पति संजय गांधी का काफी दबदबा था। बगैर किसी पद पर रहते हुए संजय गांधी ने इलाके को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का उन्होंने बड़ा काम किया था। जिसके परिणाम में 1980 के चुनाव में वह अमेठी से सांसद चुने गए थे। फिर इसी साल एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई। तब संजय गांधी के बड़े भाई राजीव गांधी 1981 के उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने गए।

'संजय विचार मंच' बनाकर लड़ी थी चुनाव, नहीं बची थी जमानत

1984 का चुनाव जब आया तो संजय की पत्नी मेनका गांधी संजय विचार मंच बनाकर यहां से ताल ठोक बैठी। उन्हें ऐसा लग रहा था की पति की मौत का वो लाभ पा जायेगी। पर अमेठी की जनता चालाक थी, वो ऐसे की इस चुनाव से पहले इंदिरा गांधी की मौत हो चुकी थी और उनकी जगह राजीव गांधी प्रधानमंत्री बन चुके थे।

यहां की जनता ने सही वक़्त पर फैसला किया और राजीव गांधी को फिर से प्रधानमंत्री के रुप में देखने के लिए 3 लाख 65 हजार 41 वोट दे डालें। वही मेनका गांधी अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी, उन्हें मात्र 50 हजार 163 वोट ही मिले थे। बस इस बात से खफा मेनका फिर तब से अमेठी नहीं आई। और यही पहला मौका था जब मेनका के रूप में महिला उम्मीदवार के उतरने से हर आंख अमेठी पर गड़ी थी।

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मौजूदा समय मे सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ रही मेनका

फिलहाल मेनका गांधी सुल्तानपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर मैदान मे हैं। वो बेटे की बनाई जमीन पर बीजेपी का कमल खिलाने की जुगत मे हैं। उनके सामने कांग्रेस के डा. संजय सिंह और गठबंधन के चन्द्रभद्र सिंह मैदान मे हैं। ऐसे मे यहां की लड़ाई त्रिकोणीय बन चुकी है। वैसे मेनका बेटे वरुण द्वारा कराए गए विकास कार्यों और मोदी सरकार की योजनाओं को भुना रही हैं, जिस मे वो एक हद तक कामयाब भी हैं। अगर अंत तक चुनाव जातिगत धारा मे न बहा तो हर उम्मीदवार मेनका से सीधे मुकाबले पर होगा।



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Vidushi Mishra

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