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न माया न अखिलेश, असली लाभ मुस्लिम समाज को, यहां जानें यूपी का सियासी गणित

यूपी के लोकसभा चुनाव परिणामों में सपा बसपा गठबन्धन को भले ही बडा लाभ न मिला हो लेकिन इस महागठबन्धन ने मुस्लिम समाज को प्रतिनिधित्व जरूर दे दिया।

Aditya Mishra
Published on: 25 May 2019 9:02 PM IST
न माया न अखिलेश, असली लाभ मुस्लिम समाज को, यहां जानें यूपी का सियासी गणित
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मायावती और अखिलेश यादव की फ़ाइल फोटो

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: यूपी के लोकसभा चुनाव परिणामों में सपा बसपा गठबन्धन को भले ही बडा लाभ न मिला हो लेकिन इस महागठबन्धन ने मुस्लिम समाज को प्रतिनिधित्व जरूर दे दिया। क्योंकि देश की आजादी के बाद पिछली लोकसभा ही ऐसी थी जिसमें यूपी से एक भी सांसद नहीं चुना गया था। इस सफलता को लेकर मुस्लिम समाज में संतुष्टि का भाव है।

इस बार सपा बसपा ने गठबन्धन कर एक बडा राजनीतिक फैसला कर सभी राजनीतिक पंडितों को चैका दिया था। दोनों की साझा रैलियां हुई। कहा गया कि यह गठबन्धन मील का पत्थर साबित होगा और मोदी के विजय रथ को यूपी में रोक देगा।

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अनुमान था कि गठबन्धन को 50 से अधिक सीटे मिलेंगी लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो गठबन्धन केवल 15 सीटों पर सिमट गया। खास बात यह रही कि गठबन्धन की जीती हुई सीटों में छह सीटों में मुस्लिम समाज के प्रत्याशी चुनाव जीतकर सांसद बने।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबन्धन को मिली जीत के बाद 80 में 73 सीट इस गठबन्धन को मिली थी लेकिन न तो भाजपा गठबन्धन और न ही विपक्ष की तरफ से कोई मुस्मिल सांसद चुनाव जीत सका था। लेकिन इस बार गठबन्धन के छह प्रत्याशियों ने चुनाव जीतकर संसद की राह पकडी। प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कुल

मतदाताओं की करीब 19.5 प्रतिशत है। और प्रदेश की 80 में से 30 लोकसभा सीटों पर उनकी महती भूमिका रहती है। इस साल समाजवादी पार्टी सपा और बहुजन समाज पार्टी बसपा के तीन-तीन उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। रामपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के मो आजम खान ने भाजपा की महिला प्रत्याशी जया प्रदा को एक लाख से अधिक वोटो से हरा दिया।

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सपा प्रत्याशी मो आजम खान ने अपनी निकटतम प्रतिद्वन्दी जया प्रदा को एक लाख 9 हजार 997 वोटों से हरा दिया। आजम खान को पांच लाख 59 हजार 177 वोट मिले जबकि जया प्रदा को चार लाख 49 हजार 180 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी संजय कपूर को 35 हजार नौ वोट मिले. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेपाल सिंह यहां से जीते थे।

सपा से मोहम्मद आजम खान (रामपुर), शफिकुर रहमान वर्क (संभल) और एसटी हसन (मुरादाबाद) हैं जबकि बसपा से अफजाल अंसारी (गाजीपुर), दानिश अली (अमरोहा) और फजलुर रहमान (सहारनपुर) हैं।

इस चुनाव में कुछ बड़े कद के मुसलमान नेता और के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवार चुनाव हार भी गए। इनमें सलमान खुर्शीद (फर्रुखाबाद), सलीम शेरवानी (बदायूं), जफर अली नकवी (लखीमपुर) और कैसर जहां (सीतापुर) प्रमुख हैं, ये सभी प्रत्याशी कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़े थें। लेकिन कांग्रेस केवल रायबरेली सीट ही जीत सकी। जहां सोनिया गांधी ने चुनाव जीतकर पार्टी की लाज बचाई।

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Aditya Mishra

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