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एन-95 मास्क के आविष्कारक कर रहे उन्हें अपग्रेड
एन-95 में वायरस को ब्लॉक करने की खासियत होती है। लेकिन इनमें एक कमी है कि ये सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल के योग्य होते हैं। इसी वजह से कोरोना महामारी के इस दौर में अस्पतालों में इन मास्क की कमी हो रही है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: एन-95 में वायरस को ब्लॉक करने की खासियत होती है। लेकिन इनमें एक कमी है कि ये सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल के योग्य होते हैं। इसी वजह से कोरोना महामारी के इस दौर में अस्पतालों में इन मास्क की कमी हो रही है। अब इन मास्क के आविष्कारक इन्हें दोबारा इस्तेमाल करने योग्य और संक्रमणमुक्त बनाने के काम में लगे हुये हैं।
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वैज्ञानिक और इंजीनियर पीटर त्साई ने 1992 में मास्क पर फिल्टर लगाने की तकनीक ईजाद की थी। ये ऐसा फिल्टर था जो वायरल कणों को अवरुद्ध करता है। पीटर का कहना है कि, "मेरा आविष्कार केवल फिल्टर को बेहतर बनाने के लिए था। यह कोई विशेष आविष्कार नहीं है।"
विश्व भर में एन-95 मास्क की कमी है और स्वास्थ्य कर्मी अपने मास्क को स्टरलाइज करने के लिए अल्कोहल या ब्लीच का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन ऐसा करने से मास्क खराब हो सकता है। इन हालातों में पीटर के पास दुनिया भर से ईमेल और फोन आए कि वो अपने आविष्कार को अपग्रेड कर दें। पीटर काफी समय से रिटायरमेंट का जीवन जी रहे हैं। लोगों के आग्रह और मेडिकल कर्मियों की दिक्कतों को देखते हुये पीटर त्साई ने मास्क की डिजाइन को अपग्रेड करने के तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया।
पीटर ने कहा, - "मैं बस लोगों की मदद करना चाहता हूं, और अपना काम करना चाहता हूं।"
पीटर पिछले साल अमेरिका के टेनेसी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन मार्च के बाद से ‘एन-95 डेकोन’ नामक ग्रुप की सहायता कर रहे हैं। ये अमेरिका भर के स्वयंसेवक शोधकर्ताओं और संगठनों का एक समूह जो मास्क को डिसइनफेक्ट करने के तरीकों पर काम कर रहा है।
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पीटर का कहना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मेडिकल कर्मियों की प्रशंसा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, "अस्पताल के फ्रंट लाइन कर्मचारी असली हीरो हैं। मैं सिर्फ मास्क पहनने के लिए उनकी मदद करने की कोशिश कर रहा हूं।"
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